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जम्मू-कश्मीर की रैटल परियोजना से राजस्थान को बिजली देने पर भड़के उमर अब्दुल्ला

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर की रैटल परियोजना के जरिए राजस्थान को बिजली देने के समझौते का जमकर विरोध किया

जम्मू-कश्मीर की रैटल परियोजना से राजस्थान को बिजली देने पर भड़के उमर अब्दुल्ला
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श्रीनगर। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर की रैटल परियोजना के जरिए राजस्थान को बिजली देने के समझौते का जमकर विरोध किया।

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उमर अब्दुल्ला ने उस समझौते के बारे में बात की जो 40 साल के लिए है। उन्‍होंने कहा, ''जब स्मार्ट मीटर लगाने की बात आती है, जहां पहले से पैसा देने पड़ता है तो हमें चुना जाता है और जब हमारी अपनी जल विद्युत परियोजनाओं से उत्पन्न बिजली की बात आती है तो यह राजस्थान को दी जाती है।''

उन्‍होंने कहा, “यह पहली बार है कि मैं 40 वर्षों के लिए विद्युत ऊर्जा आवंटन के बारे में सुन रहा हूं। यहां विधानसभा चुनाव होने दीजिए, हम यह देखेंगे कि रैटल परियोजना से बिजली राजस्थान को ना जाए।

अब्दुल्ला ने कहा, "अगर हमें इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में ले जाना पड़ा तो, हम ऐसा करेंगे।"

इस सवाल का जवाब देते हुए कि क्या मुजफ्फर हुसैन बेग के पीडीपी में दोबारा शामिल होने से जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में कोई बदलाव आया है, उन्होंने कहा, “उन्होंने खुद कहा है कि उन्होंने कभी पीडीपी नहीं छोड़ी है।''

उन्‍होंने दावा करते हुए कहा कि माना जा रहा है कि जिस पार्टी को उन्होंने पीडीपी में शामिल होने के लिए छोड़ा था, वह कभी उसमें शामिल नहीं हुए थे। राजनीतिक परिदृश्य में किसी बदलाव का सवाल ही कहां उठता है।

उन्होंने कहा कि उन्हें कश्मीर में हालात वैसे ही मिले जैसे तब थे जब वह नए साल की छुट्टियों पर बाहर गए थे।

उन्होंने कहा, "बिजली, पीने के पानी की समस्या आज भी वैसी ही बनी हुई है। लगातार शुष्क मौसम ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है क्योंकि छाती से संबंधित बीमारियां अब बढ़ रही हैं।"

राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल होने के सवाल पर उन्‍होंने कहा, “व्यापारियों, क्रिकेटरों और फिल्मी सितारों सहित जिन लोगों को आमंत्रित किया जाना था, उन्हें निमंत्रण मिल गया है। मेरा नाम उस सूची में नहीं है। उद्घाटन में भाग लेने के लिए मेरी पसंद का सवाल कहां है?

अब्दुल्ला ने आगे कहा, “सच्चाई यह है कि मंदिर का निर्माण हो चुका है और अगर कोई इस मुद्दे का राजनीतिकरण करना चाहता है तो उन्हें ऐसा करने दीजिए।"


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