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मप्र में कांग्रेस ने फेंका कर्मचारियों को लुभाने चला बड़ा दांव

मध्यप्रदेश में भले ही विधानसभा के चुनाव एक साल बाद हो, मगर सियासी चौसर पर चालें तेजी से चली जाने लगी हैं। कांग्रेस ने कर्मचारियों को लुभाने के लिए बड़ा दांव चला है

मप्र में कांग्रेस ने फेंका कर्मचारियों को लुभाने चला बड़ा दांव
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भोपाल: मध्यप्रदेश में भले ही विधानसभा के चुनाव एक साल बाद हो, मगर सियासी चौसर पर चालें तेजी से चली जाने लगी हैं। कांग्रेस ने कर्मचारियों को लुभाने के लिए बड़ा दांव चला है और वादा किया है कि कांग्रेस सत्ता में आई तो पुरानी पेंशन बहाल की जाएगी। राज्य के कर्मचारियों द्वारा लंबे अरसे से पुरानी पेंशन की बहाली की मांग उठाई जाती रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि वर्ष 2005 के बाद राज्य में नौकरी पाए कर्मचारियों को पुरानी पेंशन सुविधा का लाभ नहीं मिलने वाला है। उन्हें अंशदाई पेंशन योजना का लाभ मिलेगा, इनमें सबसे ज्यादा संख्या शिक्षकों की है। वर्तमान में इन शिक्षकों के वेतन से 10 फीसदी की कटौती होती है और सरकार की ओर से 14 फीसदी अंशदान मिलाया जाता है।

मिली जानकारी के अनुसार एक जनवरी 2005 के बाद प्रदेश में लगभग साढ़े तीन लाख कर्मचारी सेवा में आ चुके हैं, जिन्हें पेंशन नियम 1972 के दायरे में नहीं रखा गया है, इनमें दो लाख 80 हजार से ज्यादा अध्यापक संवर्ग से हैं जो 2018 में शिक्षक बनाए गए हैं। इन्हें पुरानी पेंशन का लाभ नहीं मिलने वाला।

इन कर्मचारियों को सेवानिवृत्त होने पर अंशदायी पेंशन योजना के तहत कटौती की गई कुल राशि का 50 फीसदी एक मुक्त नकद दिया जाएगा, वहीं 50 फीसदी राशि के आधार पर पेंशन दी जाएगी। यह पेंशन उनकी शेयर मार्केट के ऊपर निर्भर है क्योंकि उनके वेतन और सरकार के अंशदान की राशि शेयर मार्केट में लगाई जाती है।

कर्मचारी अपने बुढ़ापे को ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए पुरानी पेंशन की लगातार मांग करते रहे हैं और इसी को लेकर कांग्रेस ने बड़ा दांव चला है। प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने कहा है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही पुरानी पेंशन योजना को लागू कर दिया जाएगा। ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकारों ने अपने राज्य कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर दिया है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य के साढ़े तीन लाख कर्मचारी हैं जो अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उन्हें नई पेंशन योजना में बहुत कम पेंशन मिलने वाली है, जिससे उनका बुढ़ापा मुसीबत भरा होगा। ऐसे में कांग्रेस ने पुरानी पेंशन का दांव चलकर भाजपा के सामने चुनौती खड़ी कर दी है। भाजपा इसका काट किस तरह खोजती है, यह बड़ा सवाल है।


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