Top
Begin typing your search above and press return to search.

ओडिशा को मिली पहली मुस्लिम महिला विधायक

32 साल की सोफिया फिरदौस ओडिशा की पहली मुसलमान महिला विधायक हैं. 2024 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बाराबती-कटक सीट से जीत हासिल की

ओडिशा को मिली पहली मुस्लिम महिला विधायक
X

ओडिशा। 32 साल की सोफिया फिरदौस ओडिशा की पहली मुसलमान महिला विधायक हैं. 2024 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बाराबती-कटक सीट से जीत हासिल की.

लोकसभा चुनाव 2024 के साथ ही संपन्न हुए ओडिशा विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी बीजू जनता दल (बीजेडी) को हार का सामना करना पड़ा. ओडिशा में बीते 24 वर्षों से नवीन पटनायक के नेतृत्व में बीजेडी की सरकार रही. सत्ता परिवर्तन के अलावा एक और दिलचस्प बदलाव यह हुआ कि ओडिशा में पहली बार किसी मुस्लिम महिला ने चुनाव जीता.

बाराबती-कटक विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार सोफिया फिरदौस ने 53,339 वोट हासिल किए और 8,001 वोटों से जीत दर्ज की. उनके मुकाबले बीजेपी के पूर्ण चंद्र महापात्रा को 45,338 और बीजेडी के प्रकाश चंद्र बेहरा को 40,035 वोट मिले. इन तीनों के अलावा इस सीट पर कोई और बड़ा उम्मीदवार नहीं था.

2019 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से सोफिया के पिता मोहम्मद मोकीम कांग्रेस के टिकट पर ही जीते थे. फिर भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में तीन साल की सजा सुनाए जाने के बाद वह चुनाव नहीं लड़ सकते थे. हालांकि, उनकी बेटी सोफिया जीत का श्रेय उन्हीं को देती हैं.

कौन हैं सोफिया फिरदौस?

32 साल की सोफिया ने भुवनेश्वर के कलिंग इंस्टिट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नॉलजी से सिविल इंजीनियरिंग और आईआईएम बेंगलुरु से मैनेजमेंट की पढ़ाई की है. उनके पिता मोकीम मेट्रो ग्रुप कंपनी के मालिक हैं, जो निर्माण और रियल एस्टेट में सक्रिय है. सोफिया इस कंपनी की निदेशक रह चुकी हैं. पिछले साल वह कॉन्फेडरेशन और रियल एस्टेट डेवलपर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया (सीआरईडीएआई) की भुवनेश्वर यूनिट की अध्यक्ष चुनी गई थीं.

सोफिया इस पद पर चुनी गईं पहली महिला थीं. सीआरईडीएआई भारत में निजी रियल एस्टेट डेवलपरों की शीर्ष संस्था है. बतौर उद्यमी करियर शुरू करने वाली सोफिया कहती हैं कि वह अपने पिता के साथ सक्रिय रूप से समाजसेवा करती आई हैं. वह कहती हैं कि जब अदालत ने उनके पिता को चुनाव लड़ने से रोक दिया, तब लोगों की मांग पर उन्होंने चुनाव में उतरने का फैसला किया.

क्या कहते हैं ओडिशा की बाराबती-कटक के समीकरण?

यह सीट 2009 में अस्तित्व में आई थी. तब से हुए चार चुनावों में से पहले दो में बीजेडी और बाद के दोनों में कांग्रेस जीती है. हालांकि, 2019 के विधानसभा चुनाव में सोफिया के पिता मोकीम करीब दो हजार वोटों से ही चुनाव जीते थे. 2018 में मोकीम ने मोकीम फाउंडेशन बनाया था, जिसने कोविड महामारी के दौर में लोगों की मदद की थी.

डीडब्ल्यू से बातचीत में सोफिया कहती हैं, "कटक में आज भी सभी धर्मों के बीच भाईचारा कायम है. हम दुर्गा पूजा में शामिल होते हैं और दूसरे लोग हमारे त्योहारों में उतनी ही शिद्दत से हिस्सा लेते हैं." अपने पिता का जिक्र करते हुए सोफिया कहती हैं, "मेरी जीत का श्रेय मेरे पिता को जाना चाहिए, क्योंकि चुनाव से ठीक पहले उन्होंने हमारी विधानसभा के हर वॉर्ड में एक रिपोर्ट कार्ड बांटा. इमसें उनके पिछले कार्यकाल के कामों का जिक्र था. लोगों ने हमारे काम को पहचाना और उसी की बदौलत मुझे जीत मिली."

राजनीतिक प्रतिनिधित्व में मुसलमानों की घटती हिस्सेदारी

समाचार एजेंसी एपी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1980 के दशक के मध्य तक भारत की कुल आबादी में मुस्लिमों की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत थी और संसद में उनके पास नौ प्रतिशत सीटें थीं. आज देश में मुस्लिमों की आबादी 14 फीसदी है, लेकिन संसद में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व घटकर पांच फीसदी से भी कम रह गया है. यही सूरत राज्यों के स्तर पर भी दिखती है. देश के 29 राज्यों की विधानसभाओं में 4,000 से ज्यादा विधायक हैं, लेकिन इनमें मुसलमान महज छह फीसदी हैं.

मुस्लिमों की घटती हिस्सेदारी पर सोफिया कहती हैं, "हमने चुनाव अभियान में धर्म के नाम पर वोट नहीं मांगा. हमारा मकसद काम के आधार पर वोट मांगना था. मैं आज जिस तरह चुनकर आई हूं, वैसे ही आगे भी अगर मुस्लिम समुदाय से और महिलाएं राजनीति में आएंगी, तो हमारा प्रतिनिधित्व बढ़ेगा."

क्यों कम चुने जा रहे हैं मुसलमान सांसद

युवाओं और रोजगार के मौके बढ़ाने पर जोर

डीडब्ल्यू से बातचीत में सोफिया ने कहा, "कटक के लोगों को रोजगार से जोड़ना हमारी पहली प्राथमिकता है. कटक चांदी की नक्काशी से जुड़े काम के लिए मशहूर है. हम कटक को इसका केंद्र बनाकर लोगों को न सिर्फ रोजगार दिलाएंगे, बल्कि इसे विदेशों में भी भेजेंगे."

साथ ही, वह कहती हैं कि एक वक्त में कटक को ओडिशा में खेलों की राजधानी माना जाता था. इस बात को और युवाओं को ध्यान में रखते हुए यहां के सभी इनडोर और आउटडोर स्टेडियम सुधारे जाएंगे और उनका बड़े पैमाने पर विस्तार किया जाएगा, ताकि युवाओं के लिए बेहतर मौके बनाए जा सकें.

ओडिशा में कांग्रेस का प्रदर्शन

सोफिया भले ओडिशा विधानसभा की पहली मुस्लिम महिला विधायक बन गई हों, लेकिन उनकी पार्टी की हालत राज्य में खराब है. वरिष्ठ पत्रकार केदार मिश्रा ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "ओडिशा में कांग्रेस की हालत खस्ता है. एग्जिट पोल में कांग्रेस को पांच से सात सीटें मिलने का आकलन था. अब कांग्रेस ने 14 सीटें जीत ली हैं, लेकिन ये नतीजे खुद कांग्रेस के लिए भी चौंकाने वाले हैं."

ओडिशा में 147 विधानसभा सीटें हैं. इस बार के चुनाव में बीजेपी ने 78, बीजेडी ने 51, कांग्रेस ने 14, सीपीआई (एम) ने एक और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 3 सीटें जीती हैं. नतीजों के बाद बीजेपी ने आदिवासी नेता और चार बार के विधायक मोहन चरण माझी को मुख्यमंत्री नियुक्त किया है.


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it