कॉमर्स, अर्थशास्त्र में घटती छात्रों की तादाद, बेरोजगार होते शिक्षक
दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में कक्षा 11वीं, 12वीं में कॉमर्स व अर्थशास्त्र विषय पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में विगत चार-पांच वर्षों से निरंतर गिरावट दर्ज की जा रही है

नई दिल्ली। दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में कक्षा 11वीं, 12वीं में कॉमर्स व अर्थशास्त्र विषय पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में विगत चार-पांच वर्षों से निरंतर गिरावट दर्ज की जा रही है। एक तरफ जहां शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं वहीं वाणिज्य संकाय और कला संकाय में अर्थशास्त्र जैसे महत्वपूर्ण विषय में छात्रों की घटती संख्या सवाल खड़े करती है।
शिक्षकों के मुताबिक कॉमर्स व अर्थशास्त्र विषयों के प्रति छात्रों में रुझान घटता जा रहा है जिससे इन विषयों को पढ़ाने वाले पीजीटी शिक्षकों के स्वीकृत पदों की संख्या कम होती जा रही है।
शिक्षकों ने बताया कि पिछले सत्र में भी वाणिज्य और अर्थशास्त्र विषय के स्वीकृत पदों में कमी के चलते काफी संख्या में गेस्ट टीचर्स को नौकरी से हटा दिया गया था, लेकिन दिल्ली के किसी भी स्कूल में पद रिक्त न होने के चलते किसी अन्य विद्यालयों में पुनर्नियुक्ति नहीं मिली हैं और प्रभावित अतिथि शिक्षक विभागीय अधिकारियों और कार्यालयों के धक्के खाने को मजबूर हैं।
अतिथि शिक्षकों ने बताया कि विभागीय स्तर पर पिछले सत्र में हटाये गए वाणिज्य और अर्थशास्त्र विषय के अतिथि अध्यापकों को नए सत्र में नौकरी देने का भरोसा दिया था, नया सत्र प्रांरभ हो चुका है लेकिन अभी तक किसी को भी नियुक्ति नहीं दी गई है। इन दोनों विषय को पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में कमी का खामियाजा अतिथि शिक्षकों को नौकरी से हाथ धोकर चुकाना पड़ रहा है।
पांच साल पहले वाणिज्य और अर्थशास्त्र विषय के अध्यापकों को खोजना पड़ता था, लेकिन आज हालात इतने बदतर हैं कि इतने महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक बेरोजगार होकर घर बैठने को मजबूर हैं।
जानकारी करने पर पता चला है कि अर्थशास्त्र और कॉमर्स के छात्रों की घटती संख्या का कारण उक्त विषयों में बोर्ड परीक्षाओं का रिजल्ट कम होना बताया जा रहा है। पहले कला संकाय में अर्थशास्त्र को आवश्यक विषय के रूप में पढ़ाया जाता था लेकिन कठिन विषय होने के कारण बोर्ड परिणाम में गिरावट के चलते विद्यार्थियों को अर्थशास्त्र के स्थान पर अपेक्षाकृत सरल और प्रयोगात्मक विषयों के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। बोर्ड परीक्षाओं में कम रिजल्ट आने से विभागीय दबाव और कार्यवाही के डर से विद्यालय प्रशासन विद्यार्थियों को कॉमर्स और अर्थशास्त्र विषय के स्थान पर अपेक्षाकृत सरल विषयों को पढ़ने के लिए दबाव बनाया जाता है ताकि बोर्ड परीक्षा परिणाम में सुधार कर विभागीय कार्यवाही से बचा जा सके।


