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परमाणु संपन्न देश के जवान इस्तेमाल कर रहे क्रूर हथियार

खबर के साथ लगी हुई तस्वीर को देखें। इससे सवाल उठता है कि क्या कोई इंसान इतना क्रूर हो सकता है..?

परमाणु संपन्न देश के जवान इस्तेमाल कर रहे क्रूर हथियार
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जम्मू । खबर के साथ लगी हुई तस्वीर को देखें। इससे सवाल उठता है कि क्या कोई इंसान इतना क्रूर हो सकता है..? यदि धोखेबाज चीन के सैनिकों की बात करें तो इसका जवाब हां में ही होगा। दरअसल, भारत और चीन के सैनिकों के बीच झूमाझटकी और सामान्य मारपीट की खबरें तो पहले भी आती रही हैं, लेकिन इस बार चीन के सैनिकों ने जो बर्बरता का प्रदर्शन किया वह अमानवीयता की पराकाष्ठा थी।

हालांकि इस बात को लेकर अभी आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन कुछ फोटो सामने आए हैं, जो चीनी सैनिकों की क्रूरता की कहानी खुद बयां कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि सीमा भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच कभी तकरार नहीं हुई थी। पहले भी ऐसा कई बार हुआ है, लेकिन तब झड़प में झूमाझटकी या पत्थरबाजी की घटनाएं ही देखने में आती थीं।

लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में भारत के कई जवान शहीद हो गये। चीनी सेना को भी इस झगड़े का खमियाजा भुगतना पड़ा है। मगर परिस्थितियों का आकलन किया जाये तो ऐसा स्पष्ट है कि चीनी सेना की नीयत पहले से ही ठीक नहीं थी। चीनी सेना हमले की तैयारी के साथ वहां पहुंची थी। जवानों की आपबीती से यह स्पष्ट तो है ही , चीनी हथियारों की जवानों द्वारा खींची गयी तस्वीरें सच बयां कर रही हैं। ऐसी ही एक तस्वीर में चीनी हथियार दिखाये गये हैं जो घटनास्थल से बरामद हुए हैं। इनमें राडों पर बड़ी नुकीली कीलों को वेल्डिंग करके हमले के लिये तैयार किया गया है। इन्हीं हथियारों से लाल सेना द्वारा भारतीय जवानों पर हमला किया गया था।

लेकिन, इस बार चीन ने फिर 1962 के युद्ध की याद दिला दी जब वह सामने से हिन्दी-चीनी भाई-भाई का नारा लगा रहा था, वहीं पर्दे के पीछे से भारत की पीठ में खंजर घोंपने की साजिश रच रहा था। 1962 में धोखे से किए गए चीनी हमले में भारत को काफी नुकसान उठाना पड़ा था।

पूरी दुनिया जानती है कि चीन की नीतियां हमेशा से विस्तारवादी रही हैं। यही कारण है कि उसके हर पड़ोसी देश से सीमा को लेकर संबंध अच्छे नहीं है। क्योंकि चीन अनावश्यक रूप से दूसरे देश की सीमा में घुसपैठ की कोशिशें करता रहता है।

भारतीय लोगों के मन में अब यही सवाल उठ रहा है कि क्या भारत चीनी सैनिकों की इस क्रूरता का बदला लेगा? यदि हम चीन को उसी की भाषा में जवाब देने में सफल होते हैं तो निश्चित ही यह शहीद सैनिकों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी और चीन के लिए सबक भी।

--सुरेश एस डुग्गर--


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