मानवता के लिए एक बड़ा खतरा बनकर उभर रहे हैं परमाणु ऊर्जा संयंत्र
युद्धों का मतलब सैन्य औद्योगिक परिसरों के लिए बहुत बड़ा मुनाफ़ा है। कहा जाता है कि वर्तमान सैन्य गतिविधि के कारण पर्यावरण को होने वाला नुकसान कुल पर्यावरणीय गिरावट का लगभग 5.4प्रतिशत है

- डॉ. अरुण मित्रा
युद्धों का मतलब सैन्य औद्योगिक परिसरों के लिए बहुत बड़ा मुनाफ़ा है। कहा जाता है कि वर्तमान सैन्य गतिविधि के कारण पर्यावरण को होने वाला नुकसान कुल पर्यावरणीय गिरावट का लगभग 5.4प्रतिशत है। परमाणु हथियारों की मौजूदगी ही एक बड़ा खतरा है। अगर इन हथियारों का इस्तेमाल नहीं भी किया जाता है, तो भी इनके रखरखाव में शामिल लागत का प्रभाव स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य सामाजिक जरूरतों पर किये जाने वाले निवेश पर पड़ता है।
पहले ज़ापोरिज्जिया और अब कुर्स्क में परमाणु ऊर्जा संयंत्र खतरे में हैं, जो अत्यधिक चिंता का विषय हैं। संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (एआईईए) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने 27 अगस्त को रूस के कुर्स्क परमाणु संयंत्र के दौरे के दौरान चेतावनी दी कि स्थिति बहुत गंभीर है क्योंकि यह संयंत्र युद्ध क्षेत्र से मुश्किल से 50 किलोमीटर दूर स्थित है।
आईएईए ने परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लिए खतरे के बारे में कई चेतावनियां जारी की हैं, खासकर रूसी सेना द्वारा दक्षिणी यूक्रेन में ज़ापोरिज्जिया परमाणु संयंत्र पर कब्ज़ा करने के बाद। आईएईए प्रमुख ने चेतावनी दी कि परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर कभी भी हमला नहीं किया जाना चाहिए। यह एक अत्यंत गंभीर चेतावनी है जो आईएईए प्रमुख के मुंह से निकली है। थ्री माइल आइलैंड, चेरनोबिल और फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र आपदाओं की भयानक यादें हमें उन क्षेत्रों में और उसके आसपास के क्षेत्रों में जीवन और बुनियादी ढांचे के भारी नुकसान की याद दिलाती हैं, साथ में विकिरणों के दीर्घकालिक परिणाम की भी। इसलिए वैश्विक समुदाय न केवल चिंतित है बल्कि भयभीत भी है कि अगर यूक्रेन में युद्ध बढ़ता है, तो परमाणु दुर्घटना के खतरे से इंकार नहीं किया जा सकता है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी संप्रभुता या क्षेत्र को खतरा हुआ तो उनका देश परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने यह बयान 5 जून 2024 को दिया जब वे रूस द्वारा 2022 में यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण शुरू करने के बाद पहली बार अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों के वरिष्ठ संपादकों से व्यक्तिगत रूप से मिले।
रूस-यूक्रेन क्षेत्र के अलावा, गाजा में महिलाओं और बच्चों पर चल रहा इजरायली आक्रमण दिल दहला देने वाला है। गाजा के नागरिकों को मवेशियों के झुंड की तरह इधर-उधर धकेला जा रहा है। इजरायली सुरक्षा बलों ने उन्हें सुरक्षित स्थानों पर जाने या मौत का सामना करने के लिए कहा है। लेकिन तथाकथित सुरक्षित स्थानों पर भी हमले किये जाते हैं और बच्चों और महिलाओं को बिना किसी दोष के मार दिया जाता है। 7 अक्टूबर से, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वास्थ्य सुविधाओं पर कुल 890 हमले दर्ज किये हैं, जिनमें से 443 गाजा में और 447 पश्चिमी तट पर हुए हैं।
अस्पतालों को आम तौर पर युद्ध के समय सुरक्षित स्थान माना जाता है क्योंकि युद्धरत पक्षों से जिनेवा कन्वेंशन के अनुसार स्वास्थ्य सुविधाओं पर हमला नहीं करने की अपेक्षा की जाती है, जिसमें कहा गया है कि 'घायलों और बीमारों, अशक्तऔर प्रसूति मामलों की देखभाल करने के लिए संगठित नागरिक अस्पताल किसी भी परिस्थिति में हमले का लक्ष्य नहीं हो सकते हैं, और संघर्ष में शामिल पक्षों द्वारा हर समय उनका सम्मान और संरक्षण किया जाना चाहिए।' इसलिए कई बार नागरिक सुरक्षा के लिए अस्पतालों में जाने की कोशिश करते हैं।
गाजा में गंभीर भीषण संकट है क्योंकि गाजावासियों तक मानवीय सहायता पहुंचने में कई बाधाएं हैं। डब्ल्यू एच ओ और यूनिसेफ ने बीमारियों में वृद्धि के बारे में चेतावनी दी है। निवासियों में पोलियो वायरस का पता चलने से चिकित्सा बिरादरी हिल गयी है। 40,000 से ज़्यादा लोगों की मौत 1948 के नकबा की पुनरावृत्ति है, जब दर्जनों नरसंहारों में फ़िलिस्तीनी अरबों को निशाना बनाया गया था और 500 से ज़्यादा अरब-बहुल शहर, गांव और शहरी इलाके उजड़ गये थे, जिनमें से कई या तो पूरी तरह से नष्ट हो गये या यहूदियों ने उन्हें फिर से आबाद कर दिया और उन्हें नए हिब्रू नाम दिये।
हर गुज़रते दिन के साथ युद्ध का क्षेत्र लेबनान की ओर बढ़ रहा है। यह एक गंभीर ख़तरा है क्योंकि ईरान और इज़राइल के बीच तनाव बढ़ रहा है। इज़राइल पहले से ही एक परमाणु हथियार रखने वाला देश है और ईरान के पास परमाणु शक्ति है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की कैबिनेट के एक अति-दक्षिणपंथी सदस्य अमीचाई एलियाहू ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से इंकार नहीं किया है। उनके बयान को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि इज़राइल ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) के फ़ैसलों को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया है। कोई आश्चर्य नहीं कि इज़राइल को ऐसे मामलों में अमेरिका का समर्थन प्राप्त है।
यह सर्वविदित है कि युद्ध के समय मानव कल्याण के मुद्दे पीछे छूट जाते हैं। कई अफ्रीकी देशों में भूख, अभाव और बीमारियां आंतरिक कलह का कारण बन गयी हैं। इनमें बुर्किना फासो, कैमरून, मध्य अफ्रीकी गणराज्य (सीएआई), कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इथियोपिया, माली, मोजाम्बिक, नाइजीरिया, नाइजर, सेनेगल, सोमालिया, दक्षिण सूडान और सूडान शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र के मंचों पर इन देशों में स्थिति को आसान बनाने के बारे में बहुत कम चर्चा होती है।
युद्धों का मतलब सैन्य औद्योगिक परिसरों के लिए बहुत बड़ा मुनाफ़ा है। कहा जाता है कि वर्तमान सैन्य गतिविधि के कारण पर्यावरण को होने वाला नुकसान कुल पर्यावरणीय गिरावट का लगभग 5.4प्रतिशत है। परमाणु हथियारों की मौजूदगी ही एक बड़ा खतरा है। अगर इन हथियारों का इस्तेमाल नहीं भी किया जाता है, तो भी इनके रखरखाव में शामिल लागत का प्रभाव स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य सामाजिक जरूरतों पर किये जाने वाले निवेश पर पड़ता है। परमाणु हथियारों को खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय अभियान (आईसीएएन) ने इन हथियारों के उत्पादन और रखरखाव पर बर्बाद किये गये धन की उपयोगिता की तुलना करते हुए आंकड़े पेश किए हैं।
आईसीएएन ने कहा कि दुनिया भर में स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियां लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने में असमर्थ हैं, जबकि परमाणु हथियार संपन्न देशों ने 2023 में अपने परमाणु शास्त्रागार को आद्यतन करने पर 91.4अरब अमेरिकी डॉलर बर्बाद कर दिये। इसकी रिपोर्ट बताती है कि यह राशि संयुक्त राज्य अमेरिका में 718,930 नर्सों के वार्षिक वेतन को कवर करने के लिए बेहतर तरीके से खर्च की जा सकती थी जबकि खसरा, कण्ठमाला और रूबेला के खिलाफ 5,34,35,40,72,239 बच्चों का टीकाकरण; कोविड के खिलाफ 2,28,30,27,774 लोगों का टीकाकरण; एक साल के लिए अकाल से 58,70,64,285 लोगों को बचाना; 6,08,80,74,06,304 पेड़ लगाना; या 1,39,81,01,964 लोगों को एक साल का स्वच्छ जल प्रदान करना संभव था।
ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं। देशों और समाजों को खतरे का अहसास होना चाहिए। स्थायी शांति और परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए प्रस्तावों को पारित करना और उन्हें लागू करना संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का प्राथमिक कर्तव्य है। जी-20, जो शक्तिशाली देशों का एक समूह है, को परमाणु निरस्त्रीकरण सुनिश्चित करना चाहिए। असैन्य समाज को भी नौ परमाणुसंपन्न देशों पर परमाणु हथियारों के निषेध पर बहुपक्षीय संयुक्त राष्ट्र संधि (टीपीएनडब्ल्यू) में शामिल होने के लिए पहले से कहीं अधिक मजबूती से अपनी आवाज उठानी होगी।


