Top
Begin typing your search above and press return to search.

अब पवन ऊर्जा से बिजली का एनटीपीसी करा रहा अध्ययन:जीएम

एनटीपीसी कोरबा अब पवन ऊर्जा से बिजली उत्पन्न करने के प्रयासों पर जोर दे रहा है

अब पवन ऊर्जा से बिजली का एनटीपीसी करा रहा अध्ययन:जीएम
X

कोरबा-जमनीपाली। एनटीपीसी कोरबा अब पवन ऊर्जा से बिजली उत्पन्न करने के प्रयासों पर जोर दे रहा है। विण्ड एनर्जी के लिए प्रस्ताव पर अध्ययन कराया जा रहा है कि कोरबा में यह लग सकता है या नहीं। बिलासपुर में इससे पहले अध्ययन हुआ है। विण्ड मास्ट लगाने के लिए क्रेडा के साथ मिलकर प्रयास किया जा रहा है। एनटीपीसी जीरो लिक्विड डिस्चार्ज की दिशा में काम कर रहा है और निगम से भी एमओयू हुआ है कि कोरबा के ड्रेनेज का पानी एक जगह इकट्ठा कर एनटीपीसी को दिया जायेगा, जिसे ट्रीटमेंट कर संयंत्र में उपयोग लिया जाएगा।

एनटीपीसी कोरबा के कार्यपालक निदेशक एन के सिन्हा ने विकास भवन स्थित सभाकक्ष में मीडिया से चर्चा की। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अधिकरण क्रेडा के साथ मिलकर एनटीपीसी कोरबा ने पवन ऊर्जा से बिजली उत्पन्न करने की तैयारी प्रारंभ कर दी है। इसके लिए एनटीपीसी में क्रेडा के द्वारा ही निर्धारित एजेंसी से एक हाईमॉस टॉवर लगा कर अध्ययन कराया जाएगा। आगामी एक माह के भीतर इस पर कार्य प्रारंभ हो जाएगा।

संयंत्र से निकली राख की उपयोगिता पर कहा कि एनटीपीसी अन्य संयंत्रों के मुकाबले काफी आगे है, प्रबंधन ने इस वर्ष करीब 50 फीसदी राख की उपयोगिता सुनिश्चित की है। एसईसीएल की सुराकछार भूमिगत खदान में प्रतिदिन 400 से 500 टन राख भरी जा रही है। इस खदान को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में एनटीपीसी ने राख उपयोगिता के लिए चुना है जहां 2 लाख टन राख प्रतिमाह डाला जाना है, किन्तु प्रारंभिक समस्याओं के कारण 25 हजार टन राख ही डाली जा सकी है। इसके अलावा मानिकपुर खदान में राख भराव का कार्य शीघ्र प्रारंभ किया जाएगा।

एक सवाल पर बताया कि कटघोरा से अंबिकापुर राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण में भी राख की उपयोगिता की गई है। श्री सिन्हा ने जानकारी दी कि माटीकला बोर्ड के संबंध में शासन ने सभी पावर प्लांट प्रबंधनों की बैठक में निर्देश दिए हैं कि प्लांटों द्वारा जमीन, बिजली, पानी की सुविधा दी जाएगी, जिससे फ्लाई ऐश ब्रिक्स का निर्माण बड़े पैमाने पर होगा। इससे एक तो अनेक लोगों को रोजगार मिलेगा साथ ही राखड़ की उपयोगिता होने के साथ लाल ईंट के उपयोग में कमी आएगी। प्राप्त लक्ष्य की प्राप्ति पर कहा कि विभिन्न तरह के लक्ष्य थे जिन्हें पूरा कर लिया गया है और मार्च-2018 तक लक्ष्य से भी आगे निकल जाएंगे। पत्रवार्ता में एनटीपीसी के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

वायु और जल प्रदूषण के प्रति भी गंभीर
प्रदूषण के सवाल पर श्री सिन्हा ने कहा कि वायु और जल प्रदूषण के प्रति हम गंभीर हैं। संयंत्र की ईएसपी पुराने आधार पर थी जिसके कारण राख ज्यादा मात्रा में उत्सर्जित होती थी। प्रबंधन के ईएसपी के मॉडूलर बनाने का कार्य भी आने वाले मार्च माह तक पूरा हो जाएगा।

400 करोड़ की लागत से 5 पुरानी यूनिट के ईएसपी का नवीनीकरण कार्य पूरा कर लिया गया है जबकि सिर्फ 6 नंबर यूनिट का कार्य पूरा होना शेष है, इसके बाद संयंत्र से वायु प्रदूषण नहीं के बराबर होगा। उन्होंने बताया कि मार्च- 2018 से ड्रेनेज वाटर पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी। इस दिशा में 60 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। संयंत्र के पानी को बाहर न निकालकर उसी पानी को उपचारित कर पुन: उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा प्रबंधन ने नगर पालिक निगम के साथ एक एमओयू भी किया है जिसके तहत निगम क्षेत्र से निकलने वाले ड्रेनेज वॉटर को साफ कर संयंत्र में उपयोग लाया जाएगा।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it