एनपीआर बहाना, मोदी सरकार का चुनाव पर निशाना
बीजेपी चुनाव के लिए क्या कुछ कर जाती है, इस बात से हर कोई वाकिफ है…अब बिहार और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके लिए बीजेपी ने बिसात बिछानी भी शुरू कर दी है

बीजेपी चुनाव के लिए क्या कुछ कर जाती है, इस बात से हर कोई वाकिफ है…अब बिहार और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके लिए बीजेपी ने बिसात बिछानी भी शुरू कर दी है…यहां तक कि केंद्र के उन फैसलों में बदलाव किया जा रहा है. जिसका ढोल तमाम नेता बजाते आ रहे थे…जी हां एनपीआर को लेकर सरकार झुकने को राजी हो गई है उसने गुपचुप तरीके से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं… नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर यानी एनपीआर को लेकर पूरा देश आवाज उठाता रहा…विपक्ष ने सरकार के कदम की आलोचना की…यहां तक कि नीतीश ने भी अलग राग अलाप लिया…लेकिन मोदी सरकार ने अपने कदम पीछे नहीं खींचे..लेकिन जैसे ही बिहार चुनाव और पश्चिम बंगाल चुनाव की आहट हुई…वैसे ही मोदी सरकार मुलायम हो गई..और गुपचुप तरीके से कदम पीछे खींच लिए…जीहां एनपीआर में पूछे जाने वाले विवादित सवाल सरकार ने हटा लिए हैं… अब एनपीआर के तहत पूछे जाने वाले सवालों में से मातृभाषा, माता-पिता के जन्म की तारीख और स्थान वाले सवाल आधिकारिक वेबसाइट से हटा लिए गए हैं. अब केवल व्यक्ति का नाम, घर के मुखिया से रिश्ता, पिता का नाम, माता का नाम, पति का नाम, लिंग, जन्म की तारीख, वैवाहिक स्थिति, जन्म स्थान पूछा जाएगा…इस सूची से मातृभाषा के बारे में सवालों को छोड़ दिया गया है…यहां तक कि आधार नंबर का खुलासा करना भी वैकल्पिक है…मोदी सरकार के इस कदम से साफ है कि वो चुनाव के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं ...गौरतलब है कि झारखंड, तेलंगाना, केरल, पंजाब, राजस्थान, बिहार, पश्चिम बंगाल और दिल्ली समेत 11 राज्यों ने एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए थे…यहां तक कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कहा था कि एनपीआर को उनके राज्य में उस रूप में अनुमति नहीं दी जा सकती है, जिसमें विवादास्पद प्रश्न शामिल हैं और केवल 2011 के प्रारूप के अनुसार आयोजित किए जाने की अनुमति हो सकती है…इस रुख के बाद भी सरकार नहीं झुकी लेकिन जैसे ही चुनावी दस्तक हुई, वैसे ही सरकार ने पलटी मार ली…इसके बाद कहा जा सकता है कि मोदी सरकार चुनाव के लिए कुछ भी करेगी..


