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अब अफ्रीकन स्वाइन फीवर का खतरा, रोकथाम के लिए मारे जाएंगे 5000 सुअर
स्वाइन फीवर से रोकथाम के लिए इन्फेक्टेड जोन में सुअरों को मानवीय तरीके से मारकर उसका मुआवजा बांटा जाता है। इसके साथ ही रोग नियंत्रण के लिए सुअरों के मांस की बिक्री और उसके परिवहन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी जाती है।

गजेन्द्र इंगले
शिवपुरी: शहर में लगातार हाे रही सूअराें की मौत ने पशु पालन विभाग सकते में है। हालांकि इन मौतों का कारण अफ्रीकन स्वाइन फीवर है, यह पता चल गया है। पशुपालन विभाग द्वारा हाई सिक्योरिटी लैब भोपाल भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट में इस बीमारी की पुष्टि हुई है। खास बात यह है कि रिपोर्ट आने तक शिवपुरी शहर में 2 हजार से अधिक सूअरों की मौत हो चुकी है। इनमें से ज्यादातर माैतें दिसंबर में हुई हैं। अब पशु पालन विभाग स्वाइन फीवर से निपटने में जुट गया है।
स्वाइन फीवर की रोकथाम के लिए भारत सरकार के नेशनल एक्शन प्लान के मुताबिक, प्रभावित इलाके की एक किलोमीटर की परिधि को इनफेक्टेड जोन और इसके आस-पास की नौ किमी की परिधि को सर्विलांस जोन घोषित किया जाता है। वहीं, इन्फेक्टेड जोन में सुअरों को मानवीय तरीके से मारकर उसका मुआवजा बांटा जाता है। इसके साथ ही रोग नियंत्रण के लिए सुअरों के मांस की बिक्री और उसके परिवहन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी जाती है।
मामले की गम्भीरता को देखते हुए पशुपालन विभाग ने प्रशासन के साथ नगर पालिका और पुलिस की बैठक बुलाई है। इस बैठक में रूपरेखा तय कर केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अनुसार सूअराें को मारने पर चर्चा की जाएगी। वहीं पशुपालन विभाग का कहना है कि अफ्रीकन स्वाइन फीवर से आम लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह फीवर मनुष्य में नहीं फैलता है।
शहर में बाकी 5 हजार सूअरों को भी मारा जाएगा। इसके लिए सुअरों को पकड़ कर बेहोश कर इनके दिल में इंजेक्शन लगाकर इन्हें मारा जाएगा। इसकी तैयारी भी शुरू हो गई है।
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