अब मार्च में होगा भाकियू का आंदोलन
भारतीय किसान यूनियन का राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन अब 3 मार्च को होगा। पहले यह प्रदर्शन 27 नवम्बर को होना था

नई दिल्ली। भारतीय किसान यूनियन का राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन अब 3 मार्च को होगा। पहले यह प्रदर्शन 27 नवम्बर को होना था। किसान यूनियन ने आज किसानों की आत्महत्या रोकने और किसानों को कर्जमुक्त बनाने के लिए बजट में विशेष प्रावधान करने और कृषि संकट से निपटने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने की मांग की।
पत्रकारों से चर्चा करते हुए भाकियू नेता राकेश टिकैत, अजमेर सिंह लाखोवाल और युद्धवीर सिंह कहा, कि नेशनल सैम्पल सर्वे की 70वीं रिपोर्ट में एक किसान की परिवार की औसत मासिक आय 3844 रुपए है।
जिसमें पशुपालन भी शामिल है। इस मासिक आय में परिवार का पालन-पोषण सम्भव नहीं है। देश में खेती छोड़ने का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। भारत सरकार का बिना किसी योजना एवं कार्यक्रम के किसानों की आय दोगुना करने का नारा भी खोखला साबित हो रहा है। देश में जगह-जगह इन विषयों पर आन्दोलन हो रहें हैं, लेकिन सरकार आन्दोलनकारियों से वार्ता कर समाधान करने के बजाए दमनकारी नीतियां अपना रही है। किसान नेताओं ने मांग की, कि भारतीय किसान यूनियन मांग करती है कि किसानों को उनकी फसलों का मूल्य, उत्पादन लागत में 50 प्रतिशत जोड़कर उचित लाभकारी मूल्य दिया जाए।
कृषि मूल्य आयोग को समाप्त कर कृषि विश्वविद्यालयों की लागत से किसान की फसल उत्पादन की लागत मानी जाए। किसान नेताओं ने मांग की, कि देश में सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करते हुए फसल खरीद की गारंटी सुनिश्चित की जाए। उनकी मांग है, कि खेती किसानी की खराब हालत को देखते हुए देश के किसानों के सभी तरह के कृषि ऋण एक बार पूर्णत: माफ किए जाए। साथ ही कृषि क्षेत्र के संकट को देखते हुए किसानों को लम्बी समयावधि के लिए कर दिये जाने का आवश्यकता है। किसानों को क्रेडिट कार्ड, फसली ऋण व मशीनरी हेतु पांच वर्ष के लिए शून्य ब्याज दर पर कर्ज दिया जाए।
किसान क्रेडिट कार्ड पर कम ब्याज की सीमा को तीन लाख रूपये को बढ़ाकर पांच लाख तक करते हुए मूलधन को भी नवीनीकरण समय पांच वर्ष के साथ ही जमा किये जाने का प्रावधान करते हुए वार्षिक ब्याज जमा कराया जाए। किसान नेताओं ने किसान आय आयोग के गठन की मांग की, जो यह तय करे, कि किसान की आय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से कम न हो। किसान नेताओं ने भंड़ारण की सही व्यवस्था करने, जीएम फसलों पर रोक लगाने, गन्ना किसानों का तत्काल भुगतान करने तथा विश्व व्यापार संगठन के दबाव में आकर किसी भी कीमत पर किसानों के हितों से समझौता न करने की मांग की।
किसान महापंचायत की तारीख बदलने के लेकर युद्धवीर सिंह का कहना था, कि इस समय किसान बोवनी का काम कर रहा है, दूसरी तरफ गन्ना की तुलाई हो रही है, इसे ही देखते हुए इस आंदोलन को आगे बढ़ाया गया है।


