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अब कश्मीर में हायर सेकेंडरी स्कूल और कॉलेज खोलने का खतरा मोल लेगी सरकार

हाईस्कूल तक की कक्षाओं का आयोजन पिछले एक महीने से किया जा रहा है पर इनमें शामिल होने वाले छात्र छात्राओं की संख्या अभी भी नगण्य

अब कश्मीर में हायर सेकेंडरी स्कूल और कॉलेज खोलने का खतरा मोल लेगी सरकार
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--सुरेश एस डुग्गर--

जम्मू। क्या कल से कश्मीर का माहौल बदल जाएगा? ऐसी उम्मीद और आशंका भी है क्योंकि प्रशासन ने सभी हायर सेंकेंडरी स्कूलों को कल से खोलने की घोषणा की है और अगर सब ठीक रहा तो 9 अक्तूबर से कश्मीर के सभी कालेज भी खोल दिए जाएंगें।

हाईस्कूल तक की कक्षाओं का आयोजन पिछले एक महीने से किया जा रहा है पर इनमें शामिल होने वाले छात्र छात्राओं की संख्या अभी भी नगण्य है। कई कारण हैं इसके। सरकार द्वारा लगाए गए अघोषित कर्फ्यू के चलते बच्चों का स्कूलों तक पहुंचना अभी भी असंभव है। गली-सड़क से निकलने पर सुरक्षाकर्मी कर्फ्यू पास की मांग करते हैं और सरकार बयान जारी कर कहती है कि कर्फ्यू है ही नहीं।

बच्चो को स्कूलों तक छोड़ने के लिए स्कूली वाहन या प्रायेवट वाहन भी सड़कों से नदारद हैं। ऐसे में अब हायर सेकेंडरी कक्षाओं में छात्र आएंगें क्या, सबसे बड़ा प्रश्न कश्मीर में यही है जो पिछले दो महीनों से कैद में है।

ऐस बड़ा कारण इस आशंका के पीछे अभी तक संचार माध्यमों पर लगी हुई रोक भी है। ‘मेरा बच्चा स्कूल पहुंचा या नहीं, घर कब पहुचेंगा, कैसे जान पाउंगा जबकि संचार माध्यम ही बंद हैं,’अबी गुजर का रहने वाला रहीम कहता था जिसने अपने छोटे बच्चों को अभी भी स्कूल नहीं भेजा और बड़ी बेटी को 12वीं की कक्षा में भेजने को तैयार नहीं है।

हालांकि संचारबंदी, लाकडाउन और अघोषित कर्फ्यू पाबंदियों के बीच कश्मीर में 3 अक्तूबर से हायर सेंकेंडरी स्कूलों तथा 9 अक्तूबर से कालेजों की कक्षाएं लगाने के प्रशासन के फैसले में कई खतरे भी छुपे हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक सुरक्षाधिकारी का कहना था की 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले तथा कालेज के छात्र अक्सर पत्थरबाजी में लिप्त होते हैं और अगर उन्हें घरों से निकलने की अनुमति दी गई तो कश्मीर में पत्थरबाजी फिर से तेजी पकड़ लेगी।

वे मानते हैं कि स्कूल व कालेज बंद रहने से बच्चों की पढ़ाई का नुक्सान हो रहा है लेकिन उन्हें इस बात का भी डर है कि स्कूल कालेजों को खोलने से कश्मीर का माहौल खराब होगा। पत्थबाजी बढ़ेगी तथा अभिभावकों की जान सांसत में फंसी रहेगी।


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