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स्टिंग ऑपरेशन में त्रिवेंद्र के भाई एवं अन्य को नोटिस जारी

उत्तराखंड की राजनीति में खलबली मचाने वाले बहुचर्चित स्टिंग आॅपरेशन से मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं

स्टिंग ऑपरेशन में त्रिवेंद्र के भाई एवं अन्य को नोटिस जारी
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नैनीताल। उत्तराखंड की राजनीति में खलबली मचाने वाले बहुचर्चित स्टिंग आॅपरेशन से मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री के भाई को इस मामले में पक्षकार बनाने के निर्देश दिये हैं और साथ ही उन्हें नोटिस जारी किया गया है।

अदालत ने देहरादून की निचली अदालत को भी स्टिंग के आरोपी एवं एक चैनल में एडिटर इन चीफ उमेश कुमार शर्मा की जमानत याचिका पर शक्रवार को सुनवाई करने का अनुरोध किया है।

मामले की सुनवाई आज मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक सिंह की युगलपीठ में हुई। आरोपी उमेश शर्मा के अधिवक्ता गोपाल के. वर्मा ने बताया कि इस मामले में अन्य कई लोगों को भी नोटिस जारी किया गया है। जिनमें मुख्यमंत्री के भाई वीरेन्द्र सिंह भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि अदालत ने उन सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है जो स्टिंग की वीडियो में शामिल हैं। सभी को चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा गया है। इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से मुख्यमंत्री को भी पक्षकार बनाया गया है लेकिन अदालत ने मुख्यमंत्री को नोटिस जारी नहीं किया है।

श्री वर्मा ने आगे बताया कि अदालत ने इस मामले में सरकार से भी जवाब पेश करने को कहा है और साथ ही निचली अदालत को जमानत प्रार्थना पत्र को कल पूरी तरह से कानून सम्मत तरीके से निस्तारित करने का अनुरोध किया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आरोपी उमेश शर्मा के जमानत प्रार्थना पत्र पर शुक्रवार को निर्णय हो जाएगा।

इसके साथ ही अदालत ने सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि वह जमानत प्रार्थना पत्र पर निचली अदालत में कल होने वाली सुनवाई को किसी तरह से मुलतवी करने का प्रयास न करे।

श्री वर्मा ने यह भी बताया कि अदालत ने स्टिंग वीडियो में शामिल संजय गुप्ता के अलावा मामले के जांच अधिकारी और अन्य आठ लोगों को भी नोटिस जारी किया है। साथ ही अगले आदेश तक आरोपी उमेश के ब्रेन मैपिंग टेस्ट न कराने को कहा है। इस मामले में आरोपी की ओर से पेश अधिवक्ता केटीएस तुलसी की ओर से कल उच्चतम न्यायालय के सेल्वी एवं अन्य बनाम कर्नाटक सरकार के आदेश का हवाला देते हुए सरकार के पोलिग्राफ एवं नार्को एनालिसिस टेस्ट कराने के कदम का विरोध किया गया।

अधिवक्ता तुलसी ने कहा कि बिना आरोपी की सहमति के पोलीग्राफ एवं नार्को एनालिसिस टेस्ट नहीं कराया जा सकता है। इसके बाद सरकार की ओर से भी इस मामले में ब्रेन मैपिंग टेस्ट न कराने की अदालत को सहमति दी गयी है। अदालत ने सरकार के बयान को अपने रिकाॅर्ड में ले लिया है।

उल्लेखनीय है कि उमेश कुमार शर्मा इन दिनों न्यायिक हिरासत में हैं। आरोपी की ओर से उच्च न्यायालय में अंतरिम जमानत के लिये प्रार्थना पत्र पेश किया गया। इसके अलावा आरोपी की ओर से मामले की जांच किसी सरकारी एजेंसी करने के बजाय किसी निष्पक्ष एजेंसी से कराने की मांग भी अदालत से गयी है।

इस मामले में अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होगी।


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