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नोटबंदी ने गरीबों को गिराया, अमीरों को उठाया

बंद नोटों का 99% बैंकिंग सिस्टम में वापस आने से साफ़ है कि काला धन मिटाने का लक्ष्य तो पूरा हुआ ही नहीं, बल्कि वह सफ़ेद हो गया

नोटबंदी ने गरीबों को गिराया, अमीरों को उठाया
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रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा (माले-लिबरेशन), एसयूसीआई(सी), छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, मजदूर-किसान कार्यकर्ता समिति (छमुमो) ने नोटबंदी की वर्षगांठ पर मोदी-रमन की भाजपा सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था, जनतंत्र और सांप्रदायिक सद्भाव पर किए जा रहे हमलों के खिलाफ 8 नवम्बर को ‘धिक्कार दिवस’ मनाने का फैसला किया है।

इन पार्टियों व संगठनों ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार आम जनता से किए गए वादों को पूरा करने के बजाये, सत्ता की ताकत का उपयोग कार्पोरेटों के मुनाफों को ही बढ़ाने के लिए कर रही है।

आज यहां जारी एक बयान में इन पार्टियों व संगठनों ने रेखांकित किया है कि नोटबंदी और जीएसटी के बाद अर्थव्यवस्था को जो भारी धक्का पहुंचा है, उसने गरीबों को और गिराया है तथा अमीरों को ऊपर उठाया है। बंद नोटों का 99% बैंकिंग सिस्टम में वापस आने से साफ़ है कि काला धन मिटाने का लक्ष्य तो पूरा हुआ ही नहीं, बल्कि वह सफ़ेद हो गया। भ्रष्टाचारी मौज में रहे और गरीबों को लाइन में लगकर अपनी जान गंवानी पड़ी। अब यह साफ़ है कि नोटबंदी का मूल मकसद यही था कि अनौपचारिक क्षेत्र को औपचारिक क्षेत्र में बदला जाए। लेकिन इस कसरत से असंगठित क्षेत्र में करोड़ों लोगों को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा और संगठित क्षेत्र में कार्पोरेटों की लूट और मुनाफा बटोरने का रास्ता खुला।

उन्होंने आरोप लगाया कि चाहे न्यूनतम समर्थन मूल्य का मुद्दा हो, किसानों की कर्जमुक्ति का सवाल हो या रोजगार देने का, अपने सभी वादों से फिरने का इस सरकार ने रिकॉर्ड बनाया है. बेरोजगारी और कृषि संकट ने मिलकर देश की आम जनता के जनजीवन को इतना बदहाल कर दिया है कि भुखमरी से मौतें और किसान आत्महत्याएं आम बात हो गई है, जबकि इसी दौर में इस देश के 1% अमीरों के हाथों में देश की कुल संपत्ति का हिस्सा 55% से बढ़कर 60% पर पहुंच गया है।

इन पार्टियों व संगठनों ने आरोप लगाया है कि देश की बदहाली से ध्यान हटाने के लिए यह सरकार न केवल सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का सहारा ले रही है, बल्कि संसदीय जनतंत्र की संस्थाओं और आम जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों व मानवाधिकारों को भी कुचल रही है।

इन पार्टियों व संगठनों ने रमन सरकार को ज़र, जोरू, जमीन में फंसी सरकार करार देते हुए मांग की है कि सेक्स स्कैंडल में फंसे राजेश मूणत से रमन सिंह इस्तीफ़ा ले या खुद इस्तीफ़ा दे. इस सरकार का हर मंत्री आज किसी स्कैंडल या भ्रष्टाचार की दलदल में फंसा हुआ है. पत्रकार विनोद वर्मा की गिरफ्तारी की भी उन्होंने निंदा की तथा कहा कि पत्रकारों और बुद्धिजीवियों पर भाजपा सरकारों का लगातार हमला इसी बात का संकेत है कि मोदी-रमन राज में लोकतंत्र खतरे में है।

आज यहां आयोजित एक संयुक्त बैठक में इन पार्टियों व संगठनों ने फैसला किया कि नोटबंदी और जीएसटी से उपजे दुष्परिणामों और रमन-मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ प्रतिवाद में रायपुर सहित पूरे प्रदेश में ‘धिक्कार दिवस’ मनाया जाएगा. बैठक में संजय पराते, एमके नंदी, डीआर महापात्र (माकपा), आरडीसीपी राव (भाकपा), बृजेन्द्र तिवारी (भाकपा-एमएल-लिबरेशन), विश्वजीत हरोड़े (एसयूसीआई-सी), जनकलाल ठाकुर (छमुमो), आलोक शुक्ला (सीबीए), रमाकांत बंजारे (मजदूर-किसान कार्यकर्ता समिति) आदि शामिल थे।


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