निजी नहीं, मजबूत सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली पर दी नसीहत
सड़क दुर्घटना में पीड़ितों को राहत संबंधी प्रस्ताव को उपराज्यपाल ने दी मंजूरी

नई दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग से संबंधित सड़क दुर्घटना के पीडितों केलिए मैडिको लीगल, ऐसिड अटैक और जल जाने से घायल लोगों के नि:शुल्क उपचार से संबंधित मंत्रिमंडल के फैसले को मंजूरी दे दी है।
विभाग के एक और प्रस्ताव जिसमें मोहल्ला क्लीनिक, पौली क्लीनिक और मोबाइल हैल्थ क्लीनिक में नि:शुल्क प्रयोगशाला सेवाएं (गैर रेडियोलाजी) को निजी हाथों में सौंपने केप्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी।
राजनिवास से मिली जानकारी के अनुसार उपराज्यपाल ने दिल्ली आरोग्य कोष योजना में संशोधन करते हुए रोगियों को स्पैसिफाइड हाई एंड डाइग्नोस्टिक (रेडियोलाजिकल) टैस्ट सर्जरी के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए भी सहमति दे दी। हालांकि योजना का मूल उद्देश समाज के गरीब और जरूरतमंद वर्गों की सहायता करना था और योजना विभाग ने भी आय की अधिकतम सीमा रखने की सलाह दी। उपराज्यपल ने कुछ आय सीमा को बनाए रखने की सलाह दी ताकि सरकारी संशाधनों का प्रयोग गरीब और जरूरतमंद के लिए किया जाए। उपराज्यपाल ने यह भी कहा कि इन योजनाओं का ध्येय आउटसोर्सिंग है और प्रस्ताव में कही भी सरकारी संस्थानों में डाइग्नोस्टिक ढांचे को मजबूत करने की कार्ययोजना का जिक्र नहीं है।
उपराज्यपाल ने एक मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली पर जोर देते हुए कहा कि सरकारी संस्थानों को मजबूत बनाने की आवश्यकता है क्योंकि स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को पूरी तरह से निजी क्षेत्र के हाथों में नहीं छोड़ा जा सकता। उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों को सूचीबद्ध करते हुए संबंधित प्रक्रिया और दिशा निर्देशों का पूरी पारदर्शिता और सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।
उपराज्यपाल ने जोर देकर कहा कि एक ऐसा तंत्र विकसित किया जाना चाहिए कि जो यह सुनिश्चित करे कि अनावश्यक जांच निजी स्वास्थ्य केन्द्रों में नहीं होनें चाहिए इसके अतिरिक्त जांच की गुणवत्ता और इन जांच के लिए सूचीबद्ध निजी संस्थानों में अनुचित व्यवहार तथा खराब गुणवत्ता के संबंध में उचित दंड देना भी सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने सलाह दी कि प्रशासनिक विभाग रोगियों के लिए आनलाइन आधार बेस बायोमैट्रिक ट्रैकिंग सिस्टम विकसित करे ताकि उनका उचित फॉलो अप सुनिश्चित किया जा सके और किसी भी तरह के अनुचित व्यवहार और वित्तीय अनियमितता से बचा जा सके।


