नहीं मिला वेतन, शिक्षक की हुई मौत, निगमायुक्त के खिलाफ लामबंद शिक्षक बिरादरी
DU की आट्र्स फैकल्टी, नार्थ कैम्पस में अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछडा वर्ग के शिक्षकों की एक विशाल सभा स्वर्गीय खेमचंद की आकस्मिक मौत की सीबीआई से जांच करवाने, एक करोड़ रुपये मुआवाज देने पर की गई

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय की आट्र्स फैकल्टी, नार्थ कैम्पस में अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछडा वर्ग के शिक्षकों की एक विशाल सभा स्वर्गीय खेमचंद की आकस्मिक मौत की सीबीआई से जांच करवाने, एक करोड़ रुपये मुआवाज देने पर की गई। सभा मेंदिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली सरकार, नगर निगम, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद, दिल्ली छावनी बोर्ड, केन्द्रीय विद्यालयों और सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों ने भारी संख्या में भाग लिया। विशाल सभा की अध्यक्षता शिक्षक नेता प्रो. केपी सिंह ने की।
शिक्षक मंच दिल्ली विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रो. हंस राज सुमन ने कहा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कार्यरत दलित शिक्षक खेमचंद की मौत के जिम्मेदार उत्तरी निगम के कमिश्नर को तत्काल गिरफ्तार किया जाना चाहिए। स्व. खेमचंद को कमिश्नर ने चार महीने से वेतन नहीं दिया, जबकि बार बार वेतन की मांग की गई थी। मृतक के चार लड़कियां और एक लड़का है व घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी। बैंक से लोन ले रखा था। सदैव आर्थिक तनाव में रहते थे तो 16 जनवरी को उन्हे तनाव में दिल का दौरा पडा़ और उनकी मौत हो गई।
श्री सुमन ने बताया कि दलित शिक्षक की मौत की पूरी जिम्मेदारी कमिश्नर की है अगर समय पर वेतन दे देते तो एक परिवार तबाह होने से बच जाता।
उन्होंने बताया किनिगम के एक एडिशनल कमिश्नर 31 दिसम्बर को रिटायर हुए तो उन्हे लगभग 76 लाख रूपये दे दिए लेकिन दलित शिक्षक को वेतन नहीं दिया और अनेक दलित वर्ग के शिक्षकों और अधिकारियों को रिटायर हुए साल से उपर हो गया है तो उनके पैसे आज तक नहीं दिए।
शिक्षक मंच के दिल्ली सरकार विंग के अध्यक्ष बिजेन्द्र कुमार ने कहा कि दलित शिक्षक खेमचंद की मौत एक तरह से सरकारी हत्या है। ये एक तरह से दूसरा रोहित वैमुला कांड है।


