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लखनऊ गोमती में नहीं की गई एक भी प्रतिमा विसर्जित

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में “पृथ्वी इनोवेशन्स” एवं अन्य संस्थाओं ने मंगलवार को यहां झूलेलाल पार्क में “पर्यावरण संरक्षण-सुरक्षित भूमि विसर्जन” कार्यक्रम के तहत मूर्तियों का विसर्जन कराया

लखनऊ गोमती में नहीं की गई एक भी प्रतिमा विसर्जित
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में “पृथ्वी इनोवेशन्स” एवं अन्य संस्थाओं ने मंगलवार को यहां झूलेलाल पार्क में “पर्यावरण संरक्षण-सुरक्षित भूमि विसर्जन” कार्यक्रम के तहत मूर्तियों का विसर्जन कराया और खास बात यह रही कि गोमती नदी में एक भी दुर्गा प्रतिमा को विसर्जित नहीं किया गया।

संस्था के पदाधिकारियों ने झूलेलाल पार्क ,गोमती तट पर विसर्जन के दौरान होने वाली भीड़ से 900 से अधिक छोटे पेडों को सुरक्षित रखने के लिए प्रयास किया। जिन्हें जुलाई वन महोत्सव से अभी तक पृथ्वी इनोवेशन्स द्वारा लगाया गया था। विसर्जन के लिए खोदे गए गड्ढों से जो क्षति हुयी उससे शेष पौधों को बचाने के इस प्रयास में संस्था को वन विभाग के डा0 रवि कुमार,डीएफओ एवं नगर निगम से पाण्डेय का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ।

लखनऊ नगर निगम ने कृत्रिम जलाशय और मूर्ति विसर्जन के लिए बनाए गये गड्ढों में कोई भी प्लास्टिक,पालीथिन या नान बायोडीजल चीजें नहीं डाली गई जो भूमि को प्रदूषित करें। इस के लिए अलग करने का पृथ्वी इनोवेशन्स" की सुश्री अनुराधा गुप्ता द्वारा पर्यावरण सुरक्षा के तहत कुछ स्वयं सेवकों द्वारा प्रयास कराया गया।

मौके पर संस्था की डा0 रश्मि चतुर्वेदी,ग्रीन पिस्टन्स राइडर क्लब के जीतेंद्र,यूथ हॉस्टल एशोसियेशन इंडिया,शान-ए-अवध इकाई के सचिव पंकज श्रीवास्तव,पीआरओ,भूषण अग्रवाल ने लोगों को जागरूक किया और उन्हें भूमि विसर्जन के लिए आग्रह एवं मदद की।

श्री श्रीवास्तव ने बताया कि झूलेलाल वाटिका में एक भी मूर्ति का गोमती नदी में विसर्जन नहीं किया गया,जिसमें नगर निगम एवं लखनऊ प्रशासन की मुख्य भूमिका रही। संस्था के संयुक्त आह्वान से लोगों को ईको फ्रेंडली सैलिब्रीशन एवं प्लास्टिक के कम से कम प्रयोग के लिए प्रेरित किया गया। जिसकी सराहना वहाँ आने वाले सभी भक्तजनों ने की।

खासतौर से युवाओं ने इस कार्य को बहुत ही प्रेरणादायक बताया। जिससे पर्यावरण नुकसान एवं प्रदूषण नुकसान को आस्था के साथ-साथ रोका जा सकता है। उन्होंने वादा किया कि इस अवेयरनेस को जन-जन तक पहुंचाने में प्रशासन का पूरा सहयोग करेंगे। जिससे आने वाले समय में सुरक्षित भूमि मूर्ति विसर्जन हो सके और सुरक्षित पर्यावरण भी संभव हो सके।


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