अरुणाचल प्रदेश में जासूसी नेटवर्क के खुलासे ने बढ़ाई चिंता
पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश आजादी के बाद से ही भारत और चीन के बीच विवाद का केंद्र रहा है. अब इस सीमावर्ती राज्य में एक जासूसी नेटवर्क के खुलासे ने केंद्र सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है

पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश आजादी के बाद से ही भारत और चीन के बीच विवाद का केंद्र रहा है. अब इस सीमावर्ती राज्य में एक जासूसी नेटवर्क के खुलासे ने केंद्र सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है.
चीन हमेशा पूर्वोत्तर के सीमावर्ती राज्य अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानते हुए इस पर अपना दावा करता रहा है. वह अक्सर इस राज्य के कई इलाकों के नाम बदलता रहा है. इसके साथ ही वह प्रधानमंत्री समेत दूसरे महत्वपूर्ण नेताओं के राज्य के दौरे का विरोध करता रहा है. अरुणाचल प्रदेश के लोगों को स्टेपल वीजा जारी के मुद्दे पर भी अक्सर विवाद होता रहा है.
अरुणाचल प्रदेश की 1,126 किमी लंबी सीमा चीन के कब्जे वाले तिब्बत और 520 किमी लंबी सीमा म्यांमार से सटी है. भौगोलिक रूप से बेहद दुर्गम इस राज्य में अक्सर चीनी सैनिकों की घुसपैठ और स्थानीय युवक के अपहरण की खबरें भी आती रही हैं.
बीते कुछ वर्षों के दौरान चीन सरकार ने अरुणाचल से लगे सीमावर्ती इलाको में बड़े पैमाने पर आधारभूत ढांचे का निर्माण किया है. उस इलाके में बुलेट ट्रेन से लेकर बेहतरीन सड़कों को नेटवर्क बिछाया गया है और नई बस्तियां बसाई गई हैं.
सीमा से सटे इलाकों में चीन की ओर से विशालकाय बांध बनाने की खबरों ने भी भारत और बांग्लादेश की चिंताएं बढ़ाई हैं. लेकिन अब इस संवेदनशील सीमावर्ती राज्य में एक जासूस नेटवर्क के खुलासे ने केंद्र और सुरक्षा एजेंसियों की चिंता कई गुनी बढ़ा दी है. इस मामले में भारतीय वायु सेना के एक पूर्व अधिकारी के अलावा पाकिस्तान के लिए काम करने वाले कम से कम चार कश्मीरी युवकों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इन पर सेना से संबंधित संवेदनशील सूचनाएं पाकिस्तान को भेजने का आरोप है.
चीनी सेना की मौजूदगी बढ़ी
राज्य के सीमावर्ती इलाके के लोगों ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीनी सैनिकों की मौजूदगी और संभावित घुसपैठ की सूचना दी है. सीमा से सटे इलाकों में हाल के दिनों में चीनी सेना की गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं. सीमा से लगे अंजाव जिले के कपापू इलाके के लोगों ने जिला प्रशासन को बताया है कि चीनी सेना ने इलाके में कई शिविर बनाएं हैं. सेना के सूत्रों का कहना है कि चीन ने मैकमोहन लाइन से 40 किमी के दायरे में कई फाइटर जेट तैनात किए हैं और तिब्बत के ल्हूंजे एयरबोस पर विमानों के लिए कई स्थायी हैंगर बनाए हैं.
इस मामले की जांच करने वाली एजेंसियों ने गिरफ्तार अभियुक्तों से मिली जानकारी के हवाले बताया है कि यह लोग स्थानीय मुस्लिम समुदाय के युवकों के साथ मिल कर स्लीपर सेल के गठन का प्रयास कर रहे थे. इसके पीछे पाकिस्तान और चीन का हाथ होने की संभावना है. इस नेटवर्क की जड़ें अरुणाचल प्रदेश के अलावा असम तक फैली हैं.
पुलिस का कहना है कि राज्य में जिस जासूसी नेटवर्क का खुलासा हुआ है वह एक बड़े अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है. फिलहाल इसमें शामिल दूसरे लोगों का पता लगाया जा रहा है. राज्य पुलिस के एक बड़े अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर डीडब्ल्यू को बताया, "जासूसी के आरोप में गिरफ्तार लोग एनक्रिप्टेड तरीके से सेना की गतिविधियों के अलावा दूसरी संवेदनशील सूचनाएं पाकिस्तान भेज रहे थे. शुरुआती जांच में इस नेटवर्क और चीन के बीच संबंध होने के भी संकेत मिले हैं."
सुरक्षा विशेषज्ञ इसे नेटवर्क को 'हाइब्रिड युद्ध रणनीति' का हिस्सा मानते हैं. इसके तहत जासूसी, घुसपैठ और सेना की मौजूदगी के जरिए संबंधित देश पर दबाव बढ़ाया जाता है.
आजादी के करीब आठ दशक बाद किस हाल में है पूर्वोत्तर?
अरुणाचल के गृह मंत्री मामा नातूंग ने डीडब्ल्यू से कहा, "इस नेटवर्क में शामिल अभियुक्तों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता. मामले की गहन जांच और गिरफ्तार अभियुक्तों से पूछताछ से और नई सूचनाएं मिलने की उम्मीद है."
कैसे हुई गिरफ्तारी
इस मामले में सुरक्षा एजेंसियों ने बीते 11 दिसंबर को राजधानी ईटानगर से नजीर अहमद मालिक और सबीर अहमद मीर नामक दो युवकों को गिरफ्तार किया था. जम्मू-कश्मीर में कुपवाड़ा जिले के रहने वाले यह दोनों लोग कंबल विक्रेता के तौर पर राज्य में रह रहे थे. यह दोनों एनक्पिक्टेड टेलीग्राम चैनल के जरिए पाकिस्तानी हैंडलरों के संपर्क में थे. जांचकर्ताओं का कहना है कि इन लोगों को सीमा पार से अवैध घुसपैठ में मदद करने के अलावा हथियारों के तस्करी का निर्देश दिया गया था.
उनसे पूछताछ के आधार पर दो दिन बाद दो अन्य कश्मीरी युवकों को भी गिरफ्तार किया गया. इन चारों से मिली जानकारी के आधार पर असम के तेजपुर से सेवानिवृत्त वायुसेना अधिकारी कुलेंद्र शर्मा को गिरफ्तार किया गया.
अब इस नेटवर्क के खुलासे के बाद इलाके में सुरक्षा व्यवस्था और चुस्त कर दी गई है. इसके साथ ही संदिग्धों की पहचान के लिए बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है.
पूर्वोत्तर में चीनी बांध से भारत के लिए पैदा होंगे कैसे खतरे
रक्षा विशेषज्ञों ने सेना और सुरक्षा एजेंसियों की भारी मौजूदगी के बावजूद पूर्वोत्तर के इस संवेदनशील राज्य में ऐसे नेटवर्क के गठन पर गहरी चिंता जताई है. रक्षा विशेषज्ञ प्रथमेश कुमार मंडल डीडब्ल्यू से कहते हैं, "भारत पर चौतरफा दबाव बढ़ाने के लिए चीन अरुणाचल प्रदेश में अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. अब उसने पाकिस्तान की मदद से इलाके में पैठ बनाने के लिए वहां जासूस नेटवर्क स्थापित करने की साजिश रची है. उसके मंसूबे को नाकाम करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को इस मामले में बेहद चौकसी बरतनी होगी."
एक महिला सामरिक विशेषज्ञ एल. खोईराम डीडब्ल्यू से कहती हैं, "चीन की मंशा किसी से छिपी नहीं है. पूर्वोत्तर में गड़बड़ी फैला कर वह भारत सरकार का ध्यान बांटने के साथ ही उस पर दबाव भी बढ़ाना चाहता है. इसके लिए वह कभी सिक्किम से लगी सीमा पर अपनी गतिविधियां बढ़ाता है तो कभी भूटान को अपने हित में इस्तेमाल करने का प्रयास करता है. अरुणाचल प्रदेश जैसे संवेदनशील सीमावर्ती राज्य में ऐसे किसी नेटवर्क की मौजूदगी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक है. इस मामले में और सतर्कता बरतना जरूरी है."


