सिक्किम के 12 समुदायों को जनजातीय दर्जा दिलाने की मुहिम को दिल्ली में नई गति
सिक्किम के 12 ऐसे समुदाय जो अब तक जनजातीय दर्जे से वंचित थे, उन्हें ट्राइबल स्टेटस दिलाने की मांग को लेकर दिल्ली में एक बड़ा कदम उठाया गया

जनजातीय मान्यता की ओर बड़ा कदम: सिक्किम की ऐतिहासिक रिपोर्ट दिल्ली में प्रस्तुत
- ईआईईसीओएस की पहल को मिला राष्ट्रीय समर्थन, जनजातीय दर्जे की उम्मीदें बढ़ीं
- गांव-गांव से संसद तक: जनजातीय दर्जे की मांग को मिली नई ताकत
- सिक्किम के वंचित समुदायों के लिए ऐतिहासिक दस्तावेज तैयार, केंद्र से उम्मीद
गंगटोक। सिक्किम के 12 ऐसे समुदाय जो अब तक जनजातीय दर्जे से वंचित थे, उन्हें ट्राइबल स्टेटस दिलाने की मांग को लेकर दिल्ली में एक बड़ा कदम उठाया गया। हाल ही में एक नौ सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति ने इन समुदायों पर एक व्यापक अध्ययन पूरा किया है।
इस समिति ने अपनी रिपोर्ट 18 अगस्त को दिल्ली में सिक्किम सरकार को सौंपी थी, जहां ईआईईसीओएस के प्रतिनिधि, विद्वान और वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
ईआईईसीओएस+1 (सिक्किम के ग्यारह स्वदेशी जातीय समुदाय प्लस वन) समूह लंबे समय से सिक्किम के इन 12 छोड़े गए समुदायों को जनजातीय दर्जा दिलाने की मांग कर रहा है।
इस मुद्दे को लेकर सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग भी दिल्ली पहुंचे थे, जिनके साथ कई मंत्रियों और विधायकों ने भी इस मांग को लेकर समर्थन दिया।
इस बार की रिपोर्ट तैयार करने में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों की अहम भूमिका रही। आर्थिक सलाहकार डॉ. महेंद्र पी. लामा, जो खुद जेएनयू के फैकल्टी भी हैं, और भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के कार्यालय के प्रतिनिधि इस प्रक्रिया में शामिल रहे।
रिपोर्ट अब सिक्किम विधानसभा में प्रस्तुत की जाएगी, उसके बाद इसे केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। इसके बाद यह मामला संसद के दोनों सदनों में विचार के लिए जाएगा और फिर भारत के राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
गंगटोक में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ईआईईसीओएस के अध्यक्ष डॉ. एसके राय ने बताया कि इस बार रिपोर्ट की गुणवत्ता पहले से कहीं बेहतर है।
उन्होंने कहा, "पहले की रिपोर्टों में ज्यादातर सेकेंड्री डेटा पर निर्भरता थी और पर्याप्त क्षेत्रीय अध्ययन नहीं होता था, जिसके कारण उन्हें रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया द्वारा अनदेखा किया जाता था। इस बार हमें सही दिशा-निर्देश मिले और हमने गांव-गांव जाकर लोगों से बातचीत की।"
डॉ. राय ने यह भी कहा कि इस बार वरिष्ठ विद्वानों और सामाजिक वैज्ञानिकों की भागीदारी ने रिपोर्ट की विश्वसनीयता को बढ़ा दिया है।
उन्होंने कहा, "पहले कभी हमारे साथ ऐसे प्रमुख विद्वान नहीं थे, जिन्होंने मार्गदर्शन किया हो। इस बार सभी प्रमुख पदाधिकारी और सचिव खुद गांव गए और लोगों से मिले, जिससे रिपोर्ट पूरी तरह प्रामाणिक बनी है।"
उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, जनजातीय मामलों के मंत्री, रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया और राष्ट्रीय जनजातीय आयोग से हमें विश्वास है कि हमारी मांग को मजबूती से स्वीकार किया जाएगा और जल्द ही हम जनजातीय दर्जा पाने में सफल होंगे।"


