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दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे अनुभव को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की तैयारी, बड़े अपग्रेड प्लान की घोषणा

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) ने दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (डीएचआर) यूनेस्को विश्व धरोहर रेलवे के संचालन तंत्र को मजबूत करने, विरासत संरक्षण को बढ़ावा देने और यात्रियों के अनुभव में उल्लेखनीय सुधार लाने के लिए कई नई योजनाएं शुरू की हैं

दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे अनुभव को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की तैयारी, बड़े अपग्रेड प्लान की घोषणा
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गुवाहाटी। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) ने दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (डीएचआर) यूनेस्को विश्व धरोहर रेलवे के संचालन तंत्र को मजबूत करने, विरासत संरक्षण को बढ़ावा देने और यात्रियों के अनुभव में उल्लेखनीय सुधार लाने के लिए कई नई योजनाएं शुरू की हैं। यह जानकारी मंगलवार को अधिकारियों ने दी।

एनएफआर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कपिंजल किशोर शर्मा के अनुसार, एनएफआर के महाप्रबंधक चेतन कुमार श्रीवास्तव ने दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे का विस्तृत निरीक्षण और समीक्षा की, जिसका उद्देश्य परिचालन क्षमता में वृद्धि और विरासत रेलवे के समग्र आधुनिकीकरण को गति देना रहा।

निरीक्षण के दौरान श्रीवास्तव ने महत्वपूर्ण सेक्शनों का मूल्यांकन किया, फील्ड अधिकारियों से बातचीत की, कई नए संसाधनों का उद्घाटन किया और लंबे समय के विकासात्मक कार्यक्रमों की प्रगति की समीक्षा की।

महाप्रबंधक ने अपग्रेडेड घूम म्यूज़ियम का उद्घाटन किया, जिसे डीएचआर अनुभव को और समृद्ध बनाने की दिशा में बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने घोषणा की कि संग्रहालय को और विस्तृत किया जाएगा, जिसमें अधिक इंटरैक्टिव व इमर्सिव प्रदर्शनी शामिल होंगी, ताकि डीएचआर के इंजीनियरिंग चमत्कार और ऐतिहासिक विरासत को प्रभावी ढंग से प्रदर्शित किया जा सके।

इसके बाद उन्होंने स्टीम लोकोमोटिव 806बी "क्वीन ऑफ द हिल्स" के विशेष शताब्दी रन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, जो 100 वर्षों की सेवा का प्रतीक और डीएचआर की स्टीम विरासत के संरक्षण के प्रति एनएफआर की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

श्रीवास्तव ने घूम-सोनादा सेक्शन और कर्सियांग स्टेशन का भी निरीक्षण किया, जहां उन्होंने लोकोमोटिव भवन का उद्घाटन और कर्सियांग आर्काइव्स के अपग्रेड का अनावरण किया। नए अभिलेख केंद्र से शोधकर्ताओं, पर्यटकों, स्थानीय लोगों और विरासत प्रेमियों को काफी लाभ मिलने की उम्मीद है।

निरीक्षण के दौरान महाप्रबंधक ने अधिकारियों को यात्रियों की सुविधाओं को बेहतर बनाने, परिचालन दक्षता को बढ़ाने और सभी विकास परियोजनाओं में डीएचआर की विरासत पहचान के अनुरूप संवेदनशीलता बनाए रखने के निर्देश दिए।

उन्होंने निरंतर रखरखाव, प्रतिक्रियाशील यात्री सेवा प्रणाली और सतत नवाचार की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि डीएचआर वैश्विक विरासत रेलवे मानकों के अनुरूप बना रहे।

श्रीवास्तव का यह विस्तृत निरीक्षण और दूरदर्शी सुझाव दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे की दीर्घकालिक दृष्टि के लक्ष्य को गति देने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

गौरतलब है कि पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) पूर्वोत्तर राज्यों के अलावा पश्चिम बंगाल के सात जिलों और बिहार के उत्तरी पांच जिलों में संचालन करता है।


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