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असम: मतदाता सूची में होगा विशेष संशोधन, सरकार ने चुनाव आयोग के फैसले का किया स्वागत

भारतीय चुनाव आयोग ने पूर्वोत्तर के राज्य असम में विशेष संशोधन (एसआर) कराने का फैसला किया है

असम: मतदाता सूची में होगा विशेष संशोधन, सरकार ने चुनाव आयोग के फैसले का किया स्वागत
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गुवाहाटी। भारतीय चुनाव आयोग ने पूर्वोत्तर के राज्य असम में विशेष संशोधन (एसआर) कराने का फैसला किया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने चुनाव आयोग के इस फैसले का स्वागत किया है।

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इसे आगामी चुनावी प्रक्रियाओं से पहले स्वच्छ, अपडेट और सटीक मतदाता सूचियों को बनाए रखने की दिशा में एक समयोचित कदम बताया है। उन्होंने कहा कि असम, चुनाव आयोग को पूर्ण सहयोग प्रदान करेगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि संशोधन प्रक्रिया पारदर्शी, कुशल और समयबद्ध तरीके से पूरी हो।

मुख्यमंत्री सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा कि इस पहल से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि सभी पात्र नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल किया जाए और विसंगतियों को दूर किया जाए।

एसआईआर, जिसका उद्देश्य नामांकन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना और पिछली मतदाता सूचियों में पहचानी गई कमियों को दूर करना है, असम के लिए एक संवेदनशील मोड़ पर आया है।

हाल के सालों में राज्य में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के कार्यान्वयन को लेकर नागरिकता, दस्तावेजीकरण और मतदाता सूची की सटीकता के मुद्दों पर गहन राजनीतिक और प्रशासनिक जांच हुई है।

इससे पहले एसआईआर के अंतर्गत शामिल राज्यों की सूची से असम को हटा दिए जाने के बाद चुनाव आयोग को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। इस घटना ने राजनीतिक दलों और नागरिक समाज समूहों की ओर से सवाल खड़े कर दिए थे।

इस चूक को कई हलकों में तकनीकी चूक बताया गया है। इससे राज्य में आशंकाएं पैदा हुई हैं, जहां मतदाता सूची की अखंडता, पहचान और जनसांख्यिकीय परिवर्तन पर सामाजिक-राजनीतिक बहस से गहराई से जुड़ी हुई है।

चुनाव आयोग ने तर्क दिया है कि इस संशोधन से 1 जनवरी, 2026 तक 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले पात्र युवाओं का नया नामांकन, मौजूदा प्रविष्टियों में सुधार और अपात्र या डुप्लिकेट प्रविष्टियों को हटाने की अनुमति मिल जाएगी।

बता दें कि असम का राजनीतिक माहौल अक्सर नागरिकता और सीमा पार प्रवास पर बहस से प्रभावित होता है, इसलिए इस विशेष संशोधन से जनता की गहरी रुचि के साथ-साथ विपक्षी दलों की भी कड़ी आलोचना होने की उम्मीद है।


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