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मिजोरम में नशे के खिलाफ चार महीने के विशेष अभियान की होगी शुरुआत

मिजोरम सरकार राज्य में बढ़ते नशे के अवैध कारोबार और उससे जुड़ी सामाजिक बुराइयों को खत्म करने के लिए चार महीने का विशेष अभियान सोमवार से शुरू करने जा रही है

मिजोरम में नशे के खिलाफ चार महीने के विशेष अभियान की होगी शुरुआत
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नशे की तस्करी पर लगाम लगाने को मिजोरम सरकार की बड़ी पहल

  • वाईएमए और पुलिस की संयुक्त मुहिम, नशे के सौदागरों पर कड़ा प्रहार
  • मुख्यमंत्री ने बताया नशा सबसे बड़ा खतरा, एमटीए बटालियन के गठन की तैयारी
  • मिजोरम की सीमाओं पर तस्करी रोकने को चार महीने की रणनीतिक मुहिम

आइजोल। मिजोरम सरकार राज्य में बढ़ते नशे के अवैध कारोबार और उससे जुड़ी सामाजिक बुराइयों को खत्म करने के लिए चार महीने का विशेष अभियान सोमवार से शुरू करने जा रही है।

यह अभियान 31 दिसंबर 2025 तक चलेगा। अधिकारियों ने रविवार को इसकी जानकारी दी।

यह अभियान राज्य के 11 जिलों के नशा प्रभावित इलाकों, गांवों और सीमा क्षेत्रों में चलाया जाएगा। इसमें पुलिस, अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियां और मिजोरम की सबसे प्रभावशाली सामाजिक संस्था यंग मिजो एसोसिएशन (वाईएमए) मिलकर काम करेंगी।

मिजोरम के छह जिले (चम्फाई, सियाहा, लॉन्गतलाई, हनहथियाल, सैतुअल और सेरछिप) म्यांमार के साथ 510 किलोमीटर की बिना बाड़ वाली सीमा साझा करते हैं।

इन्हीं जिलों के रास्ते नशे की गोलियां (खासतौर पर मेथामफेटामिन), प्रतिबंधित सामग्री और विदेशी जानवरों की तस्करी की जाती है। यहां से यह सामग्री असम और त्रिपुरा के रास्ते देश के अन्य हिस्सों और बांग्लादेश तक पहुंचती है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह अभियान विशेष रूप से नशे के सौदागरों, तस्करों और नशे की लत से ग्रस्त अपराधियों पर केंद्रित होगा, जो अक्सर चोरी और अन्य अपराधों को अंजाम देते हैं।

हाल ही में मिजोरम के गृह मंत्री के. सपदंगा ने कहा था कि म्यांमार से आने वाले तस्कर और नशे के आदी लोग मिजो समाज के लिए खतरा बनते जा रहे हैं।

वाईएमए, जो मिजो समाज में सामाजिक और सांस्कृतिक जागरूकता फैलाने का कार्य करती है, इस अभियान में पूरी भागीदारी निभा रही है। इसके सदस्य घर-घर जाकर जागरूकता फैलाएंगे और समाज को नशे के खिलाफ एकजुट करेंगे।

राज्य के एक्साइज और नारकोटिक्स विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस साल अब तक 50 से ज्यादा लोगों की मौत नशे की लत के कारण हो चुकी है, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं। 2020 से अब तक 351 लोगों की जान नशे ने ले ली है।

राज्य के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने पिछले सप्ताह नशे को राज्य के लिए 'सबसे बड़ा खतरा' बताया था। उन्होंने कहा, मिजोरम गोल्डन ट्रायंगल के नजदीक स्थित है, जो विश्वभर में नशे की तस्करी के लिए बदनाम इलाका है।

मुख्यमंत्री ने एचआईवी/एड्स के बढ़ते मामलों को भी चिंता का विषय बताया और कहा कि यह लड़ाई सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य की भी है।

मिजोरम सरकार ने इस खतरे से निपटने के लिए एक नया कदम उठाते हुए 'मिजो टेरिटोरियल आर्मी (एमटीए)' की एक नई बटालियन के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो विशेष रूप से नशे की तस्करी और कानून व्यवस्था से जुड़ी समस्याओं से निपटेगी।


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