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उत्तर भारत जोड़ो यात्रा काल की कांग्रेस

कांग्रेस अधिवेशन से पहले जिस तरह दिल्ली एयरपोर्ट पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को नाटकीयता के साथ असम पुलिस ने गिरफ्तार किया है

उत्तर भारत जोड़ो यात्रा काल की कांग्रेस
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कांग्रेस अधिवेशन से पहले जिस तरह दिल्ली एयरपोर्ट पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को नाटकीयता के साथ असम पुलिस ने गिरफ्तार किया है, वह लोकतंत्र के लिए अच्छे लक्षण नहीं हैं। रायपुर में 24 से 26 तारीख तक कांग्रेस का अधिवेशन हो रहा है, जिसमें हिस्सा लेने के लिए देश भर से कांग्रेस नेता पहुंच रहे हैं। अगले आम चुनाव और उससे पहले इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिहाज से यह अधिवेशन काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पार्टी की चुनावी रणनीति और संगठनात्मक मजबूती के मद्देनजर कई अहम फैसले अधिवेशन में लिए जा सकते हैं। यह अधिवेशन भारत जोड़ो यात्रा के बाद हो रहा है। पांच महीनों में चार हजार किमी की दूरी तय करने वाली राहुल गांधी और उनके साथियों की इस पदयात्रा ने भारतीय राजनीति में इतिहास तो रचा ही है, यह कांग्रेस के लिए भी एक निर्णायक मोड़ सिद्ध हुई है। अपने जन्म से लेकर अब तक कांग्रेस ने कई अहम पड़ाव देखे हैं और इसमें अलग-अलग नेताओं के काल का फर्क भी साफ महसूस किया जा सकता है।

कांग्रेस का अभी जो दौर चल रहा है, उसे उत्तर भारत जोड़ो यात्रा काल कहा जा सकता है। जो पूर्व भारत जोड़ो यात्रा काल कांग्रेस का था, उसमें उसके हिस्से बड़ी-बड़ी हार, हताशा और बगावत थी। हालांकि तब भी राहुल गांधी मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे। नोटबंदी से लेकर जीएसटी और कोरोना लॉकडाउन से लेकर कृषि विधेयकों तक हर मुद्दे पर उन्होंने हर गलत बात को उजागर किया। इस दौरान सोशल मीडिया ट्रोल आर्मी और मीडिया के बड़े वर्ग ने राहुल गांधी के खिलाफ नैरेटिव तैयार करने में कोई कमी नहीं की गई।

उन पर निजी हमले किए गए, उनका मखौल उड़ाने वाले संबोधनों का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया गया और चरित्र हनन करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। क्योंकि इस तबके ने पहले ही राहुल गांधी की मजबूती को भांप लिया था। जब भारत जोड़ो यात्रा हुई, तब भी इसी तबके ने यात्रियों को हतोत्साहित करने की सारी तरकीबें भिड़ाईं, हालांकि फिर भी यात्रा इस तरह संपन्न हुई, जिसकी कल्पना न भाजपा ने की थी, न राहुल गांधी के विरोधियों ने। यात्रा जब तक चलती रही, मुख्यधारा के मीडिया ने तो उस पर खास कवरेज नहीं किया, लेकिन सोशल मीडिया के जरिए पल-पल की खबर और तस्वीरें अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने का काम कांग्रेस की मीडिया टीम ने किया और इसमें पवन खेड़ा के योगदान को नजरंदाज नहीं किया जा सकता।

उत्तर भारत जोड़ो यात्रा काल की कांग्रेस पहले से अधिक आक्रामकता और जोश के साथ भाजपा से सवाल कर रही है। बीबीसी डाक्यूमेंट्री पर रोक, हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी समूह में गड़बड़ी के आरोपों की जांच की मांग, बीबीसी कार्यालयों पर आयकर का सर्वे, इजरायली की जासूसी फर्म की चुनावों में दखलंदाजी और मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए विपक्ष के बारे में गलत खबरें फैलाने का खुलासा, हाल में इन तमाम मुद्दों पर कांग्रेस ने पूरे तथ्यों के साथ अपने सवाल रखे हैं और मोदी सरकार से जवाब मांगा है।

संसद के बजट सत्र में भी कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने जो सवाल उठाए, उन्हें असंसदीय करार देते हुए सदन की कार्यवाही से ही हटा दिया गया है। इस फैसले को भी कांग्रेस ने अलोकतांत्रिक करार दिया था। राहुल गांधी बार-बार यही कहते हैं कि उन्हें संसद में बोलने नहीं दिया जाता, मीडिया में उन्हें स्थान नहीं मिलता, इसलिए उन्हें जनता के बीच जाकर अपनी बात कहनी पड़ती है।

राहुल गांधी और कांग्रेस के आरोपों का भाजपा कोई जवाब नहीं दे रही। प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में राहुल गांधी के पूछे गए किसी सवाल का जवाब नहीं दिया, बल्कि वे बात को राहुल गांधी, सोनिया गांधी के सरनेम तक ले गए और पूछा कि इन्हें नेहरू सरनेम रखने में क्या शर्मिंदगी है। इस बात की कांग्रेस ने आलोचना जरूर की, लेकिन शायद कहीं कोई एफआईआर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ दर्ज नहीं करवाई।

वैसे इससे पहले भी सोनिया गांधी का नाम लिए बिना उन्हें कांग्रेस की विधवा कहना, संसद में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के लिए रेनकोट पहनकर नहाना जैसी निम्न स्तरीय टिप्पणियां श्री मोदी ने की, लेकिन उनकी गिरफ्तारी की मांग कांग्रेस ने नहीं की और भाजपा ने भी संस्कारों की दुहाई देते हुए इसकी आलोचना करना जरूरी नहीं समझा। लेकिन अभी पवन खेड़ा की गिरफ्तारी की वजह उनके द्वारा दिया गया एक बयान ही है, जिसमें उन्होंने श्री मोदी के पिता का नाम पहले गलत लिया था, लेकिन बाद में उसे सुधार भी लिया था।

पवन खेड़ा ने इसे अपनी गलती बताया था, लेकिन भाजपा ने इसे मौके की तरह लपका। क्योंकि इससे पहले जब भी श्री मोदी पर कोई निजी हमला हुआ, भाजपा ने उसे सहानुभूति हासिल करने के लिए भुनाया। बहुत से विश्लेषकों का मानना है कि इससे भाजपा को चुनावी फायदा हुआ। अभी फिर देश में चुनाव का माहौल है और भाजपा एक बार फिर उसी रणनीति पर चलती दिख रही है। पवन खेड़ा के बयान पर गृहमंत्री अमित शाह ने नगालैंड की चुनावी रैली में इशारों-इशारों में राहुल गांधी पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी के आने के बाद से उनके नेताओं का स्तर गिरा है। यह बयान भी उत्तर भारत जोड़ो यात्रा काल का असर है। क्योंकि राहुल गांधी तो 20 साल से राजनीति में हैं, लेकिन अमित शाह अब उनके स्तर के बारे में बात कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के पिता का नाम गलत बताने पर पवन खेड़ा पर एक नहीं कई जगह पर कानूनी शिकायत दर्ज हुई और गुरुवार को उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया गया। देश में हर दिन कई गंभीर अपराध होते हैं और अगर पुलिस ऐसी ही तत्परता दिखाए, तो देश को अपराधमुक्त बनाया जा सकता है। फिलहाल पवन खेड़ा को तीन दिन की जमानत मिल गई है। मामला अब अदालत में है और इस बीच रायपुर में अधिवेशन के लिए कांग्रेस तैयार है। ये तय है कि पवन खेड़ा की गिरफ्तारी के बाद अब कांग्रेस और अधिक आक्रामकता के साथ भाजपा की घेराबंदी करेगी। उत्तर भारत जोड़ो यात्रा काल की कांग्रेस को दबाने के लिए भाजपा की पुरानी रणनीतियां अब शायद काम न आएं।


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