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उत्तरी दिल्ली नगर निगमवासियों को करना होगा इंतजार, संपत्ति डी सील होने में लगेगा वक्त

 उत्तरी दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में करीब 3000 सम्पत्तियां सील पड़ी है जिन्हें बीते 3 सालों में डी-सील नहीं किया जा सका है

उत्तरी दिल्ली नगर निगमवासियों को करना होगा इंतजार, संपत्ति डी सील होने में लगेगा वक्त
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नई दिल्ली। उत्तरी दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में करीब 3000 सम्पत्तियां सील पड़ी है जिन्हें बीते 3 सालों में डी-सील नहीं किया जा सका है, हालांकि दिल्लीवासियों को संपत्ति डी सील कराने में अभी और इंतजार करना होगा। शुक्रवार को उत्तरी नगर निगम स्थायी समिति की बैठक में एक बार फिर सीलिंग का मुद्दा गरमाया। दरअसल महीने भर पहले स्थायी समिति की बैठक में अध्यक्ष जोगी राम जैन ने 15 दिन के भीतर सभी 1667 संपत्तियों को डी-सीलिंग पर फैसला लेने के नीर्देश दिए थे। जबकि महीने भर बाद भी इसपर कोई कार्यवाही नहीं हो सकी।

निगम क्षेत्र में कई संपत्तियां ऐसी हैं जिन्हें अधिकारियों ने माना था कि वह गलत तरीके से सील हुई है बावजूद इसके लिए लोगों को डी-सीलिंग के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

निगम स्थायी समिति की बैठक में आप पार्षद और स्थायी समिति सदस्य विक्की गुप्ता ने इस मुद्दे पर सवाल उठाया। हालांकि अधिकारियों द्वारा जगह जगह कैम्प लगाए जाने की बात भी कही गई। जिसमें वह लोग आकर आवेदन दे सकते हैं जिनकी संपत्ति गलत कारणों से सील हुई लेकिन सत्तापक्ष और विपक्ष पार्षदों ने इसपर भी सवाल उठाए और कैम्प लगाए जाने की जानकारी भी मांग ली।

स्थायी समिति सदस्य और आप पार्षद विक्की गुप्ता ने बताया कि, 1 अप्रैल 2017 से 4346 संपत्तियों को सील किया गया वहीं 1559 संपत्तियों को डी सील किया गया है। तो बाकी 3000 संपत्ति क्या हो रहा है ? वह डी सील क्यों नहीं हो रही हैं ?

वहीं बताया गया कि, डी सील कराने को लेकर 75 आवेदन आये हैं वहीं हमने विभिन्न जगहों पर कैम्प लगाए हैं। जबकि कोई कैम्प नहीं लग रहा है। तीन तीन सालों तक प्रॉपर्टी डी सील नहीं हो रही हैं, जिसकी वजह से जनता धक्के खा रही है।

इसपर स्थायी समिति अध्यक्ष जोगी राम जैन ने बताया कि, हमने 15 दिन के अंदर डी सील करने को कहा था और निगमायुक्त सहमत भी हो गए थे। जब यह कार्यवाही शुरू की तो दिक्कतें आना शुरू हुई। निगमायुक्त ने जानकारी दी कि, मॉनिटरिंग कमिटी , लाइसेंस आदि के कारण हम इतनी जल्दी डी सील नहीं कर सकते।

इसके बाद तभी निगमायुक्त ने 2 दिन में ही एक समिति का गठन किया, जिसमें सभी डिपार्टमेंट के हेड शामिल रहे। इन सभी लोगों के रिव्यु करने के बाद इसको शुरू करना था, ताकि कोर्ट जाने से बचा जा सके।

वहीं अब इस मसले पर स्थायी समिति अध्यक्ष जोगी राम जैन ने अधिकारियों से हफ्तेभर में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।


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