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यूपी विधान परिषद के लिये 13 सीटों पर नामांकन प्रक्रिया कल से शुरू

उत्तर प्रदेश विधान परिषद के खाली 13 सीटों पर होने वाले द्विवार्षिक चुनाव के लिये नामांकन प्रक्रिया कल से शुरू होगा।

यूपी विधान परिषद के लिये 13 सीटों पर नामांकन प्रक्रिया कल से शुरू
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान परिषद के खाली 13 सीटों पर होने वाले द्विवार्षिक चुनाव के लिये नामांकन प्रक्रिया कल से शुरू होगा। विधान परिषद की 13 सीटों पर होने वाले चुनाव के संबंध में अधिसूचना कल जारी की जायेगी।

राजनीतिक दलों ने अभी तक चुनाव में उम्मीदवारों के नाम भी तय नहीं किये हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अन्य विपक्षी दल लगातार गहन मंथन में लगे हैं।

पिछले माह राज्यसभा चुनाव में जिस तरह की खींचतान सत्तारूढ़ पार्टी और एकजुट हुआ विपक्ष में देखने को मिला था उसी तरह की रस्साकशी अब विधान परिषद चुनाव में भी हो सकती है।

इन 13 सदस्यों का कार्यकाल अगले माह की पांच तारीख को समाप्त हो जायेगा। इसके लिए चुनाव आयोग ने मतदान की तारीख 26 अप्रैल निर्धारित की है।

चुनाव आयोग के सूत्रों ने आज यहां कहा कि अधिसूचना जारी होने के बाद नामांकन नौ अप्रैल से शुरू हो जायेगा। नामांकन पत्र दाखिल करने की अन्तिम तिथि 16 अप्रैल है। 17 अप्रैल को नामांकन पत्रों की जांच की जायेगी तथा 20 अप्रैल तक नाम वापस लिये जा सकेंगे। मतदान 26 अप्रैल को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक होगा और मतगणना उसी दिन शाम पांच बजे से होगी।

विधान परिषद की 13 सीटों में से 11 पर भाजपा को जीत हासिल करने में कोई परेशानी नहीं होगी। बाकी बची दो सीटों के लिए अगर विपक्षी दलों ने मिलकर काम किया तो यह सीटें उनकी झोली में जा सकती हैं।

समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव एक सीट पर स्वयं भी दोबारा सदस्यता हासिल करने के लिए मैदान में उतर सकते हैं और एक सीट सपा, बसपा को दे सकती है।

भाजपा में भी चुनाव में खड़े हो रहे उम्मीदवारों के नाम को लेकर गहन मंथन जारी है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की इसी सप्ताह लखनऊ की यात्रा के दौरान इस मुद्दे पर मंत्रणा की जायेगी।

उत्तर प्रदेश सरकार के दो मंत्रियों डा0 महेंद्र कुमार सिंह और मोहसिन रजा का कार्यकाल भी पांच मई को पूरा हो रहा है। भाजपा इन दोनों को ही एक बार फिर चुनावी दंगल में उतार सकती है।

इस चुनाव में एक बार फिर सपा-बसपा गठबंधन और भाजपा के बीच जबरदस्त खींचतान देखने को मिलेगी। इस चुनाव में एक बार फिर इस गठबंधन की ताकत का पता चल जाने की उम्मीद की जा रही है।

भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले इस गठबंधन में शामिल दलों को हतोत्साहित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा को विधान परिषद की दोनों सीटों को जीतने में मदद का आश्वासन दिया है। हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस के समर्थन के बावजूद बसपा उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा था। इसको देखते हुए मायावती भविष्य में क्या फैसला लेंगी विधान परिषद चुनाव में इसका खुलासा होगा।

हालांकि राज्यसभा की तरह विधान परिषद की कुल 13 सीटों में से 11 पर भी अगर भाजपा को सफलता हासिल होती है तो सत्तारूढ़ दल सबसे ज्यादा फायदे में रहेगा हालांकि भाजपा के लिए 12 सीटों पर जीत हासिल करने की संभावना कम ही है लेकिन ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है।

विधान परिषद के सदस्यों का चुनाव गुप्त मतदान के द्वारा होगा ऐसे में सदस्यों के पास पार्टी व्हिप के खिलाफ जाकर भी मतदान करने की आजादी होगी और ऐसा करने पर उनकी सदस्यता को किसी तरह का खतरा होने की आशंका भी नहीं होगी।

आंकडों के गणित के हिसाब से सपा एक सीट जीत सकती है जबकि सभी विपक्षी दल मिलकर दूसरी सीट पर भी जीत का परचम फहरा सकते हैं।

विधान परिषद के चुनाव में जीत के लिए जादुई संख्या का आंकड़ा राज्य सभा की तुलना में कम होने के कारण विपक्ष के दूसरी सीट पर कब्जा करने की संभावना अधिक है। इस चुनाव में एक उम्मीदवार को पहले चरण के मतदान में जीत के लिए 29 मतों की दरकार है।

जैसा कि राज्य सभा के चुनाव में देखने को मिला कि एक सीट पर जीत हासिल करने के बाद सपा के पास अतिरिक्त वोट थे और विपक्षी दल फिर से दूसरी सीट पर जीत हासिल करने के लिए हाथ मिला सकते हैं जबकि दूसरी ओर भाजपा के पास 11 उम्मीदवारों के लिए मत देने के बाद केवल पांच वोट ही अतिरिक्त बचते हैं ऐसे में उसके 12वीं सीट पर कब्जा जमाने की संभावना बेहद कम है।

चुनाव के बाद विधान परिषद में विपक्ष की स्थिति अच्छी नहीं होगी। विपक्षी दलों में सबसे ज्यादा 61 सदस्य सपा के होंगे।
इस साल पदच्युत होने वाले 13 सदस्यों में आठ सपा के हैं जिसमें पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी भी शामिल हैं।

सपा के पूर्व विधान परिषद सदस्य अम्बिका चौधरी ने 2017 में चुनाव से पहले इस्तीफा देकर बसपा में शामिल हो गये थे।
हालांकि सपा सदन में एक सीट पर विजय हासिल करने को लेकर निश्चिंत है लेकिन परिषद में उसकी सदस्य संख्या घटकर 55 रह जायेगी।

बसपा के सुनील चित्तौर और विजय प्रताप के पदच्युत होने से विधान परिषद में पार्टी की सदस्य संख्या नौ से घटकर सात रह जायेगी।
बसपा के जयवीर सिंह ने पिछले साल सितम्बर में भाजपा का हाथ थाम लिया था जिसके कारण भाजपा में मोहसिन रजा का आना संभव हो पाया था।
राष्ट्रीय लोक दल के अजीत सिंह की पार्टी के पास अब परिषद में कोई प्रतिनिधि नहीं रह जायेगा क्योंकि चौधरी मुश्ताक का कार्यकाल समाप्त होने वाला है।

विधान सभा में नामांकित सदस्यों को मिलाकर 403 सदस्य हैं जो मतदान कर सकते हैं और एक सीट रिक्त है ऐसे में जीत के लिए हर उम्मीदवार को 29 वोटों की दरकार होगी।सत्तारूढ़ दल के पास 324 विधायक हैं और वह आसानी से 11 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है और पांच वोट उसके पास अतिरिक्त होंगे।

ऐसे में अगर बसपा के अनिल सिंह और सपा के नितिन अग्रवाल भाजपा के पक्ष में आते हैं तो भाजपा के लिए यह संख्या छह हो सकती है।

दूसरी ओर सपा के पास 46 विधायकों का साथ है ऐसे में एक सदस्य आसानी से जीत हासिल कर सकता है और 17 अतिरिक्त वोट भी पार्टी के पास ही रहेंगे।

पार्टी को दूसरी सीट पर आसान जीत के लिए बसपा के 18 और कांग्रेस के सात विधायकों के साथ की दरकार होगी। पांच मई को विधान परिषद से सपा के अखिलेश यादव, अम्बिका चौधरी, उमर अली खान, नरेश चंद्र उत्तम, डा0 मधु गुप्ता, राजेंद्र चौधरी, रामसकल गुज्जर, डी विजय यादव, उप्र सरकार के मंत्री महेंद्र कुमार सिंह और मोहसिन राजा के साथ बसपा के सुनील कुमार चित्तौर और डा0 विजय प्रताप और राष्ट्रीय लोक दल के चौधरी मुश्ताक शामिल हैं।


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