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शिवरात्रि पर दर्शन मात्र से दुख होते हैं दूर

नोएडा ! जनपद में शिवरात्रि अन्य त्यौहारों से ज्याद महत्वपूर्ण है। इसकी वजह जनपद का एक छोटा गांव बिसरख गांव या यू कहें ऋषि विश्रवा की तपोस्थली।

शिवरात्रि पर दर्शन मात्र से दुख होते हैं दूर
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एक ऐसा अष्टभुजा शिवलिंग जिसे खुद रावण ने किया स्थापित

नोएडा ! जनपद में शिवरात्रि अन्य त्यौहारों से ज्याद महत्वपूर्ण है। इसकी वजह जनपद का एक छोटा गांव बिसरख गांव या यू कहें ऋषि विश्रवा की तपोस्थली। रावण का जन्म भी यही हुआ था। तब से बिसरख को शिव नगरी भी कहा जाता है। यहा पौराणिक काल की शिवलिग है। जिसे रावण ने स्थापित किया था। बाहर से देखने में इसकी ऊचाईं महज 2.5 फीट की है, लेकिन जमीन के नीचे इसकी गहराई लगभग 8 फीट है। प्राचीन शिव मंदिर का निर्माण रावण के पिता विश्रवा ने कराया था।

त्रेता युग से यहा महाशिवरात्रि पर मेले का आयोजन किया जाता रहा है। जहां विदेशों से भी पर्यटक पहुंचते है। बिसरख ऋषि विश्रवा की तपोस्थली है। यही रावण का जन्म भी हुआ था। मंदिर के महंत रामदास ने बताया वेद पुराणों के अनुसार ऋषि विश्रवा उनकी तपोस्थली को शिव नगरी भी कहा जाता है। बिसरख धाम में रावण द्बारा स्थापित अष्टभुजी शिवलिंग विराजित है, जो की विश्व में ऐसा शिवलिग और दूसरा कही भी नहीं है।
अशोकानंद महाराज ने बताया लंकापति रावण बाल्यकाल से ही शिव भक्त थे। उन्होंने शिव की घोर उपासना की और शिव मंत्रावली भी स्वयं रचना की। खास बात यह है कि जिस मंदिर में यह शिवलिंग स्थापित किया गया है वहां पौराणिक काल की मूर्तियां भी बनी हुई है। मंदिर के गेट पर रावण के पिता व मां दोनों की मूर्ति है।
अब तक 25 से ज्यादा शिवलिंग मिले
इस गांव में अब तक 25 से ज्यादा शिवलिंग मिले हैं। जिनमें से एक की गहराई इतनी है कि खुदाई के बाद भी उसका कहीं छोर नहीं मिला है। मंदिर के महंत रामदास ने बताया कि खुदाई के दौरान त्रेता युग के नरकंकाल, बर्तन व मूर्तियों के अलावा कई अवशेष मिले हैं। महंत रामदास ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन यहा प्रतिवर्ष मेले का आयोजन किया जाता है। सुबह से ही दूर-दराज के श्रद्धालू यहा जल चढ़ाने आते है। उनके लिए भंडारे की व्यवस्था भी की जाती है। महंत रामदास ने बताया कि शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही सभी कष्ट दूर हो जाते है। लिहाजा यहा हजारों की संख्या में श्रद्धालू पहुंचते है।


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