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फाइलों में बंद हुआ रिवर फं्रट कारिडोर

नोएडा ! शहर की एक ऐसी परियोजना जिसे गत पंद्रह सालों से इसलिए जीवत रखा गया ताकि यह हर बोर्ड बैठक का अहम हिस्सा बन सके।

फाइलों में बंद हुआ रिवर फं्रट कारिडोर
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नोएडा ! शहर की एक ऐसी परियोजना जिसे गत पंद्रह सालों से इसलिए जीवत रखा गया ताकि यह हर बोर्ड बैठक का अहम हिस्सा बन सके। यह प्रोजेक्ट नोएडा वासियों के लिए सिफ शगूफा ही साबित हो सका। हम बात कर रहे है रिवर फं्रट कॉरिडोर की।
यह कॉरिडोर यमुना व हिंडन नदी के 200 एकड़ क्षेत्र में बनाया जाना था। इसके लिए प्राधिकरण की ओर से 200 करोड़ रुपए का बजट तैयार किया गया। तमाम स्टडी व पूणे स्थित सेंट्रल वाटर पावर रिसर्च स्टेशन की रिपोर्ट के बाद भी इस योजना को जमीन पर नहीं उतारा जा सका। सपा शासन काल में ये योजना परवान चढ़ाने के लिए बैठकों का दौर शुरू हुआ। 2012 में इसकी नींव रखी जानी थी। चुनाव प्रचार का यह जरिया भी बना। लेकिन योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। रिवर फं्रट कारिडोर के तहत सेक्टर-122 के पास यमुना व हिंडन के डूब क्षेत्र में कालिनोइजरों व अवैध कब्जे को हटाकर उसे हरा भरा करने की योजना थी। पिकनिक स्पॉट के साथ बच्चो के लिए झूले व सुंदर कलाकृतियों द्वारा पूरे क्षेत्र को सजाने संवारने की योजना थी। लेकिन यह सफल नहीं हो सका। पानी के दबाव जांचने के लिए प्राधिकरण ने सलाहकार कंपनी भी नियुक्त की। इसके साथ ही पूर्ण स्थित रिसर्च कंपनी द्वारा सर्वे रिपोर्ट भी तैयार की गई। करीब आधा दर्जन कंपनियों ने रिवर फं्रट को बनाने के लिए इच्छा भी जाहिर की थी। कागजी काम पूरा होने के बाद निविदा प्रक्रिया होनी थी। लेकिन वह नहीं हो सकी। 1984 में तैयार किया गया पहला मॉडल
रिवर फं्रट कारिडोर का शगूफा आज का नहीं बल्कि 1984 का है। 1976 में प्राधिकरण की स्थापना के बाद पहली बार इस योजना को प्रकाश में लाया गया। प्राधिकरण टाउन प्लानर द्वारा 1984 में थर्माकोल के ऊपर रिवर फं्रट का एक मॉडल तैयार किया। जिसे प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में रखा गया। खास बात यह है कि संसोधन के बाद इसके निर्माण को अनुमति भी मिल गई थी। लेकिन उसके बाद यह मॉडल प्राधिकरण के स्टोर में धूल फांक रहा है।
अकेला रिवर फं्रट ही नहीं जिस पर प्राधिकरण ने अपना दांव खेला। ऐसे शहर के कई प्रोजेक्ट है जिनको कागजों के रूप से तैयार करने के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च किए गए लेकिन उन्हें धरातल पर नहीं उतारा जा सका।
-यमुना के समानान्तर छह लेन का पुल लागत 150 करोड़ काम लटका
-चिल्ला रेगूलेटर से ओखला बैराज पुल तक 5.8 किलोमीटर लंबी एलिवेटड लागत करीब 600 करोड़
-लेजर पार्क लागत करीब 200 करोड़
-सेक्टर-15 मेट्रो स्टेशन से स्काई वॉक लागत करीब 4 करोड़
-सेक्टर-150 में यमुना पुल फरीदाबाद को जोडऩे के लिए लागत 300 करोड़


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