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नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट कई मायने में स्थापित कर रहा कर्तिमान

निर्माण की पूरी प्रक्रिया पूरी सबसे कम समय में पूरा करने वाला देश का पहला एयरपोर्ट

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट कई मायने में स्थापित कर रहा कर्तिमान
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- देवेंद्र सिंह

ग्रेटर नोएडा। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट कई मायने में एक इतिहास रचने जा रहा है। देश का यह पहला एयरपोर्ट होगा जो निर्धारित समय से पहले निर्माण कार्य पूरा करने की ओर अग्रसर है। निर्माण कार्य षुरू होने के नौ माह में टर्मिनल बिल्डिंग और रनवे ने आकार ले लिया। एयर ट्रैफिक कंट्रोल टाॅवर तैयार होने के कगार पर है। जून 2022 में यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड ने टाटा प्रजोक्ट को निर्माण का अवार्ड किया था। अब तक एयरपोर्ट का 20 फीसदी से ज्यादा निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। यमुना प्राधिकरण के क्षेत्र में बन रहा देश का पहला सबसे बड़ा ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट है। जुलाई- 2017 में इस इंटरनेशनल एयरपोर्ट का साइट क्लीरन्स व मई 2018 में सैद्धांतिक अनुमति भारत सरकार ने प्रदान किया था ।

महज़ दो वर्षों में इसके लिए 1334 हेक्टयर यानी लगभग 3300 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया, पर्यावरणीय अनुमति के साथ साथ भारत सरकार की विभिन्न मंत्रालयों और एजेंसियों से सभी प्रकार की एनओसी प्राप्त कर ग्लोबल बिड के माध्यम से एविएषन सेक्टर की कम्पनी ज्यूरिख एयरपोर्ट एजी का चयन किया गया। देश में पहली बार एविएषन हब में शत प्रतिशत किसी विदेशी कंपनी ने निवेश किया। एयरपोर्ट निर्माण को लेकर निर्धारित समय में निर्माण को लेकर प्रक्रिया पूर्ण करने की यह देश का पहला एयरपोर्ट होगा।

उत्तर प्रदेश सरकार की सरकारी कम्पनी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड ने ज़ुरिख एयरपोर्ट की कम्पनी यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के साथ 07 अक्टूर 2020 को कंशेसशन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर कर देश के पहले सबसे बड़े इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण की नींव डाली। कोविड काल में ही उत्तर प्रदेश सरकार ने 01 मार्च 2021 को ज़ुरिख एयरपोर्ट के साथ स्टेट सपोर्ट एग्रीमेंट हस्ताक्षरित कर एयरपोर्ट के निर्माण हेतु सभी आवश्यक सहयोग उपलब्ध कराया।

एयरपोर्ट का बेहतर कनेक्टविटी

यह एयरपोर्ट 100 मीटर ऐक्सेस कंट्रोल यमुना एक्सप्रेस वे के किनारे स्थित है, जिसे आधुनिक इंटर्चेंज बना कर जोड़ा जाएगा। एयरपोर्ट को यमुना एक्सप्रेस वे के समानांतर 60 मीटर सर्विस रोड का निर्माण कर जोड़ा जा चुका है। इस एयरपोर्ट की कनेक्टविटी ईस्टर्न पेरीफ़ेरल रोड से भी यमुना एक्सप्रेस वे पर इंटर्चेंज बनाकर की जाएगी। नोएडा एयरपोर्ट को दिल्ली -वाराणसी हाई स्पीड बुलेट ट्रेन से भी जोड़ा जा रहा है, जिसका स्टेशन नोएडा एयरपोर्ट के टर्मिनल के पास होगा और दिल्ली से नोएडा एयरपोर्ट की दूरी मात्र 21 मिनट में तय होगी.

नोएडा एयरपोर्ट को दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस-वे से बल्लभगढ़ (हरियाणा) से भी जोड़ा जा रहा है । यह 30 किमी लम्बा होगा ,जिसमें से 8.5 किमी उत्तर प्रदेश में तथा 21.5 किमी हरियाणा में स्थित है । इसे एनएचएआई द्वारा निर्माण की कार्यवाही की जा रही है। इस प्रकार यह एयरपोर्ट कनेक्टविटी के दृष्टिकोण से पूरे भारत में अद्भुत है।

किसानों का किया गया बेहतर पुर्नवास

एयरपोर्ट परियोजना से प्रभावित 3073 परिवारों का पुनर्वासन जेवर क़स्बे के पास 50 हेक्टेयर पर सेक्टर बना कर किया गया है । उत्तर प्रदेश सरकार ने सम्पूर्ण 3300 एकड़ भूमि का लाइसेन्स और क़ब्ज़ा विकासकर्ता ज्यूरिख एयरपोर्ट एजी की एसपीवी कम्पनी -यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड ने ईपीसी कांट्रेक्टर के रूप में टाटा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड को चयन कर रनवे, एटीसी और टर्मिनल बिल्डिंग का निर्माण किया जा रहा है।

इस एयरपोर्ट का विकास दो स्टेज में होगा। प्रथम स्टेज में यह एयरपोर्ट दो रन-वे का होगा जो दूसरे स्टेज में बढ़ कर पाँच रन-वे का हो जाएगा। दो रन-वे का यह एयरपोर्ट 70 मिलियन यानी 7 करोड़ वार्षिक यात्रियों की क्षमता का होगा और इस पर लगभग 30 हज़ार करोड़ रुपए खर्च होगे। इसका विकास चार चरणो में होगा । प्रथम चरण में वर्ष 2023-24 में 12 मिलियन यानी 1 करोड़ बीस लाख वार्षिक यात्रियों की क्षमता का यह एयरपोर्ट प्रारम्भ में एक रनवे का होगा जो वर्ष 2031 में बढ़कर 30 मिलियन यानी 3 करोड़ यात्रियों की वार्षिक क्षमता का और दो रन वे का हो जाएगा। वर्ष 2036 में यह 50 मिलियन और वर्ष 2040 में यह 70 मिलियन यानी 7 करोड़ यात्रियों की वार्षिक क्षमता का हो जाएगा।

चार चरणों में होगा 29,560 करोड़ रूपये

चारों चरणों में इस परियोजना पर 29,560 करोड़ की धनराशि खर्च होगी । यह एयरपोर्ट आधुनिक , डिजिटल और नेट जीरो कॉर्बन उत्सर्जन से युक्त होगा ।
यह एयरपोर्ट सितंबर 2024 में जनता को समर्पित होगा और पहली उड़ान प्रारम्भ होगी ।

विकासकर्ता द्वारा 40 एकड़ क्षेत्रफल में एमआरआ ( मेटीनेंस, रिपेयर, ओवरहाॅलिंग) सर्विस का भी विकास किया जाएगा। नोएडा एयरपोर्ट परियोजना से कुल 1.0 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार की प्राप्ति होगी । साथ ही अनुमानतः 60,000 करोड़ का आय होगा।

एयरपोर्ट के पास अपना डेडिकेटेड कार्गाे टर्मिनल भी होगा , जिसकी क्षमता 20 लाख मीट्रिक टन होगी, जिसे बढ़ा कर 80 लाख मीट्रिक टन तक किया जाएगा । कार्गाे के लिए अलग रूट की भी व्यवस्था की जा रही है । इस कारण से यह एयरपोर्ट इस क्षेत्र में स्थापित विभिन्न उद्योगों के उत्पादों के परिवहन के लिए वरदान साबित होगा ।
एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के क्रम में दूसरे स्टेज में तीन रन वे बनाए जाएँगे ।

तीसरा रन- वे 1365 हेक्टएर में , चैथा रन-वे 1318 हेक्टएर और पाँचवा रन-वे 735 हेक्टएर में बनाया जाएगा । यहाँ यह उल्लेखनीय है की तीसरे रन -वे के निर्माण के लिए आवश्यक 1365 हेक्टेएर भूमि के अधिग्रहण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने अनुमति के साथ बजट भी उपलब्ध करा दिया है और अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो चुकी है । 5 रन-वे की कुल क्षमता 225 मिलियन की होगी। इस प्रकार नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट ज़ेवर जो विस्तारीकरण के बाद 5 रन-वे का होगा , इसमें कुल 225 मिलियन की क्षमता होगी ।

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की स्थापना से औद्योगिक अवस्थापना का संरचनात्मक विकास होगा , जिससे रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे, विनिर्माण एवं निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा तथा हवाई यातायात सुगम होगा साथ ही पर्यटन में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी । इस एयरपोर्ट के निकट कई औद्योगिक सेक्टरों का विकास यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में हुआ है । आनेवाले दिनों में यह क्षेत्र सबसे बड़ा औद्योगिक और सर्विस सेक्टर की गतिविधियों का केंद्र बनेगा।


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