यमुना पुल निर्माण में देरी कंपनी पर पड़ न जाए भारी
नोएडा ! निजाम बदलने के साथ नोएडा प्राधिकरण में अधिकारियों में हडक़ंप का महौल है। वहीं, निर्माण कंपनियों को ब्लैक लिस्ट करने की तैयारी भी की जा रही है।

नोएडा ! निजाम बदलने के साथ नोएडा प्राधिकरण में अधिकारियों में हडक़ंप का महौल है। वहीं, निर्माण कंपनियों को ब्लैक लिस्ट करने की तैयारी भी की जा रही है। यदि ऐसा होता है तो प्राधिकरण की निर्माण नितियों पर सवालिया निशान लगना तय माना जा रहा है।
ऐसे में पहला सर्वे ओखला बैराज के समानान्तर बन रहे यमुना पुल का होगा। 31 मार्च को सर्वे के बाद निर्माण कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की कवायद की जा सकती है। दिल्ली-नोएडा ट्रैफिक भार को कम करने व जाम से निजात दिलाने के लिए प्राधिकरण द्वारा ओखला बैराज के समानान्तर पुल बनाने का निर्णय लिया गया। इसके लिए सलाहकार कंपनी गठित की गई। पुलिस के निर्माण व डिजाइन के लिए पूणे स्थित एक कंपनी से हाइड्रोलिक रिपोर्ट तैयार की गई। करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद पुलिस के निर्माण संबंधी कार्य एनकेजी कंपनी को सौंपा गया। 150 करोड़ रुपए की लागत से तैयार होने वाला पुल अगस्त 2016 में बनकर तैयार हो जाना चाहिए था। लेकिन लापरवाही के चलते इसके निर्माण में लगातार देरी होती जा रही है। परियोजना के बजट में भी बढ़ोतरी हो रही है। लिहाजा अगस्त में प्राधिकरण द्वारा पुल का सर्वे कर एनकेजी कंपनी को चेतावनी दी गई। साथ ही ब्लैक लिस्ट करने की बात भी कही गई। ऐसे में कंपनी को पुल के निर्माण में तेजी लाने व छह माह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया। 31 मार्च को प्राधिकरण द्वारा दोबारा सर्वे किया जाएगा। यह सर्वे कंपनी की रिपोर्ट के आधार पर होगा। यदि कंपनी का कार्य गुणवत्ता से कम पाया गया तो उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा। यानि भविष्य में एनकेजी कंपनी कभी भी प्राधिकरण की परियोजना में निर्माण संबंधित भागीदारी नहीं निभा पाएगा। प्राधिकरण अधिकारियों के निशाने पर अन्य कंपनियां भी है। फिलहाल इस देरी की वजह से दिल्ली से नोएडा व नोएडा से दिल्ली आने जाने वाले वाहन चालकों को भारी जाम का सामना करना पड़ रहा है। सत्ता परिवर्तन के साथ ही प्राधिकरण में एक अजीब सी पहल शुरू हो गई है। आला कमान से लेकर नीचे तबके के सभी अधिकारी फाइलों को दुरस्त करने में जुट गए है।
कयास लगाए जा रहे है कि ऐसा नए निजाम की घोषणा होने के चलते किया जा रहा है। वहीं, अधिकारियों का लखनऊ मुख्यालय के चक्कर भी लगने शुरू हो गए है।


