नोएडा : शीर्ष अदालत का फैसला इजाद करेगा बकाया वसूलने का नया फार्मूला
बिल्डरों से बकाया किस फार्मूले से वसूल किया जाए? इसकी नीति क्या होगी, यह आम्रपाली मामले में शीर्ष अदालत के फैसले के बाद इजाद

नोएडा। बिल्डरों से बकाया किस फार्मूले से वसूल किया जाए? इसकी नीति क्या होगी, यह आम्रपाली मामले में शीर्ष अदालत के फैसले के बाद इजाद की जाएगी।
हो सकता है अदालत की ओर से एक नया फार्मूला दिया जाए जिससे बायर्स के हितों की रक्षा हो साथ ही बकाया भी वसूला जा सके।
यह कहना है प्राधिकरण का। प्राधिकरण ने कहा कि बिल्डरों को नोटिस जारी किए गए, पुर्ननिर्धारण स्कीम निकाली गई।
इसका उतना फल मिलता नहीं दिख रहा। शहर में आबंटन निरस्त करना भी इसका उपाए नहीं है। ऐसे में शीर्ष अदालत आम्रपाली पर अपना क्या रूख रखती है इस पर प्राधिकरण की नजर बनी है।
चुनाव समाप्त होते ही प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने विभागवार बकाएदारों की समीक्षा बैठक की थी।
जिसमें सर्वाधिक बकाया ग्रुप हाउसिंग परियोजना से जुड़े बिल्डरों पर है। टॉप 25 बिल्डरों पर करीब 11 हजार करोड़ रुपए बकाया है।
इस बकाया राशि में लगातार इजाफा हो रहा है। आम्रपाली पर करीब 2 हजार करोड़ रुपए के आसपास बकाया है।
हालांकि पुर्ननिर्धाण स्कीम के तहत आधा दर्जन बिल्डरों ने आवेदन किया। जिन्होंने आठ प्रतिशत रकम जमा की और काली सूची से बाहर हो गए।
यह वह थे जिनका प्राधिकरण पर ज्यादा बकाया नहीं था। अधिकांश बिल्डरों को प्राधिकरण एक बार नहीं बल्कि कई अंतिम नोटिस जारी कर चुका है।
देखना यह भी है कि जिस प्लाट का आबंटन बिल्डर को किया गया वह खाली है या निर्माण हो चुका है। खाली है तो उसको निरस्त किया जा सकता है।
लेकिन यहा ऐसा नहीं है अधिकांश बिल्डर परियोजनाओं पर टावरों का निर्माण हो चुका है। जिसको निरस्त करना यानी बायर्स के हितों के साथ खिलवाड़ करना है।
इस स्थिति में एक-एक कदम फूंक-फूंक कर उठाना होगा। इसके लिए प्राधिकरण आम्रपाली पर शीर्ष अदालत का रुख देखना चाहती है। जिसके बाद बिल्डर से बकाया वसूलने की नई नीति तैयार की जाएगी।


