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बाहरी व्यक्ति को नियुक्त करने का साहस किसी ने नहीं दिखाया: पनगढ़िया

अरविंद पनगढिया ने मोदी को भेजे अपने त्यागपत्र में उनकी सराहना करते हुए कहा है कि इससे पहले किसी भी नेता ने इतने बड़े सरकारी पद पर किसी बाहरी व्यक्ति को नियुक्त करने का साहस नहीं दिखाया था

बाहरी व्यक्ति को नियुक्त करने का साहस किसी ने नहीं दिखाया: पनगढ़िया
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नयी दिल्ली। नीति आयोग के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अरविंद पनगढिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे अपने त्यागपत्र में उनकी सराहना करते हुए कहा है कि इससे पहले किसी भी नेता ने इतने बड़े सरकारी पद पर किसी बाहरी व्यक्ति को नियुक्त करने का साहस नहीं दिखाया था, पनगढ़िया ने गत मंगलवार को इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा था कि मोदी ने उसे स्वीकार भी कर लिया है।

सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पनगढ़िया ने मोदी को संबोधित अपने इस्तीफे में पिछले ढाई वर्ष के अपने कार्यकाल को एक अच्छा अनुभव बताया है और कहा है ,“ आपके साथ ढाई वर्ष तक काम करना मेरे लिए गर्व की बात है।

मेरे लिए यह किसी सपने के सच होने जैसा रहा लेकिन मेरे अनुभव उससे भी परे हैं। आपके कारण मुझे जो अवसर मिला और जो अनुभव हुआ वह मेरी सोच से परे है। इससे पहले किसी भी नेता ने किसी बाहरी व्यक्ति को केंद्र में इतने बड़े पद पर नियुक्त करने का साहस नहीं दिखाया था।

’’ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का कद बढ़ाने के लिए भी मोदी की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि हैमबर्ग में हाल में आयोजित जी-20 शिखर बैठक के दौरान वैश्विक नेताओं ने जिस तरह श्री मोदी को तरजीह दी, उससे बेहतर इसका उदाहरण नहीं हो सकता है।

पनगढ़िया ने साथ ही श्री मोदी को सलाह दी कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष और जी-20 शेरपा की भूमिकायें अलग अलग व्यक्ति द्वारा निभायी जानी चाहिए क्याेंकि आने वाले समय में जी-20 शेरपा का काम बढ़ने ही वाला है। इसी तरह पिछले दो साल के दौरान नीति आयोग की जिम्मेदारियां भी तेज गति से बढ़ी हैं, जिससे उपाध्यक्ष को अधिक समय देने की जरूरत होती है।

नीति आयोग और जी-20 को पूरा-पूरा समय मिल पाये, इसके लिए दो अलग अलग व्यक्तियों को इनकी जिम्मेदारी संभालनी चाहिए। पनगढिया पांच जनवरी 2015 को नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष नियुक्त किये गये थे।

योजना आयोग की जगह नीति आयोग के गठन के बाद वह इसके पहले उपाध्‍यक्ष बने। उनका कहना है कि वह 31 अगस्त तक नीति आयोग के उपाध्यक्ष रहेंगे। वह अध्यापन की दुनिया में वापस जाने के इच्छुक हैं और पांच सितंबर को कोलंबिया यूनीवर्सिटी में दोबारा अपना कामकाज शुरु करेंगे।


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