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कांग्रेस के साथ समन्वय का सवाल ही नहीं : टीएमसी

तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को स्पष्ट कर दिया कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के राजनीतिक रुख को देखते हुए उसके साथ किसी तरह के तालमेल की जरूरत नहीं है

कांग्रेस के साथ समन्वय का सवाल ही नहीं : टीएमसी
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कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को स्पष्ट कर दिया कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के राजनीतिक रुख को देखते हुए उसके साथ किसी तरह के तालमेल की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री और पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी की अध्यक्षता में यहां उनके आवास पर तृणमूल के शीर्ष नेतृत्व की बैठक में यह निर्णय लिया गया। लोकसभा में तृणमूल नेता सुदीप बंद्योपाध्याय ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि भाजपा के एक आदर्श विपक्ष के रूप में कांग्रेस की भूमिका संदिग्ध नहीं है। पश्चिम बंगाल में, तृणमूल कांग्रेस और राज्य सरकार के लिए समस्याएं पैदा करने के लिए कांग्रेस की माकपा और भाजपा दोनों के साथ समझ है। एक तरफ कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर तृणमूल कांग्रेस का समर्थन मांगेगी तो दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल में राज्य स्तर पर हमारा विरोध करेगी। दोनों चीजें साथ-साथ नहीं चल सकतीं।

उन्होंने यह भी कहा कि यही कारण है कि तृणमूल कांग्रेस के साथ संसद के पटल पर समन्वय से परहेज कर रही है। यह पूछे जाने पर कि क्या तृणमूल कांग्रेस तीसरे मोर्चे के फामूर्ले के लिए आगे बढ़ रही है, बंदोपाध्याय ने कहा कि हालांकि इस संभावना पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी, क्षेत्रीय दलों के साथ समन्वय करने का प्रयास किया जाएगा, जिनके पास अपने राज्यों में पर्याप्त ताकत है।

आज हमारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के साथ बैठक करेंगी। इस महीने वह ओडिशा जाएंगी और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ बैठक करेंगी। इसके बाद मुख्यमंत्री अन्य क्षेत्रीय दलों के नेताओं से बातचीत करने के लिए नई दिल्ली पहुंचेंगी।

बंदोपाध्याय ने यह दावा करते हुए कहा कि कांग्रेस एक आदर्श राष्ट्रीय विपक्षी पार्टी की भूमिका नहीं निभा रही है, वह क्षेत्रीय दलों की भावनाओं का सम्मान किए बिना बिग बॉस की भूमिका निभाने की कोशिश कर रही है।

बंदोपाध्याय के सुर में सुर मिलाते हुए राज्य की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर और राज्य स्तर पर कांग्रेस की दोहरी नीतियां तृणमूल के साथ समन्वय स्थापित करने में प्रमुख बाधा हैं। ममता बनर्जी भारतीय राजनीति में सबसे स्वीकार्य चेहरा बनी हुई हैं और तृणमूल कांग्रेस अपने दम पर आगे बढ़ने में सक्षम है।


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