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गरीब बेटियों की सुधि लेने वाला कोई भी नहीं,आर्थिक स्थिति ठीक नहीं, शिक्षा से वंचित

रायगढ़ ! एक तरफ जहां रायगढ़ जिले की कलेक्टर अलरमेल मंगई डी को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के तहत दिल्ली में सम्मानित किया जा रहा है

गरीब बेटियों की सुधि लेने वाला कोई भी नहीं,आर्थिक स्थिति ठीक नहीं, शिक्षा से वंचित
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कहीं खोखला साबित न हो जाए जिले में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा
रायगढ़ ! एक तरफ जहां रायगढ़ जिले की कलेक्टर अलरमेल मंगई डी को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के तहत दिल्ली में सम्मानित किया जा रहा है वहीं रायगढ़ शहर के हेमू कालानी चौक के पास खुलेआम आसमान के नीचे रह रहे गरीब परिवार के बेटियों की सुधि लेने वाला कोई भी नहीं। इस गरीब परिवार में तीन बेटियां है जिसमें बड़ी बेटी निर्मला 8 वर्ष, दूसरी बेटी उमा सिंह 4 वर्ष और सबसे बेटी रोशनी 1 वर्ष शामिल है। इस गरीब परिवार की आर्थिक व्यवस्था अत्यंत दयनीय है, जहां पेट की प्यास बुझाने परिवार के लिये मुखिया के द्वारा हर संभव प्रयास किया जाता है फिर भी कभी-कभी इन परिवार के सदस्यों को भूखे पेट ही सोना पड़ता है। हमारे संवाददाता ने जब इस परिवार की बड़ी बेटी निर्मल से पढ़़ाई के संबंध में चर्चा की तो उसने बताया कि वह और उसकी बहन भी पढऩा चाहती है मगर परिवार की आर्थिक व्यवस्था ठीक नही होने के कारण वह पढ़ाई से वंचित है। इससे पहले कई अखबारों ने इस परिवार की उस व्यथा को भी प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था जिसमें बीते कई महीनों से इनका परिवार सडक़ के किनारे खुले आसमान के नीचे अपना जीवन यापन व्यतीत करते आ रहा है और इसी रास्ते से जिले की मुखिया तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी कलेक्टे्रट आना जाना करते है। खबर छपने के बाद नगर निगम ने इस परिवार तक पहुंचकर केवल इतना कहा कि आप लोग रैन बसेरा में जाकर कुछ दिनों तक रह सकते है लेकिन नगर निगम ने उनके लिये मकान की व्यवस्था तो दूर कोई जगह की व्यवस्था तक नही की है और अब इन तीन बेटियों के उपर उनका भविष्य बनाने की जिम्मेदारी होनें के चलते बेटियां इस बात को लेकर परेशान है कि जब सर पर छत ही नही है तो भला वे कैसे इस मौसम में अपनी पढाई करें चूंकि गरीबी के चलते माता-पिता ने उन्हें कभी स्कूल भेजा ही नही जबकि उनकी इच्छा पढ़ लिखकर कुछ बनने की है।
दो दिन पहले ही जिले की कलेक्टर अलरमेल मंगई डी दिल्ली केवल इसलिये रवाना हो गई है कि उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय से बेटी बचाओ, बेटी पढाओ के लिये बेहतरीन कार्य करने पर सम्मानित किया जाना है मगर इसके ठीक विपरीत उनके ही गृह जिले में तीन बेटियां पढाई के लिये स्कूल की राह देख रहीं है ऐसे में कैसे जिले की बेटियां अपना भविष्य गढेगी और आगे बढेगी यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। रायगढ़ जिले में अगर बेटियों की बात करें तो जिले में कई ऐसी भी घटनाएं हुई है जिनमें बेटियों की मृत्यु हो भी चुकी है जिनमें से कुछ मामलों को पुलिस ने सुलझा पाने में सफलता पाई है लेकिन कुछ मामले में अब भी पुलिस सिर्फ और सिर्फ सुराग ढूंढने का दावा करते हुए आज तक उन अपराधियों तक नही पहुंच सकी है। कल 24 जनवरी को रायगढ़ जिले की कलेक्टर अलरमेल मंगई डी दिल्ली में बेटी बचाओ, बेटी पढाओ के क्षेत्र में सराहनीय कार्य के लिये सम्मानित होने जा रही है और इससे पहले भी उन्हें बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं के तहत सम्मानित भी किया जा चुका है लेकिन वर्तमान परिदृश्य इससे कोसो दूर है, बेटियों के साथ हो रहे अपराधिक घटनाएं भी कम नही हुई है, तो दूसरी ओर आज भी कई ऐसी बेटियां हैं जो पढऩा तो चाहती है लेकिन शासन के द्वारा उन्हें किसी प्रकार का कोई सहयोग नही मिलने से वे आज भी शिक्षा से वंचित होते जा रहें है। अखबारों में आये दिन महिलाओं व युवतियों के साथ छेडछाड व बलात्कार की घटनाएं प्रकाशित होती रहती है। यह सब देखकर रायगढ़ जिले में बेटियां अपने आपको असुरक्षित महसूस करती हैं। इस संबंध में हमारे संवाददाता ने शहर के कुछ लोगों से बात की तो उन्होंने कहा कि हां सच में बेटियों के साथ हो रही घटनाएं पहले की अपेक्षा काफी अधिक बढ गई है यहां तक कि पुलिस महकमे की कांस्टेबल महिला के भी साथ छेडछाड की घटना हो चुकी है वह आज भी न्याय की आस में दर-दर की ठोंकर खा रही है। जब महिला पुलिस कांस्टेबल के साथ छेडछाड की घटनाएं हो सकती है तो आम लोगों का तो भगवान ही मालिक है। जब किसी कारण वश उनकी बेटी बाहर निकली रहती है तो उनके परिजनों को अपनी बेटी के वापस आने तक डर बना रहता है। बहरहाल कागजों में बेटी बचाओ, बेटी पढाओ का नारा बुलंद हो रहा है और नेता भी इस खोखले नारे को केवल पढक़र ताली पीट रहें है और हकीकत से कोसो दूर जिले की बेटियां अपने भविष्य पर मंडराते खतरे को देख कर चिंतित है। क्या उनका भी कोई गाड फादर या गाड मदर इस धरती पर सामने आयेगा?


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