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मेरे पिता जैसा कोई नहीं :रणबीर

नयी दिल्ली ! बॉलीवुड के अभिनेता रणबीर कपूर ने कहा है कि फिल्म उद्योग में उनके पिता ऋषि कपूर के स्तर का कोई दूसरा अभिनेता नहीं है।

मेरे पिता जैसा कोई नहीं :रणबीर
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नयी दिल्ली ! बॉलीवुड के अभिनेता रणबीर कपूर ने कहा है कि फिल्म उद्योग में उनके पिता ऋषि कपूर के स्तर का कोई दूसरा अभिनेता नहीं है।
ऋषि कपूर की किताब ‘ खुल्लम खुल्ला: ऋषि कपूर अनसेंसर्ड’ की प्रस्तावना में रणबीर ने लिखा है, “ मैं खुद एक अभिनेता हूं और मुझे फिल्मों तथा उसके प्रदर्शन में काफी रूचि रहती है और मैं पूरी ईमानदारी से कह सकता हूं कि मैं किसी भी अभिनेता को ऋषि कपूर के अभिनय की बराबरी करते नहीं देख रहा हूं।
” उन्होंने कहा कि अपने समकालीन अभिनेताओं की तुलना में ऋषि कपूर काफी सहज थे।
उस दौर के ज्यादातर अभिनेताओं के अभिनय की एक खास शैली हुआ करती थी लेेकिन मेरे पिता की अभिनय शैली में कुछ बनावटीपन नहीं था।
रणबीर ने कहा कि फिटनेस के प्रति सचेत इस फिल्मी उद्योग में, उनके पिता दूसरे अभिनेताओं की तरह दुबला-पतला नहीं होने के बाद भी दर्शकों को लुभाने में कामयाब रहे।
उन्हाेंने कहा, “मुझे यह मानना होगा कि वह (ऋषि) अधिक वजन वाले अभिनेता थे।
यहां तक कि जब बॉलीवुड में दूसरे अभिनेता अपने वजन के प्रति जागरूक होने लगे, उन्हाेंने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और जैसे थे वैसे ही रहे।
इसके बावजूद भी उनके अभिनय का स्तर बना रहा।
रणबीर ने कहा कि 80 और 90 के दशक में ज्यादा वजन होने के बाद भी वह ‘चांदनी’, ‘दीवाना’, ‘बोल राधा बोल’, जैसी फिल्मों में बेहद आकर्षक लगे।
जिस इंसान ने बॉलीवुड में 44 वर्ष बिताये है उसमें कुछ तो खास हाेगा ही।
फिल्मों में अभिनय के लिए अपने पिता के जुनून का जिक्र करते हुये रणबीर ने कहा, “ मैं 2006-07 में अभिनेता बना।
उस समय मैं अपने माता-पिता के साथ रहता था, मेरे पिता उस समय जब शूटिंग के लिये तैयार होते थे ताे उस उम्र में भी उनका हौसला और जज्बा कमाल का होता था।
” दिल्ली में इस किताब के विमोचन पर ऋषि कपूर ने कहा कि सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की लोकप्रियता के कारण उन्हें अपनी पूरे फिल्मी कैरियर के दौरान काफी संघर्ष करना पड़ा ।
ऋषि ने कहा, ‘‘मैंने कैरियर की शुरुअात ‘बॉबी’ जैसी रोमांटिक फिल्म से की थी, उससे कुछ महीने पहले अमिताभ की ‘जंजीर’ रिलीज हुई और अमिताभ एंग्री यंग मैन के तौर पर छा गए ।
‘जंजीर’ ने बॉलीवुड की तस्वीर बदल दी।
माहौल ऐसा था कि हर कोई एक्शन हीरो हो गया था।
दर्शक भी संगीत वाली या रोमांटिक फिल्में नहीं देखना चाहते थे।
” उन्होंने कहा,“ मैं एक्शन में बहुत सहज नहीं था,मुझे ऐसा लगता था कि मैं पानी में फेंक दिया गया हूं और मुझे अपनी जान बचानी थी, नहीं तो मैं मर जाता।
उसके बाद से मैं पूरी जिंदगी संघर्ष करता रहा।



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