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किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने किसी नए कानून की जरूरत नहीं

पत्रकारवार्ता में चर्चा करते हुए किसान नेताओं ने बताया कि प्रदेश के 11 सांसदों से वे इस सिलसिले में मुलाकात करेंगे

किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने किसी नए कानून की जरूरत नहीं
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महासमुंद। कृषि सुधार कानून को किसान और उपभोक्ता विरोधी करार देते हुए छग किसान मजदूर महासंघ के संचालक मंडल तेजराम विद्रोही, जागेश्वर चंद्राकर, गोविंद चंद्राकर ने कहा है कि केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा एक देश एक बाजार का दिवास्वप्र दिखाने के खिलाफ देश के किसान आंदोलन कर रहे है। इस तारतम्य में महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के सांसद चुन्नीलाल साहू से 16 अक्टूबर को मुलाकात कर चर्चा करेंगे और उनसे पूछेगें कि क्या वे किसानों के धान समर्थन मूल्य से कम में नही बिकने की गारंटी लेते है।

पत्रकारवार्ता में चर्चा करते हुए किसान नेताओं ने बताया कि प्रदेश के 11 सांसदों से वे इस सिलसिले में मुलाकात करेंगे। 14 अक्टूबर को रायपुर के सांसद से मुलाकात किया जाएगा। प्रदेश की कांग्रेस सरकार को चाहिए कि वे तत्काल विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर केंद्र द्वारा पारित विधेयक को निष्प्रभावी करने सदन में प्रस्ताव पारित कराए। उन्होंने केंद्र सरकार से कहा कि किसानों को मजबूत और आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने किसी नए कानून की जरूरत नही है। 1972 में बनाए गए मंडी व्यवस्था को मजबूत करे। इस व्यवस्था में किसानों को समर्थन मूल्य पर खरीदी करने के लिए शासन को एजेंसी नियुक्त करना चाहिए। इससे कोई भी व्यापारी समर्थन मूल्य से नीचे की बोली नही लगाएगा। कम रेट में जाने पर एजेंसी द्वारा धान खरीदी सुनिश्चित रहती है।

मंडी एक्ट में यह प्रावधान है कि 24 घंटे में उपज का भुगतान व्यापारी को सुनिश्चित करना होता है। पांच दिन तक भुगतान नही होने पर एक प्रतिशत ब्याज की व्यवस्था भी इस प्रावधान में है इसलिए केंद्र सरकार कृषि सुधार कानून को निरस्त कर मंडी व्यवस्था को मजबूत करे। उन्होंने बताया कि प्रदेश के गांवों में किसानों की बैठक लेकर जागरूक करने का काम संगठन द्वारा किया जा रहा है। यह निरंतर जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कानून को किसानों की आजादी का ऐतिहासिक बिल बताकर गुमराह किया जा रहा है और तो और भाजपा के बड़े नेता और कार्यकर्ता भी किसानों की बैठक आहूत कर गुमराह करने का काम कर रहे है। हकीकत यह है कि किसान कारपोरेट्स और बाजार के गुलाम बन जाएगें। किसान नेताओं ने कहा कि यह कहना गलत है कि किसान कही भी धान बेच सकता है।

पहले भी प्रदेश में किसानों को शेष बचे धान को कही पर भी जाकर बेचने की आजादी थी। सरकार को चाहिए कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून बनाए तभी किसानों का भला हो सकता है। इसी तरह कांट्रेक्ट के तहत किसानों को बड़ी कंपनियां जाल में फंसाकर शोषण करेगी। इन नेताओं ने बताया कि राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना 2016 में बनाई गई थी जो फेल हो गया। इसमें आनलाइन मंडी की शुरूआत की गई थी। जिसमें देश के सभी मंडियों को जोड़ा जाना था किंतु 585 मंडियों को ही जोड़ा गया। जिसमें किसानों को कोई फायदा नही हुआ। अब इसका मूल्यांकन भी नही हो रहा है।


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