Top
Begin typing your search above and press return to search.

कोई हो ज्यादा चतुरता एक दिन उल्टी पड़ती ही है

राजनीति के एक कम चर्चा में आए मुद्दे ओवर स्मार्टनेस पर हमने बात शुरू की थी वह कई उदाहरणों के बाद यह बता रही है कि जीवन के बाकी क्षेत्रों की तरह ही सच्चाई, फैक्ट, वफादारी ही राजनीति में काम में आते हैं

कोई हो ज्यादा चतुरता एक दिन उल्टी पड़ती ही है
X

- शकील अख्तर

राजनीति के एक कम चर्चा में आए मुद्दे ओवर स्मार्टनेस पर हमने बात शुरू की थी वह कई उदाहरणों के बाद यह बता रही है कि जीवन के बाकी क्षेत्रों की तरह ही सच्चाई, फैक्ट, वफादारी ही राजनीति में काम में आते हैं ज्यादा चतुराई दिखाने के चक्कर में आप खुद कहीं के नहीं रहते। बात सबसे बड़े नेता की तरफ जा रही है। घटनाओं फैक्ट का यही आप खराब कहें या अच्छा अनिवार्य नतीजा होता है।

कहते हैं ज्यादा चतुराई उल्टी पड़ जाती है! अंग्रेजी में ओवर स्मार्टनेस नेगेटिव टर्म में यूज होता है। राजनीति में तो हमेशा ओवर स्मार्टनेस के नुकसान सामने आते हैं।
मौसम चुनावों का चल रहा है। छत्तीसगढ़ में पहले चरण के चुनाव हो गए। यहां के पहले मुख्यमंत्री थे अजीत जोगी। स्मार्ट आईएएस। मगर मुख्यमंत्री बनने के बाद ओवर स्मार्ट हो गए।

ओवर स्मार्ट का मतलब मैं कुछ भी कर सकता हूं और तीन साल में इतने विवाद पैदा कर लिए कि 2003 में हुए चुनाव में कांग्रेस ऐसी हारी कि फिर 15 साल तक वापस नहीं आ सकी। उसके बाद जब पार्टी छोड़ी तभी 2018 में कांग्रेस की वापसी हुई, कहते हैं कि वे अंदर ही अंदर भाजपा को सपोर्ट करते थे। जो भी हो मगर अब उनके बेटे अमित जोगी भाजपा को खुली मदद करने के लिए सामने आ गए हैं। वे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सामने पाटन से चुनाव मैदान में हैं। उद्देश्य कांग्रेस के वोट काटना है।

बघेल का मुकाबला तो भाजपा से ही है जिसने उनके भतीजे विजय बघेल को चाचा के सामने उतारा है। मगर मुख्यमंत्री के अच्छे प्रभाव के कारण मुश्किल में फंसी भाजपा की मदद के लिए अमित जोगी अंतिम क्षणों में यहां चुनाव लड़ने पहुंच गए। जोगी परिवार के तीनों सदस्य चुनाव मैदान में हैं। अमित जोगी की पत्नी ऋचा और उनकी मां रेणू जोगी भी चुनाव लड़ रहे हैं। इनकी अपनी पार्टी है जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़। नाम से कांग्रेस का धोखा होता है। इसलिए इन्हें उम्मीद है कि कांग्रेस के कुछ वोट काटकर भाजपा को फायदा करा सकेंगे। यह ओवर स्मार्टनेस बेटे अमित में पिता अजीत जोगी से भी ज्यादा है।

कांग्रेस जिस दूसरे चुनावी राज्य में ज्यादा मजबूत दिखाई दे रही है वह है मध्य प्रदेश। और यहां भी कांग्रेस के एक पूर्व नेता की ओवर स्मार्टनेस उन्हें अब भारी पड़ रही है। जनता इस तरह करती नहीं है। मगर इस बार वह पूरी तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया से बदला लेने के मूड में है। उन्होंने जिस तरह कांग्रेस को कम और जनता को ज्यादा धोखा देकर भाजपा की सरकार बनाई

वह अब उन्हें और उनसे ज्यादा भाजपा को भारी पड़ रही है। केन्द्रीय मंत्रियों और सांसदों तक को चुनाव लड़ाना पड़ रहा है। मगर उससे भी कोई राहत नहीं मिली। उल्टे बगावत ज्यादा हो गई। और केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के बेटे का तो एक वीडियो वायरल हो गया जिससे वे और परेशानी में पड़ गए। वीडियो में बेटा कथित तौर पर करोड़ों रुपए के लेनदेन की बात करता दिखाई दे रहा है।

मध्य प्रदेश में कहा जा रहा है कि केन्द्र और राज्य दोनों जगह इनकी सरकार है। अगर गलत है तो जांच करवा ली होती। झूठा बनाने वाला पकड़ में आ जाता। मगर कोई जांच भी नहीं हुई। कारण किसी को पता नहीं है। लोकिन यह जरूर कहा जा रहा है कि इसके पीछे पार्टी के अंदर की ही कोई राजनीतिक प्रतिद्वंदिता है। बाहर के किसी आदमी की डबल इंजन सरकार में घुसपैठ नहीं हो सकती। शक की सुइयां उन लोगों की तरफ घूम रही हैं जो मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं।

यह जो कहानी की थीम ओवर स्मार्टनेस है उसमें यहां प्रधानमंत्री मोदी भी आ रहे हैं। उन्होंने अपने नाम पर चुनाव लड़ने का माहौल बनाकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बिल्कुल अलग थलग कर दिया है। मगर एक बात है शिवराज भी बहुत मजबूत दिल वाले नेता हैं। मोदी द्वारा कहीं उनका नाम तक न लेने अपमान की हद तक नजरअंदाज करने के बावजूद शिवराज चुनाव प्रचार में सबसे ज्यादा मेहनत से लगे हुए हैं। दीवाली के दिन वही एकमात्र बड़े नेता थे जो प्रचार में लगे हुए थे। उससे पहले धनतेरस को उन्होंने एक दिन में 11 मीटिंगें कीं। अब यह अलग बात है कि इस समय कोई उन्हें क्रेडिट देने को तैयार नहीं है। मोदी की बेरूखी देखने के बाद राज्य में कई नेता मुख्यमंत्री पद के लिए सज गए हैं। कहते हैं उसी में से किसी ने सबसे प्रमुख दावेदार के रूप में उभर रहे तोमर का यह वीडियो बनवाया है।

खैर वह जो भी हो छत्तीसगढ़ की तरह मध्य प्रदेश में भी भाजपा की स्थिति अच्छी नहीं है। यहां और छत्तीसगढ़ दोनों जगह एक-दो दिन बाद मतदान हो जाएगा। छत्तीसगढ़ के दूसरे और अंतिम चरण का होना है और मध्य प्रदेश में एक ही चरण में। 17 नबंबर को। भाजपा या कांग्रेस सीधा मुकाबला है। कांग्रेस की एज ( बढ़त) के साथ। दोनों जगह कांग्रेस की एज में उसके दो ऐसे नेता का हाथ है जो अपनी ओवरस्मार्टनेस की वजह से कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने की सोचकर उसका फायदा कर गए। पार्टी छोड़कर। और सिंधिया भाजपा में जाकर उसकी मदद करने के बदले उस पर बोझ बन गए और उधर छत्तीसगढ़ में जोगी के कांग्रेस छोड़ते ही कांग्रेस का ग्रहण उतर गया।

मध्य प्रदेश में ग्वालियर-चंबल संभाग जिसे कभी सिंधिया परिवार का गढ़ कहा जाता था और केवल कहा ही नहीं जाता था हमने खुद देखा है कि वे अपने ड्राइवर को भी चुनाव लड़वा देते थे तो जीत जाता था। मगर अब ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस और जनता को दिए धोखे के बाद जिसे वहां ज्यादा कठोर शब्दों में गद्दारी कहा जा रहा है उनके प्रत्याशियों का जीतना मुश्किल हो रहा है। ग्वालियर चंबल संभाग में 34 सीटें हैं। जहां ज्योतिरादित्य की गद्दारी बहुत बड़ा इशु बना हुआ है। यहीं से केन्द्रीय मंत्री तोमर को भी लड़ाया गया है। मगर एक तो सिंधिया के विश्वासघात या जो इसे यहां की जनता कह रही है गद्दारी से उनकी सीट भी मुश्किल में पड़ गई है। और फिर अभी जब यह लिख रहे हैं तो उनके बेटे का एक और बहुत साफ वीडियो सामने आ गया है। इसमें 500 करोड़ की बात हो रही है।

यह वीडियो मोदी के परिवारवाद इशु और भ्रष्टाचार दोनों की हवा निकाल देगा। परिवारवाद का यह विकृत रूप है कि पिता केन्द्र में मंत्री हो और बेटा वीडियो में 500 करोड़ की बात करता देखा जा रहा हो।

खैर जैसा राजनीति के एक कम चर्चा में आए मुद्दे ओवर स्मार्टनेस पर हमने बात शुरू की थी वह कई उदाहरणों के बाद यह बता रही है कि जीवन के बाकी क्षेत्रों की तरह ही सच्चाई, फैक्ट, वफादारी ही राजनीति में काम में आते हैं ज्यादा चतुराई दिखाने के चक्कर में आप खुद कहीं के नहीं रहते।

बात सबसे बड़े नेता की तरफ जा रही है। घटनाओं फैक्ट का यही आप खराब कहें या अच्छा अनिवार्य नतीजा होता है कि वह सत्य की तरफ ले जाते हैं। ओवर स्मार्टनेस का शिखर पर उदाहरण तो केवल एक ही हैं। हमारे प्रधानमंत्री। जिनके लिए राहुल ने सबसे सटीक बात कही थी कि अगर वे भगवान के साथ बैठ जाएं तो उन्हें भी बताने लगेंगे कि सृष्टि कैसे चलाना चाहिए।

इन पांच राज्यों के चुनाव में असल में उनका अस्तित्व दांव पर लगा है। अभी तक वे जो चाहे कर रहे थे। मीडिया अंधभक्त बना उनका समर्थन कर रहा था। मगर राहुल की भारत जोड़ो यात्रा और कर्नाटक चुनाव के बाद स्थितियां बदल रही हैं। अब उनका नाले के गैस से चाय बनाना, रडार न पकड़े इसलिए बादलों में से लड़ाकू जहाज निकलवाना, सौ साल तक कांग्रेस नहीं आएगी, मध्य प्रदेश के मन में मोदी है जैसी बातें सुनकर अब लोग चुप नहीं रहते हैं मजाक बनाने लगे हैं।

मोदीजी तो ओवरस्मार्टनेस से आगे जाकर अहं ब्रह्मास्मि की स्थिति तक पहुंच गए हैं। उन्हें अवतार घोषित किया जाने लगा है। लेकिन अब इसका उतार भी शुरु हो गया है। पांच राज्यों के चुनाव बहुत दिलचस्प मोड़ पर हैं। देखना है कि इसमें ओवर स्मार्टनेस वाले नेता चलेंगे या शुद्ध धरातल पर खड़े नेता। कुछ भी कह कर निकल जाने वाले या जनता के रोजगार, महंगाई, मुफ्त शिक्षा इलाज पर बात करने वाले।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है)


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it