लार्वा कंट्रोल नहीं, बढ़ रही मच्छरों की फौज
निगम प्रशासन शहर में लार्वा कंट्रोल करने में विफल है

सभी वार्डों में नहीं होता फागिंग मशीन का उपयोग
बिलासपुर। निगम प्रशासन शहर में लार्वा कंट्रोल करने में विफल है। मच्छरों का प्रकोप दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। गरमी के मौसम में मच्छरों का प्रकोप तेजी से बढ़ता है। नालियों में लार्वा कंट्रोल के लिए महीने में एक बार ही दवा का छिड़काव किया जाता है। जबकि हर सप्ताह लार्वा कंट्रोल करने के लिए नालियों में दवा का छिड़काव करना है।
लार्वा कंट्रोल करने वाले दवा की क्वालिटी स्तरहीन होने की भी जानकारी मिली है।
मच्छरों को मारने के लिए फागिंग मशीन से दवा छिड़काव किया जाता है। निगम प्रशासन केवल शासकीय बंगलों में हर दिन फाङ्क्षगग मशीन का उपयोग करता है। शहर में 65 वार्ड हैं परंतु पांच से दस वार्डों में फाङ्क्षगग मशीन का उपयोग हो रहा है। निगम प्रशासन हर साल 15 लाख रूपए खर्च कर रहा है परंतु शहर के जनता को मच्छर से निजात नहीं मिल पा रही है। लोगों की कहना है कि हर साल गरमी के मौसम में मच्छरों की फौज से परेशान होते हैं। रात के समय मच्छरों को भगाने के लिए लिक्विड, क्वाइल, अगरबत्ती भी काम नहीं आ रहे हैं। मलेरिया का प्रकोप बढ़ रहा है।
निगम प्रशासन लार्वा कंट्रोल करने में विफल है। लोगों द्वारा निगम प्रशासन को मच्छरों से निजात दिलाने पत्र भी लिखे गए हैं। शहर के हर वार्डों में मच्छरों का प्रकोप बढ़ चुका है। शहर की नालियों में लार्वा कंट्रोल करने निगम प्रशासन को दवा छिड़काव करना है। निगम प्रशासन कुछ वार्डों में निगम प्रशासन कुछ वार्डों में दवा का छिड़काव कई महीनों बाद करता है।
जानकारों का कहना है कि लार्वा कंट्रोल करने के लिए सात दिन तक लगातार दवा का छिड़काव करना जरूरी है। लार्वा कंट्रोल के लिए सालभर का छिड़काव नालियों में होना चाहिए क्योंकि नालियों में गंदगी अधिक होती है और लाखों तेजी से उत्पन्न होता है। जिसके कारण हर हजारों मच्छर उत्पन्न होते हैं। ठंडी और गरमी के मौसम में मच्छर का प्रकोप अधिक होता है। केवल बरसात के मौसम में ही मच्छर का प्रकोप कम रहता है।
सूत्रों से जानकारी के अनुसार फागिंग मशीन में दवा की जगह में मिट्टीतेल का उपयोग किया जाता है जबकि मच्छर मारने के लिए दवा का उपयोग होना चाहिए। निगम फागिंग मशीन में मिट्टी तेल का उपयोग कर रहा है। वहीं फागिंग मशीन का उपयोग केवल शासकीय बंगलों में किया जा रहा है। शहर के वार्डों में मशीन का उपयोग नहीं हो रहा है। शहर के कुछ वार्ड ऐसे हैं जहां व्हीआईपी होने के कारण फागिंग मशीन का उपयोग हो रहा है। स्लम बस्तियों में फागिंग मशीन का उपयोग नहीं हो रहा है। इन बस्तियों में लार्वा खत्म करने की दवा तक भी नहीं डाली जाती। 80 प्रतिशत वार्डों में दवा का छिड़काव नहीं हो रहा है। आम जनता का लाखों रूपये मच्छर को मारने के लिए खर्च हो रहा है। लेेकिन लोगों को मच्छर प्रकोप से राहत नहीं मिल पा रही है।
तालापारा निवासी बुद्धाराम यादव का कहना है कि मच्छर मारने के लिए नगर निगम द्वारा दवा का छिड़काव नहीं किया जा रहा है। तारबाहर निवासी घनश्याम रात्रे का कहना है कि नगर निगम मच्छरों काबू करने में विफल है। रात में मच्छर के कारण सो नहीं पाते।
ईमलीपारा निवासी श्रीमती अनिता दुबे का कहना है कि अगरबत्ती, क्वाईल भी काम नहीं आ रहे हैं। करबला निवासी पीयूष राय ने बताया कि फागिंग मशीन नहीं आ रही है। मच्छरों की संख्या तेजी से दिनों दिन बढ़ रही है।
दवा का होता है छिड़काव
लार्वा कंट्रोल के लिए दवा का छिड़काव होता है। ठेकेदार को दवा छिड़काव के लिए एक लाख 49 हजार भुगतान किया जा रहा है।
डॉ.ओंंकार शर्मा
अधिकारी
स्वास्थ्य विभाग
नगर निगम
हर वार्ड में फागिंग मशीन का उपयोग
फागिंग मशीन का उपयोग हर वार्ड में किया जा रहा है। फागिंग मशीन का संचालन नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा होता है। हर दिन वार्डों में फागिंग मशीन लेकर टीम पहुंच रही है।
प्रमिल शर्मा
अधिकारी
नगर निगम


