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न चेहरा, न मुद्दा, एनडीए में कलह', सुप्रिया श्रीनेत का भाजपा पर हमला

कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने मंगलवार को भाजपा पर तीखा हमला बोला और कांग्रेस शासित राज्यों में सुपरिभाषित योजनाओं के माध्यम से महिला कल्याण और सामाजिक न्याय के प्रति पार्टी की प्रतिबद्धता पर जोर दिया है

न चेहरा, न मुद्दा, एनडीए में कलह, सुप्रिया श्रीनेत का भाजपा पर हमला
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पटना। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने मंगलवार को भाजपा पर तीखा हमला बोला और कांग्रेस शासित राज्यों में सुपरिभाषित योजनाओं के माध्यम से महिला कल्याण और सामाजिक न्याय के प्रति पार्टी की प्रतिबद्धता पर जोर दिया है।

पटना में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, "आज बिहार में भाजपा के पास न तो कोई चेहरा है और न ही कोई मुद्दा। उनका गठबंधन अंदर से टूट रहा है। यहां तक कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी उनके ही सहयोगी मजाक उड़ा रहे हैं। एनडीए खेमे में जो चल रहा है, वह राजनीतिक कलह से कम नहीं है।"

उन्होंने कांग्रेस की शासन गारंटी और अन्य दलों के 'खोखले वादों' के बीच तीव्र अंतर रेखांकित किया। श्रीनेत ने महिलाओं के उत्थान के उद्देश्य से कांग्रेस द्वारा संचालित कई कल्याणकारी पहलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दिल्ली में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की 'लाडली योजना' के तहत लड़कियों को 12वीं कक्षा पूरी करने तक 1 लाख रुपए तक की वित्तीय सहायता मिलती थी। कर्नाटक में 'गृह लक्ष्मी' और 'गृह ज्योति' योजनाएं 1.5 करोड़ महिलाओं को 2 हजार रुपए मासिक हस्तांतरण और मुफ्त बिजली देकर सहायता कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 'प्यारी बहना सुख सम्मान योजना' के तहत महिलाओं को 1,500 रुपए प्रति महीने मिलते हैं। तेलंगाना में कांग्रेस के वादों में महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा, 500 रुपए में सब्सिडी वाली एलपीजी और 200 यूनिट मुफ्त बिजली शामिल है। झारखंड में कांग्रेस समर्थित गठबंधन सरकार महिलाओं को अधिकार के तौर पर 2,500 रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करती है। ये योजनाएं महज खैरात नहीं हैं, ये योजनाएं सशक्तिकरण के साधन हैं। कांग्रेस की नीतियों का उद्देश्य महिलाओं को महंगाई के दबाव से राहत दिलाना और उनकी गरिमा को सुरक्षित रखना है।

बिहार जाति सर्वेक्षण के निष्कर्षों का हवाला देते हुए श्रीनेत ने राज्य में आर्थिक संकट की गंभीर तस्वीर पेश की। उन्होंने कहा कि 94.5 लाख से अधिक परिवार, 5 करोड़ से अधिक लोग, 6 हजार रुपए प्रति माह से कम कमाते हैं और सिर्फ 40 रुपये प्रतिदिन पर गुजारा करते हैं। इसके अतिरिक्त 82 लाख परिवार 10 हजार रुपए प्रति माह से कम पर गुजारा करते हैं। ये आंकड़े बिहार की महिलाओं पर पड़ने वाले भारी आर्थिक बोझ को दर्शाते हैं। वह एक साथ अपने बच्चों की नौकरी और महंगाई को लेकर चिंतित हैं। हमें दोनों पर ध्यान देना होगा।

उन्होंने बिहार के लोगों से शासन मॉडल की तुलना करने और बयानबाजी के बजाय परिणामों पर आधारित गारंटियों के लिए वोट देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हम सिर्फ वादा नहीं करते, बल्कि उसे पूरा भी करते हैं। यह कांग्रेस की गारंटी है।

इसके अलावा, महागठबंधन में एआईएमआईएम की दिलचस्पी को लेकर सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा, "मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है। इन सारी चीजों का जवाब हमारा शीर्ष नेतृत्व और हमारा बिहार का नेतृत्व देगा। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारों पर चलकर आप हमारे साथ राजनीति नहीं कर सकते हैं।"


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