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अविश्‍वास प्रस्ताव एक मजबूरी है, क्योंकि प्रधानमंत्री मणिपुर पर चुप हैं : कांग्रेस

कांग्रेस ने मंगलवार को लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि ऐसा करना उसकी मजबूरी थी, क्योंकि उसकी बार-बार मांग के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी सदन में नहीं आए और मणिपुर संकट पर नहीं बोले

अविश्‍वास प्रस्ताव एक मजबूरी है, क्योंकि प्रधानमंत्री मणिपुर पर चुप हैं : कांग्रेस
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नई दिल्ली। कांग्रेस ने मंगलवार को लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि ऐसा करना उसकी मजबूरी थी, क्योंकि उसकी बार-बार मांग के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी सदन में नहीं आए और मणिपुर संकट पर नहीं बोले।

गोगोई ने प्रस्ताव पर चर्चा शुरू करते हुए कहा, “यह कदम उठाना हमारी मजबूरी है। यह मणिपुर के लिए न्याय के बारे में है। इस प्रस्ताव के जरिए इंडिया गठबंधन मणिपुर के लिए न्याय की मांग करता है।”

उन्होंने कहा कि मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मौन व्रत' को तोड़ने के लिए भी सरकार के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया है, ताकि नियम के मुताबिक प्रधानमंत्री चर्चा के अंत में जवाब देनेे के लिए विवश हो जाएं।

अविश्‍वास प्रस्ताव पर जब चर्चा शुरू हुई तो सदन में सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी मौजूद थे।

उन्होंने कहा कि मणिपुर न्याय मांगता है।

कांग्रेस सांसद ने कहा, “मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने कहा था कि कहीं भी अन्याय होना हर जगह न्याय के लिए खतरा है। अगर मणिपुर जल रहा है तो पूरा भारत जल रहा है, अगर मणिपुर बंटा तो देश बंट गया। यह हमारी मांग है कि देश के नेता के रूप में प्रधानमंत्री मोदी को सदन में आना चाहिए और मणिपुर के बारे में बोलना चाहिए।”

गोगोई ने आरोप लगाया कि जो सरकार "एक भारत" की बात करती है, उसने दो मणिपुर बनाए हैं - एक पहाड़ों में रहता है और दूसरा घाटी में रहता है।

उन्होंने कहा कि विपक्ष की प्रधानमंत्री से तीन मांगें हैं :

सबसे पहले, प्रधानमंत्री को संसद के दोनों सदनों में आना चाहिए। दूसरा, उन्हें सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ मणिपुर का दौरा करना चाहिए, 'हम सभी उनके साथ वहां जाने के लिए तैयार हैं।'

तीसरा, उन्हें सभी सामाजिक संगठनों की बैठक बुलाकर राज्य के हालात पर चर्चा करनी चाहिए और समाधान के बारे में सोचना चाहिए।

गोगोई ने प्रधानमंत्री से तीन सवाल भी किए। उन्‍होंने कहा, “हमारे पास उनसे तीन सवाल हैं - उन्होंने आज तक मणिपुर का दौरा क्यों नहीं किया? आख़िरकार उन्हें मणिपुर पर बोलने में लगभग 80 दिन क्यों लग गए? और प्रधानमंत्री ने अब तक मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त क्यों नहीं किया?”

गोगोई द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव पर चर्चा शुरू होते ही संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आश्चर्य जताया कि मुख्य वक्ता के रूप में राहुल गांधी का नाम अंतिम समय में वापस क्यों ले लिया गया, इसके बाद विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई।

गोगोई की प्रतिक्रिया कि क्या लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के कक्ष में प्रधानमंत्री द्वारा की गई टिप्पणियों को सदन में उजागर किया जाना चाहिए, गृहमंत्री अमित शाह ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सदन के सदस्य प्रधानमंत्री के बारे में निराधार दावे नहीं कर सकते।

गोगोई ने कहा कि वह प्रधानमंत्री से पूछना चाहेंगे कि वह मणिपुर क्यों नहीं गए, जबकि राहुल गांधी वहां गए थे। उनसे पहले गृहमंत्री अमित शाह और गृह राज्यमंत्री (नित्यानंद राय) गए थे।

गोगोई ने कहा, प्रधानमंत्री इसलिए चुप हैं, क्योंकि उन्हें केवल अपनी छवि बनाए रखने की चिंता है। उन्होंने कहा कि जब पहलवान आंदोलन कर रहे थे तो वह चुप थे, जब दिल्ली में दंगे भड़के तो वह चुप थे, वह चीन पर चुप रहे और जब किसान आंदोलन कर रहे थे तो एक साल से भी अधिक समय तक चुप रहे।

गोगोई ने कहा कि केंद्र सरकार ने गरीबों की कमर तोड़ दी है, महंगाई ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, जबकि एनडीए शासनकाल में सिर्फ चुनिंदा कॉर्पोरेट ही समृद्ध हुए हैं।

गोगोई के भाषण समाप्त करने के तुरंत बाद लोकसभा में हंगामा मच गया, जब बसपा सांसद दानिश अली ने सदन के ध्यान में लाया कि सदन के अंदर टेलीविजन स्क्रीन अविश्‍वास प्रस्ताव के बारे में कुछ भी नहीं चला रहे हैं, बल्कि सरकार की विभिन्न पहलों के बारे में जानकारी देरहे हैं।

कई विपक्षी सांसदों ने 'शर्म करो' के नारे लगाए। इस पर कार्यवाही कुछ देर के लिए रुक गई।

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और अन्य मंत्रियों को इस मामले पर चर्चा करते देखा गया, जबकि अध्यक्ष को अपने कर्मचारियों से टेलीविजन स्क्रीन से स्क्रॉल हटाने के लिए कहते देखा गया।

बिरला ने कहा कि आधिकारिक संसद टेलीविजन जो दिखा रहा है उस पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है।

जोशी ने स्थिति को कमतर करने की कोशिश करते हुए कहा कि यह कुछ भी असाधारण नहीं है, भाषणों का सीधा प्रसारण किया जा रहा है।

हालांकि जैसे ही टेलीविज़न स्क्रीन पर सरकार की उपलब्धियां दिखाना बंद हो गया, सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हो गई।

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने प्रस्ताव के खिलाफ बोलते हुए इंडिया गठबंधन बनाने वाली पार्टियों पर सवाल उठाए।

उन्होंने गठबंधन पार्टियों के पिछले इतिहास और उनकी परस्पर विरोधी राजनीतिक विचारधाराओं की आलोचना की और उनके राजनीतिक अवसरवाद की आलोचना की।

दुबे ने इससे पहले भाजपा संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हवाला देते हुए कहा कि यह प्रस्‍ताव सरकार में अविश्‍वास व्यक्त करने के लिए नहीं है, बल्कि यह देखने के लिए है कि विपक्ष में कौन किस पर भरोसा कर सकता है।

उन्होंने पूर्व कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, सोनिया गांधी के पास अब केवल दो काम हैं - "बेटे को सेट करो और दामाद को उपहार दो।"

दुबे की इस टिप्पणी पर सोनिया गांधी मुस्कुरा दीं।


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