केदारपुरी की स्थिति में नहीं आया कोई परिवर्तन : रावत
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार के समय केदारपुरी में कोई भी कार्य नहीं हुये हैं और जो कार्य पिछली सरकार में हो रहे थे वे भी ठप पड़ गये
रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार के समय केदारपुरी में कोई भी कार्य नहीं हुये हैं और जो कार्य पिछली सरकार में हो रहे थे वे भी ठप पड़ गये।
उन्होंने कहा केदारपुरी के कटाव का निरीक्षण करने के बाद रुद्रप्रयाग में पत्रकारों से वार्ता करते हुये पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कि मंदाकिनी नदी से हो रहे कटाव के कारण केदारपुरी को खतरा है।
शीघ्र ही कटाव को नहीं रोका गया तो एक बड़ा हादसा हो सकता है। जिस स्थिति में कांग्रेस सरकार केदारपुरी को छोड़कर गई थी, आज भी केदारपुरी की वही स्थिति है। श्री रावत ने कहा कि केदारनाथ में किसी भी प्रकार के विकास कार्य नहीं हुये हैं।
राज्य की भाजपा सरकार का केदारनाथ पर कोई ध्यान नहीं है। यात्रियों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं। चारधाम यात्रा मार्ग बदहाल स्थिति में है। यात्रा मार्ग पर सफर करना खतरे से खाली नहीं है।
उन्होंने कहा कि मंदाकिनी नदी से हो रहे कटाव से केदारपुरी और अन्य यात्रा पड़ावों को भारी खतरा है। शीघ्र ही सरकार को इस दिशा में सोचना चाहिये।
श्री रावत ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का केदारनाथ पहुंचने पर स्वागत है, लेकिन जहां तक पता चला है श्री मोदी उन्हीं कार्यों का शिलान्यास करेंगे, जिनका पूर्व में हो चुका है।
उन्होंने कहा कि श्री मोदी को केदारनाथ और राज्य के लिये कुछ बड़ा करने की जरूरत है। जिसकी आस जनता लगाये बैठी है। प्रधानमंत्री को कांग्रेस की ओर से ज्ञापन सौंपा जायेगा, जिसमें केदारनाथ पुननिर्माण के साथ ही अन्य मांगे रखी जाएंगी।
उत्तराखण्ड के विकास के लिये केन्द्र सरकार को पूरा बजट मिलना चाहिये। धनराषि न होने के कारण पुलों का निर्माण कार्य अधर में लटका गया है। राज्य सरकार को शीघ्र ही पुलों के निर्माण के लिये धनराशि देनी चाहिये।
श्री रावत ने कहा कि केदारनाथ तक सड़क संभव नहीं थी, इसलिये कांग्रेस सरकार ने रोप-वे की पहल की थी, लेकिन बीजेपी सरकार में यह पहल भी ठंडे बस्ते में चली गई है।
उन्होंने कहा कि केदारनाथ विकास प्राधिकरण गठन का कोई औचित्य नहीं है। सरकार को प्राधिकरण का गठन करने के बजाय केदारनाथ के विकास पर ध्यान देना चाहिये।
यदि प्राधिकरण का गठन होता है तो जो कार्य केदारनाथ में चल रहे हैं। वह भी रूक जाएंगे।


