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प्रदूषण फैला रहे उद्योग के खिलाफ दो माह बाद भी कार्रवाई नहीं

जिले में औद्योगिक प्रदूषण को लेकर वातावरण दूषित होने लगा है

प्रदूषण फैला रहे उद्योग के खिलाफ दो माह बाद भी कार्रवाई नहीं
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जांजगीर। जिले में औद्योगिक प्रदूषण को लेकर वातावरण दूषित होने लगा है। जिला मुख्यालय के आसपास ही कई उद्योग संचालित है, जिनमें प्रदूषण नियंत्रण के पुख्ता उपाय या तो किये ही नही गये है या फिर जहां उपाय रखे गये है उसका ठीक तरह संचालन नहीं हो पाने के चलते धूल व धुएं से लोगों की सेहत पर असर पड़ने लगा है।

इस दिशा में पर्यावरण प्रदूषण विभाग भी गंभीर नजर नहीं आ रहा। करीब दो माह पूर्व लहरी पॉवर प्लांट के विरूद्ध ग्रामीणों द्वारा की गई शिकायत के बाद भी अब तक केवल कागजी कार्रवाई कर विभाग दर्शक बना हुआ है।

जिले में पिछले 10 सालों के दौरान कई नये उद्योग स्थापित हुये है और कुछ प्रारंभिक स्थिति में है। इन उद्योगों के संचालन से अब जिले की आबोंहवा प्रदूषित होने लगा है। जिसका असर लोगों की सेहत पर पड़ता नजर आ रहा है। उद्योग की स्थापना के दौरान पर्यावरण प्रदूषण विभाग की अहम भूमिका होती है, जो उद्योग संचालन के दौरान निकलने वाले प्रदूषित जल तथा धुएं से क्षेत्र पर पड़ने वाले प्रभाव की गहन समीक्षा के अलावा सुरक्षा मापदण्डों की कसौटी को प्रभावी रूप से लागू कराने की जिम्मेदारी निभाती है। मगर औद्योगिक घरानों की ओर से शुरूवाती आश्वासन के बाद अक्सर सुरक्षा मापदण्डों की अनदेखी की जाती रही है।

जिससे प्रदूषण नियंत्रण के लिए किये गये उपाय अक्सर बेअसर साबित होते है। जिला मुख्यालय से लगे ग्राम मड़वा, तेंदूभांठा, बसंतपुर, लक्षनपुर, कुदरी, दर्राभांठा के आसपास कई पॉवर प्लांट संचालित है। जहां की चिमनियों से निकलने वाले धुएं का असर आसपास के गांवों को प्रभावित कर रहा है। मड़वा तेंदूभांठा के पास ही 10 मेगा वाट उत्पादन क्षमता वाला लहरी पॉवर प्लांट का संचालन हो रहा है, जो भूसा आधारित होने के बावजूद धड़ल्ले से कोयले से संचालित किया जा रहा है। ऐसा आरोप ग्रामीणों ने लगाते हुये प्रदूषण फैलाने का आरोप जिला प्रशासन एवं पर्यावरण प्रदूषण बोर्ड को शिकायत पत्र भेजा गया।

मगर पिछले दो माह से ग्रामीणों को आश्वासन ही दिया जा रहा है। वहीं प्लांट बेखौफ संचालित है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन उद्योग को संरक्षण देने पर तुला है, जिसे लोगों के स्वास्थ्य की परवाह बिल्कुल भी नही है। इस संबंध में पर्यावरण विभाग कारखाना प्रबंधन की धारा 31 क के तहत प्लांट को नोटिस दिये जाने की बात कह रही है। मगर आगे की कार्रवाई क्या होगी इस पर स्पष्ट जवाब नहीं है।

छतों पर कपड़ा सूखाना भी नहीं सुरक्षित

उद्योगों से निकलने वाले धुएं का असर जिला मुख्यालय तक दिखने लगा है। जहां घरों की दीवारों में जमी धूल के अलावा छत पर सूख रहे कपड़ों पर भी काले दाग पड़ने लगे है। ऐसे में औद्योगिक क्षेत्र के आसपास के ग्रामीणों पर इसका असर क्या पड़ रहा है। इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। गृहणीया इनदिनों कई तरह के खाद्य सामग्री बनाकर छतों पर सूखाने रखने से परहेज करने लगी है।


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