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रैली में नीतीश ही हुए 'नजरअंदाज', विपक्षी एकता अभियान को लगा झटका

तेलंगाना के मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति प्रमुख के चंद्रशेखर राव द्वारा बुधवार को खम्मम में आयोजित एक रैली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नहीं बुलाए जाने को विपक्षी एकता अभियान को झटका के तौर पर देखा जाने लगा है

रैली में नीतीश ही हुए नजरअंदाज, विपक्षी एकता अभियान को लगा झटका
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पटना। तेलंगाना के मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) प्रमुख के चंद्रशेखर राव द्वारा बुधवार को खम्मम में आयोजित एक रैली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नहीं बुलाए जाने को विपक्षी एकता अभियान को झटका के तौर पर देखा जाने लगा है।

नीतीश कुमार ने बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन के साथ आने और सत्ता परिवर्तन के बाद विपक्षी एकता पर जोर देते हुए कहा था कि वे देश भर में विपक्ष को एकजुट करने के लिए निकलेंगे।

इसके बाद जदयू के नेताओं ने नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद के सबसे योग्य उम्मीदवार को लेकर इसे प्रचारित भी करने लगे। हालांकि, जिस तरह से बुधवार को खम्मम में आयोजित रैली में कई प्रदेशों के अलग-अलग दलों के मुख्यमंत्री शामिल हुए और उस रैली में नीतीश कुमार को आमंत्रित तक नहीं किया गया उससे यह सवाल उठने लगा कि अन्य विपक्षी दलों को नीतीश नापसंद हैं।

इस स्थिति में नीतीश कुमार भले सफाई देते हुए गुरुवार को कहा कि कोई अपनी पार्टी की बैठक करता है और अगर लोगों को बुलाता है तो इसमें कौन-सी नई बात है।

नीतीश कुमार भले ही जो कह ले, लेकिन भाजपा इसे अपनी नजर से देख रही है। भाजपा बिहार प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल कहते हैं कि देश हो या राज्य की राजनीति नीतीश कुमार अप्रासंगिक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी अब नीतीश पर विश्वास नहीं कर सकता, सभी शक की नजर से देख रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री नीतीश ने अगस्त 2022 में एनडीए छोड़ बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाई। उसके बाद उन्होंने यह भी घोषणा कर दी 2025 में बिहार विधानसभा का चुनाव राजद नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।

इस दौरान तेलंगाना के मुख्यमंत्री भी बिहार पहुंचे और नीतीश भी कई विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात की, लेकिन कोई पुख्ता परिणाम नहीं निकला।

वैसे, यह भी गौर करने वाली बात है कि बिहार में कांग्रेस भले ही महागठबंधन में साथ हो लेकिन केंद्र की राजनीति में वे कांग्रेस के नेतृत्व की ही बात करते हैं।

कहा यह भी जा रहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर नीतीश के लिए रास्ता इतना आसान नहीं है। नीतीश की पार्टी जदयू खुद बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी है। राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस भी नीतीश को नेता नहीं मानेगी।


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