Top
Begin typing your search above and press return to search.

नीतीश ने फिर उठाई बिहार के विशेष राज्य के दर्जे की मांग, कहा, सभी पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा मिले

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुरुवार को एक बार फिर बिहार के विशेष राज्य का मुद्दा उठाते हुए कहा कि बिहार पिछड़ा राज्य है

नीतीश ने फिर उठाई बिहार के विशेष राज्य के दर्जे की मांग, कहा, सभी पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा मिले
X

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुरुवार को एक बार फिर बिहार के विशेष राज्य का मुद्दा उठाते हुए कहा कि बिहार पिछड़ा राज्य है। हमलोगों को विशेष राज्य का दर्जा मिल गया होता तो बिहार कितना आगे बढ़ गया होता। उन्होंने कहा कि सभी पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा मिलना चाहिए। मुख्यमंत्री गुरुवार को उर्दू अनुवादक एवं अन्य उर्दू कर्मियों के नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी के साथ उर्दू जानेंगे तो आपकी भाषा और बेहतर होगी।

इस कार्यक्रम में कुल 183 उर्दू अनुवादक एवं अन्य उर्दू कर्मियों को नियुक्ति पत्र वितरित किया गया है, जिसमें उर्दू अनुवादक, सहायक उर्दू अनुवादक, निम्नवर्गीय उर्दू लिपिक और निम्नवर्गीय हिंदी लिपिक शामिल हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने जब इस बात की समीक्षा की कि कितने पद सृजित हैं और कितने पर बहाली हुई है, तो जानकारी मिली कि कुल स्वीकृत पद 2247 हैं। जिसमें 1294 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। सभी स्वीकृत पदों पर जल्द ही बहाली होगी सभी व्यक्तियों को हिंदी और उर्दू के प्रयोग का अधिकार है।

जैसे हिंदी है वैसे ही उर्दू है, दोनों को बराबर की स्वीकृति प्राप्त है। सरकार हिंदी के साथ-साथ उर्दू को बढ़ावा दे रही है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2008 में ही हमने कहा था कि सभी जगह उर्दू शिक्षकों के अलावा सभी स्वीकृत पदों पर बहाली की जाए जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग उर्दू को जान सकें।

उन्होंने कहा कि पहले 1128 स्वीकृत मदरसे थे, अब 1942 मदरसों को स्वीकृति दी गयी है। मदरसों में केवल उर्दू ही नहीं बल्कि सारी चीजों की जानकारी दी जानी चाहिए। मदरसा शिक्षकों के वेतन के भुगतान के साथ-साथ मदरसों में आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए भी सरकार द्वारा सहायता प्रदान की जा रही है। मदरसा के शिक्षकों को पहले बहुत कम वेतन मिलता था। अब मदरसों में भी मान्यता प्राप्त शिक्षकों के बराबर वेतन दिया जाने लगा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं। वर्ष 2012-13 में अल्पसंख्यक रोजगार ऋण योजना की शुरूआत की गई। मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत वर्ष 2018 से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों को 10 लाख रुपये तक की सहायता दी जा रही है। इसमें 5 लाख रुपये का अनुदान एवं 5 लाख रुपये तक ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराए जा रहे हैं।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it