Top
Begin typing your search above and press return to search.

नीति आयोग का व्यवहार विदेशी ई कामर्स कम्पनियों के प्रवक्ता जैसा : कैट

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ई-कॉमर्स नियमों के मसौदे पर नीति आयोग द्वारा की गई अनावश्यक टिप्पणियाँ उन उद्देश्यों के विपरीत हैं जिनके लिए नीति आयोग का गठन किया गया है

नीति आयोग का व्यवहार विदेशी ई कामर्स कम्पनियों के प्रवक्ता जैसा : कैट
X

रायपुर। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ई-कॉमर्स नियमों के मसौदे पर नीति आयोग द्वारा की गई अनावश्यक टिप्पणियाँ उन उद्देश्यों के विपरीत हैं जिनके लिए नीति आयोग का गठन किया गया है। देश के 8 करोड़ व्यापारियों के दृष्टिकोण नीति आयोग एक निरर्थक संस्था है क्योंकि इसने देश में व्यापारिक समुदाय के विकास या डिजिटलीकरण के बारे में एक भी अवधारणा या योजना नोट नहीं निकाला है न ही उस दिशा में आज तक कोई कार्य किया है। ई कामर्स नियमों पर आयोग की टिप्पणी सीधे सरकार के अधिकार क्षेत्र को एक चुनौती है यह कहते हुए कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने नीति आयोग के प्रवचनों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी और प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने कहा कि नीति आयोग का उद्देश्य संघीय ढांचे को मजबूत करना और राष्ट्र के विकास के लिए समग्र योजना तैयार करना है। नीति आयोग का अन्य प्रमुख उद्देश्य देश में उद्यमिता विकास में योगदान देना है। नीति आयोग को उसके चार्टर में वॉचडॉग के रूप में कार्य करने का कोई अधिकार नहीं दिया गया है।ई कामर्स नियमों पर टिप्पणी कर नीति आयोग ने अपनी अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया है जो अवांछनीय है। नीति आयोग स्वयं में कोई सरकार नहीं बल्कि सरकार द्वारा बनाई गई एक संस्था है। यह बेहद खेदजनक है कि नीति आयोग की टिप्पणियों ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की क्षमता और बुद्धिमत्ता पर सवाल उठाया है।

श्री पारवानी और श्री दोशी ने कहा कि यह संदेह से परे है कि नीति आयोग द्वारा की गई टिप्पणी विदेशी ई कामर्स के एक प्रवक्ता की टिप्पणियों की तरह थी । आयोग ने वही बात दोहराई है जो विदेशी ई कामर्स कम्पनियाँ कह रही हैं । देश भर के व्यापारी नीति आयोग की टिप्पणियों से बहुत नाराज़ हैं।उनका यह निश्चित मत है कि यह टिप्पणी भारत के ई-कॉमर्स व्यवसाय को असमान स्तर की प्रतिस्पर्धा को लाने और सरकार के लिए बाधाओं को बढ़ाने के लिए एक सोची समझी चाल के अलावा और कुछ नहीं है।

विदेशी वित्त पोषित ई-कॉमर्स कंपनियां लागत से भी कम कीमत पर माल बेचकर छोटे व्यवसायों को कुचलने के लिए कानून या नियमों का उल्लंघन कर रही हैं, तब नीति आयोग चुप रहा और एक भी शब्द नहीं बोला या न ही इन कंपनियों को क़ानून का पालन करने के लिए कभी कहा। लेकिन अब जब सरकार कुछ अति वांछित नियम लाने की कोशिश कर रही है, तो अचानक नीति आयोग ने चुनी हुई सरकार के लिए तर्कहीन बयान दिए कि सरकार क्या करें और क्या न करें ।

यह भारत के घरेलू व्यापार को बर्बाद करने की साजिश है।

कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह ने नीति आयोग से जवाब मांगा कि कौन सा मसौदा नियम मौजूदा एफडीआई नीति के खिलाफ है। इसी तरह कीं टिप्पणियाँ नीति आयोग की भूमिका को अत्यधिक सन्देहास्पद बनाती है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it