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नितेश राणे ने शनि शिंगणापुर मंदिर में मुस्लिम कर्मचारियों की नियुक्ति पर जताई आपत्ति, बोले - 'इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता'

महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नितेश राणे ने प्रसिद्ध मंदिर श्री क्षेत्र शनि शिंगणापुर में मुस्लिम कर्मचारियों की नियुक्ति पर आपत्ति जताई

नितेश राणे ने शनि शिंगणापुर मंदिर में मुस्लिम कर्मचारियों की नियुक्ति पर जताई आपत्ति, बोले - इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता
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मुंबई। महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नितेश राणे ने गुरुवार को प्रसिद्ध मंदिर श्री क्षेत्र शनि शिंगणापुर में मुस्लिम कर्मचारियों की नियुक्ति पर आपत्ति जताई।

नितेश राणे ने पत्रकारों से बातचीत में सवालिया लहजे में कहा कि कोई इस तरह की हरकत हाजी अली और अजमेर के दरगाह में करेगा क्या? उन्होंने पूछा कि इस तरह की हरकत सिर्फ हमारे हिंदू धार्मिक स्थलों के साथ ही क्यों की जाती है। अगर कोई भी हिंदू व्यक्ति किसी भी मुस्लिम धार्मिक स्थल में काम करता हुआ दिख जाए, तो निश्चित तौर पर ये लोग उसे छोड़ेंगे नहीं। लेकिन, लगातार जिस तरह से हमारे हिंदू धार्मिक स्थलों की गरिमा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, उसे अब हम किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं कर सकते हैं। आपको किसी भी मुस्लिम संस्था में कोई भी हिंदू काम करता हुआ नहीं दिखेगा।

उन्होंने दावा किया कि जलगांव में जब एक दरगाह में एक हिंदू शिक्षक काम करता हुआ दिखा, तो उसे मार तक दिया गया था। इस तरह से आप देख सकते हैं कि किसी भी मुस्लिम संस्थान में जब किसी हिंदू व्यक्ति को स्वीकार नहीं किया जाता है, तो भला हम अपने हिंदू धार्मिक स्थलों में किसी मुस्लिम को क्यों स्वीकार करें।

उन्होंने शनि शिंगणापुर मंदिर में मुस्लिम कर्मचारियों की नियुक्ति की निंदा की। बोले कि इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। आखिर मंदिर में किसी मुस्लिम का क्या काम है? हमारे मंदिरों की अपनी एक गरिमा है और अगर इस गरिमा पर कुठाराघात करने की कोशिश करेगा, तो वह किसी भी मायने में उचित नहीं है।

उन्होंने कहा कि हिंदू धार्मिक संस्था में सिर्फ हिंदू ही काम करेगा। इसके अलावा, शुक्रवार को हिंदू संगठनों की ओर से मोर्चा निकाला जाएगा, जिसमें लोग मुस्लिम कर्मचारियों की नियुक्ति पर अपना रोष जाहिर करेंगे। मुझे पूरी उम्मीद है कि महाराष्ट्र की हिंदूवादी सरकार हमारे इस मार्च का समर्थन करेगी।

साथ ही, उन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि अगर किसी पार्टी का नेता किसी दूसरी पार्टी के नेता से मुलाकात करता है, तो इसे किसी दूसरे पहलू से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि महाराष्ट्र की राजनीति में वैमनस्यता की कोई जगह नहीं है। ऐसी स्थिति में अगर कोई नेता किसी दूसरी पार्टी के नेता से मुलाकात करता है, तो उसे किसी दूसरी राजनीतिक विषय वस्तु से जोड़कर नहीं देखा जाए।


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