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बदहाल स्कूलों में बेहतर सपनों के साथ आज पहुंचेंगे नौनिहाल

पुरानी समस्याओं के साथ नये शैक्षणिक सत्र की शुरूआत शुक्रवार से हो रही है.....

बदहाल स्कूलों में बेहतर सपनों के साथ आज पहुंचेंगे नौनिहाल
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दंतेवाड़ा । पुरानी समस्याओं के साथ नये शैक्षणिक सत्र की शुरूआत शुक्रवार से हो रही है। बच्चे बदहाल सरकारी स्कूलों में एक बार फिर उन्हीं समस्याओं से जूझेंगे, जिससे संघर्ष कर पिछले सत्र में पढ़ाई की और अपनी मेहनत के दम पर बेहतर परिणाम लेकर आए। सत्र शुरू होने को है, लेकिन स्कूलों की मरम्मत के मामले में प्रशासन ने कोई गंभीरता नहीं दिखायी। प्राचार्यों की बैठक लेकर समस्याओं की सूची मांगी, लेकिन उस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। भरी बरसात में बच्चे बदहाल स्कूल भवनों में अपना भविष्य गढ़ेंगे।

शिक्षा के मामले में दंतेवाड़ा बेहतर परिणाम को लेकर इन दिनों पूरे देश में चर्चा में है, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही का आलम यह है कि छोटे-छोटे मरम्मत जैसे कार्याे के लिए भी स्कूलों को प्रशासन का मुंह ताकना पड़ रहा है। कई स्कूलों में शिक्षकों ने तो बच्चों की बेहतरी के लिए लोक सुराज अभियान के दौरान भवन मरम्मत और दूसरी समस्याओं की जानकारी आवेदन के माध्यम से दी थी। सुराज में इन आवेदनों को संबंधित विभागों में भेज दिया गया और अपने स्तर पर इसे समाधान बताया गया। जिले में कुल 199 स्कूल भवनों के मरम्मत का प्रस्ताव विचाराधीन है। इनमें प्राथमिक और मीडिल स्कूल शामिल हैं। 13 हायर सेकेण्डरी स्कूलों की मरम्मत के लिए भी राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा गया है।

प्राचार्यों की बैठक में स्कूलों भवनों की मरम्मत सहित अन्य समस्याओं पर चर्चा नहीं करते हुए बेहतर परिणाम के लिए दबाव बनाया गया, जबकि समस्याओं के बीच में ही स्कूलों ने हायर सेकेण्डरी और हाई स्कूल परीक्षा में बेहतर परिणाम दिया है। 10वीं में तो पूरे प्रदेश में यह जिला अव्वल रहा तो बारहवीं में भी यहां की बिटिया ने मेरिट में जगह बनायी। प्रशासन, स्कूल और बच्चों से ज्यादा की उम्मीद करता है, लेकिन संसाधन मुहैया कराने गंभीरता नहीं दिखाता। विज्ञान शिक्षण पर फोकस करते हुए सभी स्कूलों में लैब के लिए तैयारी की गई, स्कूलों से प्रस्ताव बुलवाये गए, बाद में प्रस्ताव ठण्डे बस्ते में चले गए।

स्कूलों की मरम्मत के मामले में जिला पंचायत सीईओ को भी मॉनिटरिंग के निर्देश कलेक्टर की ओर से दिये गए हैं, लेकिन स्कूलों भवनों की स्थिति देखकर ऐसा लगता नहीं कि कलेक्टर के निर्देशों को गंभीरता से लिया जा रहा है। शहर के कन्या हायर सेकेण्डरी स्कूल में अतिरिक्त कक्ष की मांग लंबे समय से हो रही है। यहां लैब और सभा मंच तथा डोम के लिए भी प्रस्ताव भेजे गए। इंजीनियर से प्राक्लन भी तैयार करवाया गया, लेकिन आगे कोई बात नहीं हुई। अभी पिछले दिनों आयी आंधी में यहां के एक कक्ष की सीट उखड़ गयी, इसकी मरम्मत भी स्थानीय स्तर पर हुई, प्रशासन ने कोई सुध नहीं ली। इस स्कूल में पहुंचने वाला हर जन प्रतिनिधि अपने स्तर पर घोषणा कर भूल जाता है। बच्चे अपनी मेहनत से बेहतर परिणाम जरूर दे रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से जब देने की बारी आती है, तो केवल धोखा मिलता है।

बहरहाल इन्हीं समस्याओं के साथ दंतेवाड़ा के नवनिहाल एक बार फिर नई उम्मीदों और सपनों के साथ स्कूलों में आज कदम रखेंगे। बच्चों के भविष्य और सपनों का व्यापार कर अफसर और मंत्री भले ही अपना फायदा देख रहे हो, लेकिन नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा में नई पीढ़ी के साथ शिक्षा के मामले में किया जा रहा खिलवाड़ा किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। प्रशासन और शासन की गंभीरता समय रहते दिख जाए तो नई पीढ़ी को नक्सलवाद की ओर मुड़ने से रोका जा सकता है। इधर इस मामले में प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती अहिल्या ठाकुर ने बताया है कि स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए सूची तैयार हुई और प्रशासन अपने स्तर पर मरम्मत के लिए प्रयास कर रहा है। शिक्षकों की व्यवस्था हो चुकी है। नये सत्र में बेहतर परिणाम की उम्मीद के साथ बच्चे स्कूलों में पहुंचेंगे। स्कूलों की अन्य समस्याएं भी शीघ्र दूर होंगी।


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