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एनआई को मुंगेर के हथियार बरामदगी मामले में और एके-47 मिलने की उम्मीद

मुंगेर में हथियार बरामदगी के मामले के तार अंडरवर्ल्ड और नक्सलियों से जुड़े होने का खुलासा करने के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को उम्मीद है

एनआई को मुंगेर के हथियार बरामदगी मामले में और एके-47 मिलने की उम्मीद
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नई दिल्ली/पटना। मुंगेर में हथियार बरामदगी के मामले के तार अंडरवर्ल्ड और नक्सलियों से जुड़े होने का खुलासा करने के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को उम्मीद है कि बिहार में नक्सलियों और हथियार सौदागरों को बेची गई कुछ एके-47 एसॉल्ट राइफल की रिकवरी हो सकती है।

मामला बिहार के मुंगेर में सितंबर 2018 में बरामद हुई 22 एके-47 राइफल से जुड़ा है। इन राइफलों की तस्करी मध्यप्रदेश के जबलपुर स्थित केंद्रीय आयुधशाला से की गई थी।

मामले की जांच से जुड़े एनआईए के एक अधिकारी के अनुसार, एजेंसी ने बिहार में कई हथियार सौदागरों और नक्सलियों की पहचान की है जिन्होंने 2012 से 2018 के दौरान आयुधशाला के सेवानिवृत्त कर्मचारी पुरुषोत्तम लाल रजक से एसॉल्ट राइफल खरीदी होगी।

मुंगेर पुलिस ने सितंबर 2018 में रजक को गिरफ्तार किया था। रजक ने पुलिस के समक्ष स्वीकार किया था कि उसने मुंगेर में अपराधियों को 70 एके-74 एसॉल्ट राइफल और स्पेयर पार्ट्स मुहैया करवाया है।

हथियार तस्करी का मामला सबसे पहले अगस्त 2018 में सामने आया जब मुंगेर पुलिस ने तीन एके-47 राइफल के साथ मोहम्मेद इमरान को गिरफ्तार करने के साथ-साथ हथियार कारोबारी शमशेर आलम के पास से तीन और हथियार बरामद किए।

उनसे पूछताछ के बाद मुंगेर के मिर्जापुर गांव स्थित एक कुआं से 28 सितंबर 2018 को 12 एके-47 राइफल बरामद की गई। पुलिस ने इसके बाद पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुरी से सेवानिवृत्त जवान नियाजुर रहमान को गिरफ्तार किया।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर एनआईए ने अक्टूबर 2018 में मामले की जांच का जिम्मा बिहार पुलिस से ले लिया।

रजक की गिरफ्तारी के बाद पिछले महीने उत्तर प्रदेश में 11 स्थानों और बिहार के भोजपुर, रोहतास और पटना जिले में लोकजन शक्ति पार्टी के नेता हुलास पांडे के आवासों की तलाशी ली गई।

तलाशी के दौरान कारतूसों के साथ एक राइफल, चार लैपटॉप, पांच हार्ड डिस्क, 12 पेन ड्राइव, 12 मोबाइल फोन, एक कंप्यूटर और अभियोग से जुड़े दस्तावेज के साथ-साथ नकदी रसीद व बैंक के ब्योरे बरामद किए गए।

एनआईए अधिकारी ने बताया कि हुलास एजेंसी के राडार पर हैं क्योंकि उनका रोहतास और भोजपुर में रेत खनन का कारोबार है जो कभी नक्सलियों का इलाका रहा है।

जांच से जुड़े एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एजेंसी को पांडे के परिवहन कारोबार के बारे में भी पता चला है।

उन्होंने कहा, "पांडे की कंपनियां बिहार प्रदेश खाद्य निगम के लिए ट्रांसपोर्टर का काम करती हैं। वहां भी अनियमितताओं के कुछ मामले सामने आए हैं।"


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