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केन बेतवा परियोजना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा एनजीटी

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी)ने केन-बेतवा नदी संपर्क योजना को मिली पर्यावरणीय मंजूरी को चुनौती देने वाली याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली है

केन बेतवा परियोजना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा एनजीटी
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी)ने केन-बेतवा नदी संपर्क योजना को मिली पर्यावरणीय मंजूरी को चुनौती देने वाली याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली है।

केन-बेतवा परियोजना मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश राज्यों से जुड़ी है। याचिका जल विशेषज्ञ हिमांशु ठक्कर ने दायर की है।

न्यायालय ने याचिका को स्वीकार करते हुए मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश सरकार से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। याचिका में उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश सरकार के साथ ही केन्द्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय तथा जल संसाधन मंत्रालय को भी प्रतिवादी बनाया गया है।

याचिकाकर्ता श्री ठक्कर ने यूनीवार्ता को बताया कि यह याचिका जनता के हितों काे ध्यान में रखते हुए दायर की गयी है इसे इसी रूप में लिया जाना चाहिए।

एनजीटी ने परियोजना पर रोक की एक अलग याचिका को निबटाते हुए कहा कि जबतक मामले की पूरी सुनवाई नहीं हो जाती कोई भी पक्ष इस अवधि में परियोजना पर अपना कोई दावा नहीं कर सकेगा।

याचिकाकर्ता ने पर्यावरण पर परियेाजना के प्रभाव का उचित आकलन नहीं किए जाने, परियोजना से प्रभावित होने वाले बांदा ,झांसी और महोबा जैसे क्षेत्रों के स्थानीय लोगों से उचित्त विचार विमर्श नहीं करने तथा वन और पर्यावरण विभाग तथा वन्य जीव विभाग द्वारा दी गयी मंजूरी में विरोधाभास होने जैसे आरोप लगाते हुए इसे चुनौती दी है।

केन-बेतवा नदी परियोजना के तहत दोनों नदियों को जोड़ा जाना है ताकि केन का अतिरिक्त पानी बेतवा में डाला जा सके।
इस परियोजना से सिचांई क्षमता बढ़ने,क्षेत्र के लोगों को पीने के पानी की सुविधा मिलने तथा बन बिजली उत्पादन का दावा किया गया है।

हालांकि परियोजना का विरोध कर रहे लोगाें का कहना है कि इससे मध्यप्रदेश में 10 हजार परिवारों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ेगा जिसका असर उत्तर प्रदेश पर भी आएगा।


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