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अगले सप्ताह घरेलू कंपनियों के के नतीजों,विदेशी संकेतों पर रहेगी नजर

 देश के शेयर बाजारों में अगले सप्ताह भी शुरुआती कारोबार में कर्नाटक के ताजा राजनीतिक घटनाक्रम का असर बना रहेगा

अगले सप्ताह घरेलू कंपनियों के के नतीजों,विदेशी संकेतों पर रहेगी नजर
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नई दिल्ली। देश के शेयर बाजारों में अगले सप्ताह भी शुरुआती कारोबार में कर्नाटक के ताजा राजनीतिक घटनाक्रम का असर बना रहेगा। बीते सप्ताह भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई, जिसके बाद सुधार की उम्मीद की जा सकती है, मगर शुरुआत में राजनीतिक घटनाक्रम के चलते नरमी और बढ़ सकती है। हालांकि उसके बाद रिकवरी आने की संभावना है क्योंकि अगले सप्ताह घरेलू कंपनियों के घोषित होने वाले नतीजों से बाजार की चाल तय होगी। साथ ही, विदेशी बाजारों के संकतों का भी असर बना रहेगा। इसके अलावा विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के निवेश और घरेलू संस्थागत निवेशकों के रुख से बाजार को दिशा मिलेगी। वहीं, डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव का घरेलू शेयर बाजार पर असर बना रहेगा।

कर्नाटक में विश्वास मत साबित करने के लिए आवश्यक संख्या बल नहीं होने के कारण मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा को विधानसभा मे शक्ति परीक्षण से पहले ही इस्तीफा देने की घोषणा करनी पड़ी। अगले सप्ताह बाजार की नजर कर्नाटक में कांग्रेस के समर्थन से जनता दल सेक्यूलर नेता एच. डी. कुमारस्वामी के नेतृत्व में बनने वाली गठबंधन की सरकार पर होगी।

अगले सप्ताह 21 मई को कोलगेट पामोलिव (इंडिया), जस्ट डायल और महानगर गैसे के जनवरी-मार्च तिमाही के नतीजे आने वाले हैं। इसके बाद 22 मई को बाटा इंडिया, सिपला, डॉक्टर रेडीज लेबोरेटरीज, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारतीय स्टेट बैंक भी अपने बीते वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही के नतीजे घोषित करेंगे।

23 मई को गोदरेज इंडस्ट्रीज, ग्रासीम इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स के नतीजे आएंगे। गेल इंडिया, ग्लैक्सोस्ििमथक्लाइन फार्मास्युटिकल्स और मोओआईएल बीते वित्तवर्ष की आखिरी तिमाही के नतीजे 24 मई को घोषित करेंगे और बैंक ऑफ बड़ौदा, बीईएमएल, केडिला हेल्थकेयर, इंजीनिसर्य इंडिया, हिंदुस्तान कॉपर, एनबीसीसी (इंडिया), सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज और टेक महिंद्रा के नतीजे 25 को आएंगे।

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड बीते हफ्ते 80 डॉलर प्रति बैरल तक उछला, जिसके बाद पेट्रोल और डीजल के दाम में और इजाफा होने की उम्मीद है। कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी से डॉलर की मांग बढ़ने से घरेलू मुद्रा में कमजोरी आती है।

इसके अलावा वैश्विक बाजार के रुखों का भी घरेलू शेयर बाजार पर असर रहेगा।


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