कोटा में बाघ की मौत की उच्च स्तरीय जांच होगी
राजस्थान में हाड़ौती संभाग के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के एक बाघ एम टी-3 की आकस्मिक मौत के मामले की अब वन्यजीव विभाग के फील्ड डायरेक्टर जांच करेंगे।

कोटा । राजस्थान में हाड़ौती संभाग के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के एक बाघ एम टी-3 की आकस्मिक मौत के मामले की अब वन्यजीव विभाग के फील्ड डायरेक्टर जांच करेंगे।
राज्य सरकार के वन विभाग ने इस बारे में आदेश जारी कर दिया है। कल शाम राजकीय सम्मान के साथ मृत बाघ का अंतिम संस्कार कर दिया गया। हालांकि इस बाघ की
मृत्यु के मामले को लेकर कोटा के वन्य जीव प्रेमी वन्यजीव विभाग के खिलाफ मुखर होकर कथित रूप से विभागीय स्तर पर लापरवाही करने का आरोप लगाकर कड़ी आलोचना कर रहे हैं।
बाघ एमटी-3 करीब साढ़े चार वर्ष पहले राजस्थान के सवाई माधोपुर के रणथंभौर नेशनल टाइगर पार्क में पैदा हुआ था और पिछले साल फरवरी में वह अपने लिए नए इलाके की तलाश में खुद रणथम्भौर से निकलकर पहले कोटा जिले के सुल्तानपुर और उसके बाद दरा अभयारण्य क्षेत्र में आया था जिसे अब मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के नाम से जाना जाता है।
एमटी-3 पिछले करीब एक सप्ताह से भी अधिक समय से अस्वस्थ था और रिजर्व की निगरानी करने वाले वन्य जीव विभागीय कार्मिकों ने उसे एक पाव से लड़खड़ा कर चलते देखा था। चोट लगने की आशंका के चलते स्थानीय स्तर पर ही उसके इलाज के लिए उसे ट्रेंकुलाइज करने की कोशिश की गई। इसमें सफलता नहीं मिलने के बाद रणथंभौर से बुधवार शाम एक मेडिकल टीम मुकुंदरा टाइगर रिजर्व पहुंची लेकिन तब तक देर हो चुकी थी क्योंकि अंधेरा हो जाने के कारण एम् टी-3 बाघ को ट्रेंकुलाइज नहीं किया जा सका और इलाज शुरू करने से पहले ही कल सुबह इस बाघ की मृत्यु हो गई।
शव का कल मेडिकल बोर्ड ने पोस्टमार्टम किया जिसमें उसे प्रारंभिक तौर पर फेफड़ों में संक्रमण और हृदय में जकड़न को मृत्यु का कारण माना गया है, लेकिन उसके पांव में कोई चोट नहीं थी जैसा कि पहले टाइगर रिजर्व के अधिकारी अनुमान लगाए बैठे थे। बाघ एमटी-3 के पोस्टमार्टम में उसके फेफड़ों में संक्रमण को देखते हुए उसकी कोरोना जांच के लिए भी नमूना लिया गया है। इसकी रिपोर्ट अभी आना बाकी है। इस बाघ की मृत्यु के साथ ही कोटा की मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या अब पांच रह गई है जिनमें कुछ माह पूर्व जन्में दो शावक भी शामिल हैं।
यह बाघ एम् टी-3 रणथंभोर से चलकर पहले कोटा जिले के सुल्तानपुर के वन क्षेत्र में आया था जहां से बाद में वह इस रिजर्व में आ गया और उसको शुरुआत से ही दरा रेंज में साईटिंग होती रही है। बाद में इसका जोड़ा बनाने के लिए रणथंबोर से बाघिन एम टी -4 को यहां लाया गया था।
राष्ट्रीय पशु होने के कारण पोस्टमार्टम के बाद कल दरा में वन विभाग के गेस्ट हाउस के पीछे उसका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। उसे ' गार्ड ऑफ ऑनर' भी दिया गया। इस अवसर पर वन विभाग के आला अफसरों के अलावा पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद थे।
इस बाघ की मृत्यु के बाद वन्यजीव प्रेमियों ने मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व मैं उपलब्ध चिकित्सा सुविधा ओ और अधिकारियों की सुस्ती पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। उनका कहना है कि एक सप्ताह पहले ही बाघ अस्वस्थ होने के बारे में जानकारी मिलने के बावजूद स्थानीय वन्यजीव अधिकारी इलाज के लिए बाहर से विशेषज्ञ बुलाने के बजाएं अपने स्तर पर ही इलाज की कोशिश करते हैं लेकिन इलाज करना तो दूर उसे ट्रेंकुलाइज तक नहीं कर पाए।


