Top
Begin typing your search above and press return to search.

नरम हुआ जेलेंस्की का रुख, यूक्रेन युद्ध खत्म होने की ओर

यूक्रेन युद्ध खत्म करने को लेकर सक्रियता तेज हो गई है. यूएन सुरक्षा परिषद में चीन और अमेरिका के समर्थन से एक प्रस्ताव पारित हुआ है. वोलोदिमीर जेलेंस्की का रुख भी नरम हुआ है

नरम हुआ जेलेंस्की का रुख, यूक्रेन युद्ध खत्म होने की ओर
X

यूक्रेन युद्ध खत्म करने को लेकर सक्रियता तेज हो गई है. यूएन सुरक्षा परिषद में चीन और अमेरिका के समर्थन से एक प्रस्ताव पारित हुआ है. वोलोदिमीर जेलेंस्की का रुख भी नरम हुआ है.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार, 25 फरवरी को अमेरिका समर्थित प्रस्ताव पारित किया, जिसमें यूक्रेन युद्ध को जल्द खत्म करने की अपील की गई है. हालांकि, इस प्रस्ताव में रूस का नाम नहीं लिया गया, जो इससे पहले के संयुक्त राष्ट्र बयानों से अलग है. काफी साल बाद यह पहली बार हुआ कि रूस, चीन और अमेरिका ने किसी प्रस्ताव पर एकमत होकर मतदान किया हो. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इसी महीने की शुरुआत में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की थी.

इस प्रस्ताव ‘द पाथ टु पीस' के पक्ष में दस देशों ने वोट दिया, जबकि पांच ने मतदान से परहेज किया. अमेरिका ने रूस और चीन के साथ मतदान किया, जबकि यूरोपीय परिषद के सदस्य ब्रिटेन, फ्रांस, स्लोवेनिया, डेनमार्क और ग्रीस ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. हालांकि ब्रिटेन और फ्रांस ने अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल नहीं किया, जो 1989 से उनकी नीति रही है.

यह प्रस्ताव अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत कानूनी रूप से बाध्यकारी है, लेकिन इसमें रूस से अपनी सेना हटाने की मांग नहीं की गई. अमेरिका की राजदूत डोरोथी शी ने प्रस्ताव का समर्थन करते हुए इसे "शांति की दिशा में पहला कदम" बताया. उन्होंने कहा, "यह प्रस्ताव हमें शांति की ओर ले जाएगा. यह एक महत्वपूर्ण कदम है, और अब हमें इसे एक शांतिपूर्ण भविष्य बनाने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए." उन्होंने यह भी कहा कि "बातचीत में सभी पक्षों को शामिल किया जाना चाहिए, और हमें ऐसे समाधान खोजने होंगे जो यूक्रेन की संप्रभुता सुनिश्चित करें और सभी पक्षों की सुरक्षा चिंताओं को भी संबोधित करें."

ब्रिटिश और फ्रांसीसी प्रतिनिधियों ने इस प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जताई. ब्रिटिश राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने कहा, "इस परिषद में रूस और यूक्रेन को समान रूप से पेश नहीं किया जाना चाहिए." वहीं, फ्रांसीसी राजदूत निकोलस डे रिविएर ने चेतावनी दी कि "यदि हम हमलावर को जवाबदेह नहीं ठहराते हैं, तो यह खतरनाक उदाहरण बनेगा जो दुनिया भर में और संघर्षों को बढ़ावा दे सकता है."

रूसी राजदूत वासिली नेबेन्या ने इस प्रस्ताव में रूस की निंदा न होने को सकारात्मक कदम बताया. उन्होंने कहा, "पहली बार, हमें कूटनीतिक कोशिशें दिख रही हैं, न कि केवल आरोप-प्रत्यारोप. रूस हमेशा बातचीत के लिए तैयार रहा है, लेकिन किएव और उसके समर्थकों को यह दिखावा बंद करना होगा कि शांति केवल उनकी शर्तों पर संभव है."

यह मतदान रूस के यूक्रेन पर आक्रमण की तीसरी वर्षगांठ पर हुआ. इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक अलग प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें रूस को आक्रमणकारी बताया गया और यूक्रेन से अपनी सेना हटाने की मांग की गई. हालांकि, महासभा के प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं होते, बल्कि वैश्विक विचारों को दिखाते हैं.

माक्रों-ट्रंप की वार्ता में यूक्रेन पर मतभेद

इस बीच, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों और अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में मुलाकात की. उन्होंने युद्ध और संभावित शांति प्रयासों पर चर्चा की. माक्रों ने कहा कि "शांति का मतलब यूक्रेन का आत्मसमर्पण नहीं हो सकता." उन्होंने यूक्रेन के लिए अमेरिका से मजबूत सुरक्षा गारंटी की मांग की. उन्होंने कहा, "यूक्रेन का अस्तित्व कोई समझौते की बात नहीं है. हम उनकी संप्रभुता को राजनीतिक सुविधा के लिए बलिदान नहीं कर सकते."

अमेरिकी मीडिया के मुताबिक, दोनों नेताओं ने यूक्रेन में यूरोपीय शांति सेना तैनात करने की संभावना पर चर्चा की. माक्रों ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर से इस पहल पर तालमेल बैठाने की कोशिश की है. एक वरिष्ठ फ्रांसीसी अधिकारी ने कहा, "यूरोप को यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित करने में अधिक जिम्मेदारी लेनी होगी, खासकर जब वॉशिंगटन का रुख बदल रहा है."

ट्रंप ने संकेत दिया कि वह रूस के प्रति नरम रुख अपना सकते हैं. उन्होंने कहा, "अगर हम समझदारी से काम लें, तो यह युद्ध कुछ हफ्तों में खत्म हो सकता है." उन्होंने यह भी पुष्टि की कि यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की जल्द ही व्हाइट हाउस का दौरा करेंगे. इस दौरान अमेरिका और यूक्रेन के बीच दुर्लभ खनिजों के उपयोग को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर होंगे. ट्रंप ने कहा, "यह सौदा दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा. यूक्रेन के पास मूल्यवान संसाधन हैं, और हम उनके भविष्य को बेहतर बनाने में मदद करना चाहते हैं."

यूक्रेन पर अमेरिका की रूस के साथ पहल से यूरोप को बाहर रखने के बाद यूरोपीय देशों में बेचैनी है. इस बैठक ने भी अमेरिका और यूरोप के बीच मतभेद भी उजागर किए. ट्रंप ने दोहराया कि यूरोप को यूक्रेन को अधिक वित्तीय सहायता देनी चाहिए. उन्होंने पुतिन की आलोचना करने से भी बचते हुए कहा कि रूस और अमेरिका संभावित आर्थिक साझेदारी पर "संपर्क में" हैं. ट्रंप ने कहा, "अगर हम आर्थिक रूप से सहयोग कर सकते हैं, तो शायद हम आगे के संघर्षों से बच सकते हैं."

माक्रों और ट्रंप के बीच संबंधों में हमेशा उतार-चढ़ाव रहा है. इस बैठक में भी उनकी गर्मजोशी और असहमति दोनों दिखीं. जब माक्रों ने ट्रंप की इस धारणा को चुनौती दी कि यूरोप यूक्रेन को केवल "उधार" दे रहा है, तो ट्रंप ने मुस्कराते हुए कहा, "अगर आप ऐसा मानते हैं, तो मुझे कोई दिक्कत नहीं."

यूक्रेन के भविष्य को लेकर चिंता

राजनयिक गतिविधियों के बीच, मंगलवार सुबह रूस ने यूक्रेन पर मिसाइल हमले किए. पूरे देश में हवाई हमले के सायरन बजे. कम से कम पांच लोग घायल हुए और कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं. पोलैंड ने अपने सैन्य विमानों को तैनात किया, जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़ गया. यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने कहा, "ये ताजा हमले दिखाते हैं कि रूस शांति में नहीं, बल्कि तबाही में दिलचस्पी रखता है."

अमेरिका का यूक्रेन को लेकर बदलता रुख यूरोपीय सहयोगियों के लिए चिंता का विषय बन गया है. ट्रंप का यूएन में रूस के पक्ष में मतदान और सुरक्षा परिषद प्रस्ताव पर समर्थन, जो सीधे तौर पर रूस की निंदा नहीं करता, अमेरिका की नीति में महत्वपूर्ण बदलाव दर्शाता है.

पुतिन ने भी हाल ही में कहा कि यूरोपीय देश शांति वार्ता में "शामिल हो सकते हैं." हालांकि, उन्होंने जेलेंस्की को "अवांछनीय व्यक्ति" बताया. पुतिन ने कहा, "हम बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन जब तक किएव कट्टरपंथियों के नियंत्रण में रहेगा, तब तक कोई सार्थक वार्ता संभव नहीं होगी."

जेलेंस्की ने दोहराया कि अगर उनके इस्तीफा देने से यूक्रेन को नाटो सदस्यता मिलती है, तो वह ऐसा करने को तैयार हैं. उन्होंने कहा, "अगर मेरे इस्तीफे से यूक्रेन की सुरक्षा और नाटो सदस्यता सुनिश्चित होती है, तो मैं यह त्याग करने को तैयार हूं." हालांकि, कई यूक्रेनी नेता इस पर संदेह जता रहे हैं. विपक्षी नेता पेट्रो पोरोशेंको ने चेताया, "कोई भी समझौता जो यूक्रेन की संप्रभुता को कमजोर करता है, हमारे लोग स्वीकार नहीं करेंगे."

युद्ध के चौथे वर्ष में प्रवेश करने के साथ, स्थिति लगातार जटिल बनी हुई है. शांति प्रयासों के बावजूद, किसी स्थायी समाधान की संभावना अब भी दूर नजर आ रही है.


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it